बिम्बवाद
बिम्बवाद २०वीं सदी की आंग्ल-अमेरिकी कविता का एक आंदोलन था जिसमें बिम्ब अर्थात् इमेजरी की परिशुद्धता तथा स्पष्ट, तेज भाषा को महत्वपूर्ण माना जाता है।
बिम्बवाद को अंग्रेजी कविता में पूर्व-राफ़ेलीय (Raphaelites) आंदोलन के बाद सबसे प्रभावशाली आंदोलन के रूप में वर्णित किया गया है।[1] एक काव्य शैली के रूप में इसने २०वीं सदी की शुरूआत में आधुनिकतावाद का पथ-प्रदर्शन किया।[2] अंग्रेजी भाषा के साहित्य में इसे पहला संगठित आधुनिकतावादी साहित्यिक आंदोलन माना जाता है।[3]
बिम्बवाद पर एज़रा पाउण्ड का कथन है, "ऐसी कविता जिसमें चित्रकला और शिल्पकला मानों संवाद के लिये एकत्र हुए हों।"[4] बिम्बवाद को कभी-कभी विकास की निरंतर या सतत अवधि के बजाय रचनात्मक क्षणों के एक सिलसले के रूप में देखा जाता है।[5] रेने टॉपिन ने टिप्पणी की है कि, बिम्बवाद को एक सिद्धांत और एक काव्य संप्रदाय के रूप न समझ कर कुछ कवियों, जो एक निश्चित समय के लिए एक छोटी संख्या के महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर एकमत थे, की एक एसोसिएशन के रूप में समझना अधिक सटीक है।[6]
हिन्दी साहित्य में बिम्ब का नवीन अर्थ-प्रतिपादन रामचन्द्र शुक्ल की आलोचना द्वारा हुआ और उन्होंने अर्थ-ग्रहण पर बिम्ब-ग्रहण को वरीयता दी।[7]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Preface: Hughes, Glenn, Imagism and the Imagist, Stanford University Press, New York 1931
- ↑ Pratt, William.
- ↑ T.S. Eliot: "The point de repère, usually and conveniently taken as the starting-point of modern poetry, is the group denominated 'imagists' in London about 1910."
- ↑ बंदिवडेकर, चन्द्रकांत (2010). कविता की तलाश. वाणी प्रकाशन. पृ॰ 44. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9350002035. अभिगमन तिथि 19 मई 2016.
- ↑ Pratt, William.
- ↑ Taupin, René, L'Influence du symbolism francais sur la poesie Americaine (de 1910 a 1920), Champion, Paris 1929 trans William Pratt and Anne Rich AMS, New York, 1985
- ↑ पालीवाल, कृष्णनंदन. हिन्दी आलोचना के नए वैचारिक सरोकार. वाणी प्रकाशन. पृ॰ 366. अभिगमन तिथि 19 मई 2016.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- पुस्तक स्रोत
- बिम्बवाद, बिम्ब और आधुनिक हिन्दी-कविता. 2012.
- जोशी, मृदुला (1992). नई कविता में बिम्ब विधान. कुसुम प्रकाशन.</ref>