बरेली कॉलेज
बरेली कालेज, बरेली (अंग्रेजी: Bareilly College, Bareilly) रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय का एक प्राचीन एवं प्रमुख महाविद्यालय है। इसकी स्थापना ब्रिटिश काल में सन १८३७ में हुई थी। मात्र ५७ छात्रों से प्रारम्भ इस विद्यालय के पहले हेड मास्टर मि० रोजर्स थे। सन १८५० में इसे राजकीय विद्यालय का दर्जा दिया गया। पहले ये महाविद्यालय आगरा विश्वविद्यालय से संबद्ध था, लेकिन बाद में जब रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय की स्थापना हुई तब इसे रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय से संबद्ध किया गया।
Bareilly College | |
प्रकार | महाविद्यालय |
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स्थापित | 1837 |
प्रधानाचार्य | ओ० पी० राय |
स्थान | बरेली, भारत 28°21′26.51″N 79°25′12.91″E / 28.3573639°N 79.4202528°Eनिर्देशांक: 28°21′26.51″N 79°25′12.91″E / 28.3573639°N 79.4202528°E |
परिसर | नगरीय |
संबद्धताएं | महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय |
जालस्थल | www |
इतिहास
संपादित करेंब्रिटिश भारत में स्थापित इस ऐतिहासिक महाविद्यालय ने कई उतार चढाव देखे। १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से लेकर १९६५ में राष्ट्रभाषा हिन्दी के आन्दोलन तक में इसके जुझारू छात्रों की उल्लेखनीय भागीदारी रही। पहले यह कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था, बाद में आगरा विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हो गया। वर्तमान काल में यह रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय से सम्बद्ध है। इस समय इसमें स्नातक से लेकर स्नातकोत्तर उच्च शिक्षा व शोध की सभी सुविधायें उपलब्ध हैं।
सम्प्रति (आजकल) इस महाविद्यालय के प्राचार्य (प्रिन्सिपल) प्रोफेसर आर० पी० सिंह (रामपाल सिंह) हैं।
१८३७ में नौमहला मस्जिद के पास के मुहल्ले से एक सरकारी स्कूल के रूप में बरेली कॉलेज शुरू हुआ। पहले साल ५७ छात्रों ने एडमिशन लिया और रोजर्स इसके पहले हेडमास्टर बने। १८५७ की क्रांति में कॉलेज प्रभावित हुआ। यहा के प्राचार्य डॉ. कारलोस बक को क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश प्रतीक मानते हुए मार डाला और कॉलेज बंद हो गया। १८५९ में कॉलेज फिर शुरू हुआ। १८७७ में आर्थिक संकट के चलते कॉलेज फिर से बंद हो गया। बरेली कॉलेज के उप प्राचार्य पंडित छेदालाल के प्रयासों से जयपुर के राजा जगत सिंह की अध्यक्षता में कॉलेज के फिर से संचालन के लिए सेंट्रल कमेटी बनी। इसमें देशभर के राजाओं और अमीर लोगों ने आर्थिक सहयोग किया। कॉलेज १८८४ में फिर शुरू हो गया। कॉलेज को सबसे पहले कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबद्धता मिली। बाद में आगरा विश्वविद्यालय से संबद्धता मिली। कई उठापठक के बाद नवाब रामपुर ने ११० एकड़ भूमि बरेली कालेज को दी। १७ जुलाई १९०५ को इसी परिसर में सभागार का शिलान्यास हुआ। साल भर में यह भवन तैयार हो गया। १७ जुलाई १९०६ को निर्मित भवन का उद्घाटन हुआ। १८ जुलाई कॉलेज शुरू हो गया।
https://www.jagran.com/uttar-pradesh/bareilly-city-foundation-day-of-bareilly-college-11480666.html
संकाय
संपादित करें- कला (Arts)
- वाणिज्य (Commerce)
- कम्प्यूटर साइंस (Computer Science)
- शिक्षा (Education)
- विधि (Law)
- प्रबन्धन (Management)
- विज्ञान (Science)
प्रतिभाशाली छात्र
संपादित करें- प्रताप चन्द्र आज़ाद (उर्दू शायर एवं इतिहासकार)[1]
- निरंकार देव सेवक (हिन्दी लेखक व कवि)[2]
- मदनलाल वर्मा 'क्रान्त'[3] (कवि, लेखक व इतिहासकार)
- प्रशांत मिश्र शांडिल्य (कवि, लेेेखक)[4]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ जितने जुल्म करोगे, उतना ही लड़ूंगा Archived 2019-07-13 at the वेबैक मशीन दैनिक जागरण
- ↑ बने पुस्तकालय ताकि अपने साहित्यकार से परिचित हो सके शहर Archived 2019-07-13 at the वेबैक मशीन अमर उजाला
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 12 मार्च 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 मार्च 2012.
- ↑ "वो दोषारोपण करने वाले". Amar Ujala (अंग्रेज़ी में). मूल से 30 सितंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2019-12-04.