बिलकीस बानो ईदी (हिलाल-ए-इम्तियाज) (उर्दू: بلقیس ایدھی), अब्दुल सत्तार ईदी की विधवा एक पेशेवर नर्स और पाकिस्तान के सबसे सक्रिय परोपकारियों में से एक है। उसे पाकिस्तान की माता का नाम दिया गया है। उस का जन्म 1947 में बांटवा में हुआ था। वह ईधी फाउंडेशन की प्रमुख हैं, और उस ने अपने पति के साथ सार्वजनिक सेवा के लिए 1986 में रमन मैगसेसे पुरस्कार प्राप्त किया था।[1] 2015 में, उसे सामाजिक न्याय के लिए मदर टेरेसा मेमोरियल इंटरनेशनल अवार्ड मिला। [2] उसकी चैरिटी पाकिस्तान में कई सेबाएँ चलाती है जिसमें कराची में एक अस्पताल और आपातकालीन सेवा भी शामिल है। अपने पति के साथ मिलकर उनकी चैरिटी ने 16,000 से अधिक अवांछित बच्चों को। बचा लिया है।  उसके पति, अब्दुल सत्तार ईदी का 8 जुलाई, 2016 को निधन हो गया। 

बिलकीस ईधी
नागरिकता पाकिस्तानी
शिक्षा वोकेशनल
पेशा Nurse & Philanthropist
जीवनसाथी Abdul Sattar Edhi
बच्चे 4

जीवनी संपादित करें

बिल्कस ईदी का जन्म बांटवा शहर में हुआ था जो कि अब पश्चिमी भारत में गुजरात राज्य में है। जब वह एक किशोरी थी तो वह स्कूल का आनंद नहीं ले सकी थी और 1965 में एक नर्स के रूप में एक छोटे से विस्तार पा रहे दवाखाने में शामिल होने में कामयाब रही। उस समय, ईधी होम कराची के पुराने शहर के इलाके में था जिसे मिठादर के नाम से जाना जाता था, जहां 1951 में इसकी स्थापना की गई थी।[3] वहां काम करने वाली ईसाई और हिंदू नर्सों की संख्या बहुत कम थी और उस समय और भी कम होने लगी थी। संस्थापक अब्दुल सत्तार ईधी ने कई नर्सों को भर्ती किया, जिसमें बिल्किस भी शामिल थी, जो असामान्य रूप से मुस्लिम पृष्ठभूमि से थे।

उसके भविष्य के पति ने उसकी प्रतिभा को पहचानने के बाद उसे प्रस्तावित किया और उसे छोटे नर्सिंग डिपार्टमेंट का नेतृत्व करने की अनुमति दे दी। उसके छह महीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान, जहां उन्होंने बुनियादी दाई का काम और स्वास्थ्य देखभाल की जानकारी ली थी उसके उत्साह और रुचि को मान्यता दे दी गई थी। जब वह सताराह साल की और उसका पति लगभग बीस साल का था, तब वे शादी कर चुके थे।उनकी हनीमून अनोखी थी उनके हनीमून में असामान्य बात थी कि नवविवाहिता जोड़े ने अपनी शादी समारोह के तुरंत बाद डिस्पेंसरी में सिर पर चोटों एक जवान लड़की को खोज लिया। ईधी ने 1989 में कहा था कि उस को बारह साल की लड़की के चिंतित रिश्तेदारों को दिलासा देने या खून संक्रमण की निगरानी में खोए समय का पछतावा नहीं था "... वह लड़की विवाहित और बच्चों के साथ है; यही वास्तव में महत्वपूर्ण है।"   ईदी फाउंडेशन की अनौपचारिक वेबसाइट एक लाइन का प्रयोग करती है " अंतर लाने और जीवन हमेशा के लिए बदल देने के लिए।".[4]

ईधि ने झूला परियोजना के प्रबंधन को संभाला, जिनमें से पहला उसके पति ने 1952 में बनाया था। ये 300 क्रैडल पूरे पाकिस्तान में उपलब्ध हैं जहां माता-पिता अवांछित बच्चों को छोड़ सकते हैं या जिन्हें पाला नहीं जा सकता। उन पर अंग्रेजी और उर्दू में संदेश है "मारो न, बच्चे को रहने के लिए झूले में छोड़ दें"। छोड़े गए बच्चों में एक छोटी सी  संखिया विकलांग बच्चों की हैं, लेकिन 90% से अधिक लडकीयाँ हैं। माना जाता है कि ईधी फाउंडेशन द्वारा दिए गए इस विकल्प ने मृत बच्चों की संख्या कम कर दी है जो उनके माता-पिता द्वारा मार दिए जाते थे। ईधी परियोजना पुलिस द्वारा मिले मृत बच्चों को दफनाने के लिए भी जिम्मेदार है। ईदी फाउंडेशन दुनिया भर में जाना जाता है और पाकिस्तान में सबसे बड़ी आपातकालीन सेवा है।[उद्धरण चाहिए]

दंपति के चार बच्चे हैं जो ईधी फाउंडेशन और ईदी गांव, एम्बुलेंस के बेड़े, मानसिक घर, स्कूलों और पाकिस्तान और लंदन के कार्यालयों के साथ जुड़े हुए हैं।

मान्यता संपादित करें

ईधी और उनके पति को उनके काम की मान्यता में कई पुरस्कार मिले हैं। जुलाई 2007 में उन्हें सार्वजनिक रूप से राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ ने उनके काम के लिए सार्वजनिक रूप से मान्यता दी थी जिन्होंने 100,000 रुपए (अपनी जेब से) का योगदान दिया था और उन्होंने विशेष रूप से ध्यान दिया कि उनका काम बिना किसी भेदभाव के पाकिस्तान के गरीबों को सामाजिक सेवाएं प्रदान करता है।[5] यह योगदान राष्ट्रपति ज़िया उल-हक द्वारा प्रस्तुत किसी अन्य के साथ विरोधाभास होता है जो ठुकरा दिया गया था क्यों जो इसे तार जुड़े थे। यह अमरीका में  9/11 बम विस्फोट से प्रभावित पाकिस्तानी श्रमिकों को उसके पति दुवारा दिए गए 100,000 डॉलर के साथ भी विरोधाभासी है। उसके पति को राष्ट्रपतियों द्वारा सम्मान किये जाने के बावजूद और पाकिस्तानी टेलिविजन पर अपनी खुद की उपस्थिति के बावजूद [6] युगल एक दो कमरे के मकान, जो उनके अनाथालयों का हिस्सा है, में विनय रहता था।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Ramon Magsaysay Award Citation Archived 2011-04-23 at the वेबैक मशीन accessed June 30, 2008
  2. "Pakistan's Bilquis Bano, Caretaker of Speech and Hearing Impaired Geeta and Gladys Staines Honoured with the Mother Teresa Memorial International Award for Social Justice 2015". Business Wire India. 23 November 2015. मूल से 21 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 August 2016.
  3. From humanitarian to a nation Archived 2013-10-04 at the वेबैक मशीन, By: Richard Covington, IslamiCity.com, accessed June 30, 2008
  4. EdhiFoundation.com Archived 2009-12-05 at the वेबैक मशीन accessed June 30, 2008
  5. President Musharraf donates RS 100,000 to Edhi foundation Archived 2017-09-27 at the वेबैक मशीन, PakTribune, June 27, 2008, accessed June 30, 2008
  6. Bilquis Edhi in Brunch with Bushra - Pakistani TV Archived 2011-12-05 at the वेबैक मशीन accessed June 30, 2008