बहुजन पालि का शब्द है जो अक्सर बौद्ध ग्रंथों में पाया जाता है और इसका सामान्य अर्थ "विभिन्न" अथवा "बहुत" अथवा "बहुमत" होता है। आधुनिक परिपेक्ष्य में यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम एवं अन्य अलसंख्यकों के लिए को संयुक्त रूप से निरुपित करता है, जो संयुक्त रूप से भारत में बहुसंख्यक हो जाते हैं।[1][2] शब्द बहुजन गौतम बुद्ध के सूत्र वाक्य "बहुजन हिताय बहुजन सुखाय" में मिलता है।[3][4]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "What is Bahujan, Mandal, and Kamandal Politics in India?". द जस्टिस मिरर (अंग्रेज़ी में). 2022-01-22. मूल से 5 मार्च 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2022-03-05.
  2. चिश्ती, सीमा (2022-01-27). "The substance of the U.P. elections". द हिन्दू (अंग्रेज़ी में). आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-751X. अभिगमन तिथि 2022-03-05.
  3. मदन, गुरमुख राम (1999). Buddhism: Its Various Manifestations. मित्तल पब्लिकेशन्स. पृ॰ 47. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7099-728-3.
  4. "Governance in Classic India" (PDF). ट्रांसपेरेंशी इंडिया ओर्गेनाइजेशन. पृ॰ 13. मूल (PDF) से 28 सितम्बर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 सितम्बर 2013.