बिलगिरि रंगन पर्वतमाला

पर्यटन स्थल

बिलगिरि रंगास्वामि पर्वतमाला अभयारण्य (कन्नड़: ಬಿಳಿಗಿರಿರಂಗನ ಬೆಟ್ಟ) जिसे बी.आर.हिल्स भी कहा जाता है, दक्षिणभारत के कर्नाटक राज्य के दक्षिण भाग में स्थित है। बिलगिरि रंगन पर्वतमाला भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। पहाड़ों की सुंदरता और वन्य जीवों की अनूठी संगम स्थली है बी.आर. हिल्स। पहाड़ों पर घूमने का आनंद और वन्य जीवों को नजदीक से देखने के लिए बीआर हिल्स उपयुक्त स्थान हैं। यहां दिन में तो प्रकृति की अनुपम छटा देखने को मिलती ही है, रात में भी प्रकृति से नजदीकी का अहसास होता है। रात की खामोशी में जानवरों की आवाज इतनी साफ सुनाई देती है मानो वे कहीं आस पास ही हों। बी.आर.हिल्स यानी बिलिगिरी रंगन हिल्स कर्नाटक राज्‍य के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। पश्चिमी और पूर्वी घाटों को जोड़ने वाला यह स्थान बीआरटी वन्य जीव अभयारण्य के लिए प्रसिद्ध है। वन्य जीवों के बारें में जानने और ट्रैकिंग आदि रोमांचक गतिविधियों के लिए बीआर हिल्स सही स्‍थान है। वनस्पतियों और जन्तुओं की अनेक प्रजातियां यहां पाई जाती हैं।

बिलगिरि रंगास्वामि वन्यजीवन अभयारण्य
नाम अभयारण्य
स्थिति येलंदुर, चामराजनगर जिला, कर्नाटक, दक्षिण भारत
निकटतम शहर मैसूर
निर्देशांक 11°59′N 77°8′E / 11.983°N 77.133°E / 11.983; 77.133
क्षेत्रफल 540 km&sup2
स्थापना तिथि 27 जून, 1974
विज़िटेशन अज्ञात
प्रशासन कर्नाटक वन विभाग
IUCN श्रेणी अवर्गीकृत

मुख्य आकर्षण

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बिलिगिरी रंगास्वामी मंदिर

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कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर भगवान रंगास्वामी को समर्पित है। पहाड़ की चोटी पर बने इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 150 सीढ़ियों की चढाई करनी पड़ती है। प्रतिवर्ष अप्रैल के महीने में होने वाली रथ यात्रा में यहां के स्थानीय निवासियों की खासी भीड़ होती है। साल के बाकी दिन यहां अधिक चहल-पहल देखने को नहीं मिलती। दो वर्ष में एक बार यहां रहने वाली जनजातियों के लोग भगवान को चमड़े से बनी विशाल खड़ाऊ भी भेंट करते हैं। यह दक्षिण भारत के भगवान रँगनाथा, जिन्हें भगवान वेंकटेश भी कहते हैं, का प्रसिद्ध मंदिर स्थल है।

डोड्डा सैमपिगे मारा

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यह एक 2000 वर्ष पुराना विशाल पेड़ है जो आज भी हरा-भरा है। डोड्डा सैमपिगे मारा का अर्थ है चंपक का बड़ा पेड़। स्थानीय सालिगा जनजाति इस वृक्ष का बहुत आदर करती है। उनके अनुसार इस वृक्ष में भगवान रंगास्वामी का निवास स्‍थान है। यह भी माना जाता है यहां अन्य देवी-देवताओं का वास है जिन्हें पत्थर के 101 लिंगों द्वारा प्रस्तुत किया गया है।

बी.आर.टी. वन्यजीव अभयारण्य

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525 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली इस अभ्‍यारण्‍य में जीव जन्तुओं की अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। भालू और जंगली सूअर के अलावा यहां हाथी भी पाए जाते हैं। बी.आर. हिल्स में केवल जानवर ही नहीं, पक्षियों की भी अनेक प्रजातियां (270) पाई जाती हैं। इनमें से 210 प्रजातियां प्रवासी पक्षियों की है। जैसे पेरेडाइज फ्लाईकैचर, रॉकेट-टेल्ड ड्रॉन्गो और क्रेस्टेड हॉक ईगल। यहां पैदल घूमने के साथ-साथ जीप सफारी और हाथी की सवारी का भी मजा उठाया जा सकता है। यहां आने से पहले चमराजनगर के वन विभाग से अनुमति लेना आवश्यक है। कावेरी और कई अन्य जल स्रोतों का पानी यहां आने से मछली पकड़ने और रिवर राफ्टिंग के शौकीनों के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है। इसके पास ही कॉफी बागान हैं। यहां पर आकर ऐसा लगता है जैसे प्रकृति के और करीब आ गए हों।

माले महादेश्वर बेट्टा

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माले महादेश्वर बेट्टा बी.आर. हिल्स से 160 किलोमीटर दूर स्थित है। माले का अर्थ होता है पर्वत। यहां स्थित मंदिर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। कहा जाता है कि जब भी वीरप्पन किसी व्यक्ति का अपहरण करता था तो पीड़ित परिवार यहीं पर प्रार्थना करने आता था। शिवजी को समर्पित इस मंदिर में पूजा करने का तरीका भी अनोखा है। यहां श्रद्धालु (जिन्हें देवरा गुड्डरु कहा जाता है) अपने माथे और गले में भस्म लगाते हैं और हाथों में मंजीरा लेकर नृत्य करते हैं। इसे कमसले नृत्य अथवा मंजीरों का नृत्य कहा जाता है। शिवरात्रि का त्‍योहार यहां बडी धूमधाम से मनाया जाता है।

अभयारण्य पूरे वर्ष खुला रहता है। लेकिन यहां आने का सही समय सितंबर से अप्रैल के बीच माना जाता है। उस दौरान यहां की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है।

हवाई मार्ग

यहां से सबसे निकटतम हवाई अड्डा बैंगलोर है जो देश-विदेश के प्रमुख हवाई अड्डों से जुड़ा है।

रेल

यहां से निकटतम रेलवे जंक्शन मैसूर है जो बैंगलोर से जुड़ा हुआ है। मैसूर एक्सप्रेस से मैसूर पहुंच कर वहां से टैक्सी द्वारा यहां आया जा सकता हैं।

सड़क मार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग 209 से यहां पहुंचा जा सकता है।

चित्र दीर्घा

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बाहरी कड़ियाँ

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