बनू लहयान
बनू लहयान (अंग्रेज़ी:Banu Lahyan) अरब जनजाति है जो पैगंबर मुहम्मद के शासनकाल के दौरान प्रकट हुई थी और मुसलमानों के खिलाफ कई सैन्य संघर्षों में भाग लिया था। बनू लहयान वही हैं जिन्होंने रजीअ नामी जगह पर दस सहाबा किराम रज़ि० को धोखे से घेर कर आठ की हत्या कर दी और दो को मक्का वालों के हाथों बेच दिया था जहां वह बेदर्दी से कत्ल कर दिए गए थे।[1]
बनू लहयान से संघर्ष
संपादित करेंपहला वर्ष 625 ईस्वी में अब्दुल्ला बिन यूनिस अभियान के दौरान था, जहां पैगंबर मुहम्मद ने साथी अब्दुल्ला बिन यूनिस को खालिद बिन सुफयान अल-हुधाली को मारने के लिए भेजा था, जो जनजाति के नेता थे। जहां बाद वाला मदीना पर हमला करने और नखला और ओराना के लोगों को उस पर हमला करने के लिए उकसाने की योजना बना रहा था। इसलिए, अब्दुल्ला बिन अनीस अभियान के दौरान 625 सीई में अब्दुल्ला बिन अनीस को उनकी हत्या करने के लिए भेजा गया था। इसके बाद सितंबर 627 में बानू लिहयान के आक्रमण के बाद जब मुहम्मद ने अपने अनुयायियों को मुरथद इब्न अबी मुरथद के अभियान में 10 मुसलमानों की मौत का बदला लेने के लिए बानू लिहयान जनजाति पर हमला करने का आदेश दिया।[2]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ सफिउर्रहमान मुबारकपुरी, पुस्तक अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ). "गजवा-ए-बनू लहयान". पृ॰ 644. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2022.
- ↑ Mubarakpuri, The Sealed Nectar, pp. 186–187. (online)