फल्मिनिक अम्ल
फल्मिनिक अम्ल | |
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आईयूपीएसी नाम | Oxidoazaniumylidynemethane |
पहचान आइडेन्टिफायर्स | |
सी.ए.एस संख्या | [506-85-4][CAS] |
पबकैम | |
रासा.ई.बी.आई | 29813 |
SMILES | |
InChI | |
कैमस्पाइडर आई.डी | |
गुण | |
आण्विक सूत्र | HCNO |
मोलर द्रव्यमान | 43.02 g mol−1 |
जहां दिया है वहां के अलावा, ये आंकड़े पदार्थ की मानक स्थिति (२५ °से, १०० कि.पा के अनुसार हैं। ज्ञानसन्दूक के संदर्भ |
फल्मिनिक अम्ल (Fulminic Acid) सायेनिक अम्ल का समावयवी है। इनका सूत्र HON=C है।
फल्मिनिक अम्ल असंयुक्त अवस्था में शुद्ध प्राप्त नहीं है। इसका ईथरीय विलियन, इसके सोडियम लवण के जलीय विलयन को सल्फ्यूरिक अम्ल अथवा ऑक्सैलिक अम्ल से अम्लीय बनाकर, ईथर से निष्कर्ष द्वारा प्राप्त किया जाता है। ईथरीय विलयन के ०° सें. पर आसवन करने से वह आसुत ईथर के साथ निकल जाता है। इससे यह ज्ञात होता है कि असंयुक्त फ़ल्मिनिक अम्ल साधारण ताप पर गैस या भाप की अवस्था में रहता है। जलीय तथा ईथरीय विलयनों में इस अम्ल का बहुलकीकरण भिन्न पदार्थों में सुगमता से हो जाता है। फ़ल्मिनिक अम्ल की गंध बहुत कुछ हाइड्रोसायनिक अम्ल के समान होती है। यह अम्ल एवं इसके लवण बहुत विषैले होते हैं।
उपयोग
संपादित करेंफ़ल्मिनिक अम्ल के लवण व्यापारिक दृष्टि से महत्व के हैं। इसका पारद लवण (Hg(ONC) 2H2O) प्रारंभिक विस्फोटक एवं अन्य विस्फोटकों के बनाने में प्रयुक्त होता है। पारद का फ़ल्मिनेट आघात, घर्षण और ताप के प्रति अति संवेदी है, अत: उसकी जगह लेड ऐज़ाइड को विस्फोटक के रूप में उपयोग करने की प्रवृत्त बढ़ रही है। रजत का फल्मिनिक लवण पारद लवण से भी अधिक विस्फोटक होता है।
पारद फ़ल्मिनेट का विस्फोट १८७° से २००° सें. पर होता है। उसके विस्फोटक से कार्बन मोनॉक्साइड, नाइट्रोजन और पारद का वाष्प बनता है। यह प्रारंभक विस्फोटक के रूप में दोनों प्रकार के, अर्थात् प्रणोदक (propellant) और विभंगक (blasting or fracturing), विस्फोटकों का विस्फोटन करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। यह आघात से, जैसे एक बंदूक के करतूस में, या ताप पहुंचाने से, जैसे विद्युत् संचालित विस्फोटक से, या दाहक फ्यूज से दागा जा सकता है। इसका विस्फोटक इतना प्रचंड होता है कि इसकी तीव्रता को घटाने के लिए पारद फ़ल्मिनेट में पोटैशियम क्लोरेट या ऐंटीमनी सल्फाइड मिश्रित करते हैं।
निर्माण
संपादित करेंपारद फ़ल्मिनेट की आधुनिक निर्माणपद्धति और हॉवर्ड ने जिस क्रिया से उसे सर्वप्रथम १८०० ई. में पाया था, इनमें विशेष भेद नहीं है। शवाल्ये (Chevalier) और चांडेलॉन (Chandelon), दोनों की निर्माणपद्धतियों में समान अभिक्रियाएँ होती हैं। पारद का नाइट्रिक अम्ल में बनाया हुआ विलयन, उच्च या साधारण ताप पर, ऐल्कोहॉल के अधिक आयतन में मिलाया जाता है। अभिक्रिया समाप्त होने पर मिश्रण को ठंडा करने के उपरांत पारद फ़ल्मिनेट छान लिया जाता है और जब तक अम्लीय अशुद्धि दूर नहीं होती, पानी से धोया जाता है। धोए हुए फ़ल्मिनेट को सन की थैलियों में पानी की सतह के नीचे संग्रहीत करते हैं। इस अवस्था में इसका रखना-उठाना निरापद है। शुद्ध पारद फ़ल्मिनेट के क्रिस्टल शुभ्र, रेशम की तरह चमकीले और सुई के आकार के होते हैं। ठंढे पानी में इनके विलयन बनाने की क्षमता अति सीमित होती है (१०० घन सेंमी. पानी में ०.०७ ग्राम)। उबलते हुए पानी में १ भाग फ़ल्मिनेट १३० भाग जल में विलेय है। फ़ल्मिनेट का स्वाद धात्विक तथा इसका आपेक्षिक घनत्व ४.४२ है। फ़ल्मिनेट एक अति विषैला पदार्थ है।