बगहा
बगहा (Bagaha) भारत के बिहार राज्य के पश्चिमी चम्पारण ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]
बगहा Bagaha | |
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निर्देशांक: 27°08′N 84°04′E / 27.13°N 84.07°Eनिर्देशांक: 27°08′N 84°04′E / 27.13°N 84.07°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | बिहार |
ज़िला | पश्चिमी चम्पारण ज़िला |
ऊँचाई | 135 मी (443 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,12,634 |
भाषा | |
• प्रचलित | उर्दु भोजपुरी , हिन्दी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 845101 |
दूरभाष कोड | 06251 |
वाहन पंजीकरण | BR-22 |
विवरण
संपादित करेंबगहा बूढ़ी गण्डक नदी के किनारे बसा हुआ है, जिसका प्राचीन नाम सदानीरा था। शिक्षा-दृष्टि से एक समय यह अँधेरे में था। सरकारी विद्यालयों राजकीय मध्य विद्यालय, डी. एम. एकेडमी और प्रोजेक्ट गर्ल्स विद्यालय के साथ-साथ गिरिधरन मिश्र एवं हरीशंकर पाठक महाविद्यालय तथा बाबा भूतनाथ महाविद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाया। बगहा को यदि पर्यटन की दृष्टि से देखा जाय तो बहुत ही मनोरम और सुंदर शाद्वल आध्यात्मिक स्थल यहाँ मौजूद है। माता दुर्गा का एक रूप चंडीस्थान है, जो रतनमाला के रास्ते मलपुरवा पुल के नजदीक स्थित है। वही माता दुर्गा का सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध मदनपुर स्थान है जो वाल्मीकि जंगल में स्थित है.यह बिहार का एक मात्र राष्ट्रीय पार्क है जहाँ माता सीता ने वाल्मीकि आश्रम में अपने जीवन के अंतिम क्षणों को ब्यतीत किया था । बगहा में पक्कीबौली एक स्थान है जहाँ सावन में शिव भक्तों की अपार भीड़ लगती है और बोल बम के नारे के साथ नंगे पाँव कांवरियों की धूम मची रहती है,जोड़ा मंदिर में कृष्ण और राधा की जीवंत प्रतिमा का दर्शन भी अद्वितीय है,रतनमाला गाँव में जाल्पा माई का स्थान प्रसिद्ध है वहाँ से आज तक कोई खाली हाथ नहीं लौटा हर मनोकामना पूर्ण होती है यदि कोई वहाँ हलवा और पूड़ी चढ़ाए तो माता प्रसन्न होती हैं। रतनमाल का छठ घाट भी बगहा का सबसे पुराना छठ माता का पूजा स्थल है जो अप्रतीम सौन्दर्य से परिपूर्ण है। बगहा यदि आयें तो कालिस्थान की माता काली का दर्शन करना न भूलें क्योंकि शिव के सिने पर माता काली के पाँव युक्त विकराल प्रतिमा है और पास में ही हनुमान गढ़ी है जहाँ राम भक्त हनुमान की विशाल प्रतिमा देखी जा सकता है। बगहा के कैलाश नगर में स्थित कैलाशवा बाबा से कोई अनभिज्ञ नहीं है जिसने मरे हुए मछलियों को जिंदा कर दिया था, वे चमत्कार के लिए एक समाय के प्रसिद्ध और सिद्ध व्यक्ति थे। उनकी प्रतिमा का दर्शन करने योग्य है। बगहा के चखनी गाँव में स्थित अंग्रेजों का बनवाया हुआ कैथोलिक चर्च अपने विशालता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है.इसके साथ ही बगहा में स्थित ओशो आश्रम के अनोखे दृश्य भी स्मरणीय हैं।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Bihar Tourism: Retrospect and Prospect Archived 2017-01-18 at the वेबैक मशीन," Udai Prakash Sinha and Swargesh Kumar, Concept Publishing Company, 2012, ISBN 9788180697999
- ↑ "Revenue Administration in India: A Case Study of Bihar," G. P. Singh, Mittal Publications, 1993, ISBN 9788170993810