बाबा लाल दयाल
बावा लाल दयाल {१३५५-१६५५}[1] एक संत थे। बावा लाल दयाल जी का प्रमुख स्थान ध्यानपुर पंजाब में स्थित है जहा उनकी समाधी स्थल व् धाम है। शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यहाँ विशेष उत्सव होता है।
बावा लाल दयाल | |
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मीर कलां खान द्वारा विभिन्न धर्मों के पवित्र पुरुषों की एक सभा की पेंटिंग से बावा लाल दयाल का विवरण, ल. 1770–75 | |
जन्म | कसूर, दिल्ली सल्तनत |
मौत | ध्यानपुर, गुरदासपुर, पंजाब |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उपनाम | बावा लाल दयाल जी, लाल दास बैरागी, लाल जीव, लाल दयाल |
प्रसिद्धि का कारण | शांति फैलाना, सामाजिक कल्याण |
बावा लाल दयाल जी के गुरू चेतन स्वामी जी का भक्ति स्थल अमृतसर से 38 किलोमीटर दूर गांव कक्कड़ में है। पास में अरोड़ वंश की कुलदेवी माता हिंगलाज जी के अंश माता कौड़ी देवी जी का पिंडी सवरूप स्थान भी स्थापित है।
मंदिर
संपादित करेंश्री ध्यानपुर धाम बावा लाल संप्रदाय के अनुयायियों के बीच तीर्थयात्रा के लिए सबसे पवित्र स्थान है। ध्यानपुर भारत के पंजाब राज्य के गुरदासपुर जिले में एक गांव है। बटाला से लगभग 20 कि॰मी॰ (66,000 फीट) स्थित, यह लाल दयाल के आश्रम के लिए प्रसिद्ध है। भारत की 2001 की जनगणना में ध्यानपुर को 3,095 की आबादी के रूप में दर्ज किया गया, जिसमें 510 घर थे।
1495 में, बावा लाल, ध्यानदासजी, गुरुमुख लाल और काशी राम के साथ इस स्थान पर पहुंचे और सुंदर और शांत वातावरण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने शिष्य ध्यानदास के नाम पर इसका नाम ध्यानपुर रख दिया। मंदिर परिसर एक पहाड़ी पर स्थित है और विश्वासियों के अनुसार इसमें बावा लाल और उनके पहले उत्तराधिकारी गुरुमुख लाल की पवित्र समाधि, साथ ही व्यास गद्दी और राम मंदिर शामिल हैं।
श्री ध्यानपुर धाम में दुनिया भर से लाखों लोग आते हैं। लुधियाना शहर में 1970 से न्यू शिवाजी नगर में लाल दयाल का एक मंदिर भी स्थित है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Bawa Lal Ji :: Biography". bawalalji.org. मूल से 29 नवंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 अगस्त 2018.
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