बिहार राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी
2005 में बिहार राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (BSACS) द्वारा किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि बिहार के आठ जिलों को पहले से ही से अधिक सामान्य जनसंख्या में एक अधिक प्रतिशत एचआइवी प्रसार के साथ उच्च - प्रसार जिलों के रूप में अघोषित रूप से वर्गीकृत हो चुके हैं। 2005 में बिहार राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (BSACS) द्वारा किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि बिहार के आठ जिलों को पहले से ही से अधिक सामान्य जनसंख्या में एक अधिक प्रतिशत एचआइवी प्रसार के साथ उच्च - प्रसार जिलों के रूप में अघोषित रूप से वर्गीकृत हो चुके हैं। सर्वेक्षण से पता चला है कि इस परिस्थिति के मुख्य कारण महामारी से अज्ञानता, अपर्याप्त संसाधन और महामारी की तीव्रता और प्रसार का सामान्य जनता द्वारा इंकार है। बिहार सरकार ने दो एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) केंद्र और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) ने 100 स्वतः अनुमति के परीक्षण केंद्र की स्थापना संपन्न हुई।[1]
ग़ैर-सरकारी संगठनों से सहयोग
संपादित करेंजागरण सोल्यूशन को बिहार राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा एक अनुबंध के द्वारा जन-जागरण के कार्यों में सम्मानित किया गया। इन्ही में से एक झांकी की विचार प्रक्रिया थी जिसे अच्छी तरह से बिहार राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के अधिकारियों द्वारा सराहना की गई। जागरण सोल्यूशन की झांकी एड्स और एड्स के खिलाफ़ लड़ाई के प्रतीक के साथ रंग-बिरंगे गुब्बारे पर संदेश के साथ तख्तियों ले करके छात्रों के एक समूह द्वारा प्रदर्शित की गयी थी। यह झांकी जनवरी 26, 2012 के समारोह का एक हिस्सा थी।[2]
किशनगंज जिला एड्स नियंत्रण सोसाइटी
संपादित करेंनेपाल सीमा पर बसे किशनगंज को एड्स के मामले में सबसे सम्वेदनशील मानते हुए सरकार व यूनीसेफ के सहयोग से किशनगंज में एड्स नियंत्रण कार्य 2003 में शुरू तो हुआ परन्तु जिले में एड्स रोगियों की बढती तादाद इस काम में जुटे सघतनो के कागजी काम पर मोहर लगते है। वर्ष 2009 तक 35 गुणा एचआईवी पोजिटिव मरीज की तादात जिले में हो जाना इस बीमारी के जिले में गभिर रूप ले लेने की तरफ ईशारा तो करता ही है। सरकारी योजनाएओ की राशी का किस तरह बन्दर बाट होता है यह इसका जीता जागता उदहारण है, जिले में वर्ष 2009 में सरकारी आंकड़ा के मुताबिक 246 मरीज है जबकि वर्ष 2003 में यह संख्या सात था। कहते है न ज्यो-ज्यो ईलाज किया गया त्यों-त्यों मर्ज बढ़ता गया। वर्ष 2002 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने यूनीसेफ को भारत के सात जिलों को एड्स की रोकथाम व लोगों में जागरूकता लाने के लिए बिहार के एक मात्र जिला को चुना और चरका प्रोग्राम चलाया गया। पांच वर्षो तक चरका प्रोग्राम जिले में संचालित था और करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाया गया। जिसकी पुष्टि उपलब्ध कराये गए सरकारी आंकड़ों से होती है। वर्ष 2003 में एचआईवी पोजिटिव 07 जो 2004 में 15, 2005 में 47, 2006 में 132, 2007 में 151, 2008 में 153, 2009 में 246 से अधिक हो चुकी है। तमाम सरकारी व्यय एवं एनजीओ द्वारा किए गए प्रयास को मूंह चिढ़ाते ये आंकड़े समस्त प्रयासों की विफलता की कहानी कहते हैं। आंकड़ों का बढ़ता क्रम भविष्य की भयावह तस्वीर प्रस्तुत करता है। यह एड्स के संदर्भ में उभर कर सामने आ रहा है। फिलहाल जिले में एड्स कंट्रोल के लिए जिला एड्स कंट्रोल सोसाइटी के अलावे आधा दर्जन स्वयं सेवी संस्था काम कर रहा है। समस्याओं को जड़ में जाकर कारगर प्रयास करना होगा और बाहर से आने वाले लोगों पर सामाजिक जागरूकता लाकर आवश्यक स्वास्थ्य का परीक्षण करना नितांत आवश्यक है।[3]
बिहार राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की आलोचना
संपादित करेंबिहार राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की आलोचना की गयी है कि पत्रकारों को इंटरव्यू देने के सिवा जो आईसीटीसी, एचआईवी पॉजिटिव लोगों की दयनीय स्थिति और राज्य-अस्पतालों के संबंधों में तीखे सवाल नहीं पूछते, बिहार राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी कई अवसरों पर एचआइवी पॉजिटिव लोगों को नज़रअंदाज़ करती आई है जिसका उडाहरण 2012 में यूनीसेफ़ के सौजन्य से मनाया गया विश्व एड्स अनाथ दिवस है, जिसे राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी ने मनाना या उससे जुड़ना उचित नहीं समझा।[4]
बिहार की राजधानि पटना में पटना में आलोचकों के अनुसार एड्स का कसता जा रहा शिकंजा, सात साल में दोगुने हुए संक्रमित। 2020-21 और 2021-22 कुल दो वर्षों में करीब 504 गर्भवती महिलाएं एच आई वी पॉजिटिव मिली थीं। जन्म के बाद करीब 421 यानी करीब 85 फीसदी बच्चों में एचआइवी के लक्षण नहीं दिखे। इस प्रकार से सोसाइटी के कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक परिणाम देखे गए हैं। [5]
बिहार में एचआईवी मरीजों की स्थिति
संपादित करेंबिहार में एचआईवी बढ़ने का एक मुख्य कारण एचआईवी मरीजों से दुर्व्यहार को भी एक प्रमुख कारण माना जाता है। किसी व्यक्ति के साथ होनेवाले सैक्स से सम्बन्धित मामलो पर मौन धारण करने की वजह भी एचआईवी बढ़ने का मुख्य कारण है।बिहार मेंHIV रोकने का हर किसी केद्वारा दिखावा किया जा रहा है।मै आलोचना करता हूँ ऐसे प्रशासनिक व्यवस्थाका जिसमें hiv मरीजों से भेदभाव कर झूठी कानूनी प्रक्रियाओंका पालन किया जा रहा है तथा hiv को रोकने का असफल और झूठा प्रयास किया जा रहा है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Legislators take the lead – Report on the Launch of Bihar Legislators' Forum on HIV and AIDS". newconceptinfo.com. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 जुलाई 2012.
- ↑ "BSACS TABLEAU Show". Jagran Solutions Website. मूल से 27 जून 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 जुलाई 2012.
- ↑ "एड्स के मामले में मणिपुर की राह पर चला किशनगज". THAKURGANJ - THE GATEWAY OF BIHAR. मूल से 7 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 जुलाई 2012.
- ↑ "Unicef AIDS officer, BSACS skip AIDS Orphans' day in Bihar". NEWSnet Website. अभिगमन तिथि 4 जुलाई 2012.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "पटना में एड्स का कसता जा रहा शिकंजा, सात साल में दोगुने हुए संक्रमित". NEWSnet Website. अभिगमन तिथि 14 मार्च 2023.