बीजापुर
बीजापुर कर्नाटक प्रान्त का एक शहर है। यह आदिलशाही बीजापुर सल्तनत की राजधानी भी रहा है। बहमनी सल्तनत के अन्दर बीजापुर एक प्रान्त था। बंगलौर के उत्तर पश्चिम में स्थित बीजापुर कर्नाटक का प्राचीन नगर है।
बीजापुर | |||||
— शहर — | |||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||
देश | भारत | ||||
राज्य | कर्नाटक | ||||
महापौर | |||||
सांसद | |||||
जनसंख्या • घनत्व |
१,८०६,९१८ (२००१ के अनुसार [update]) • १७१ | ||||
क्षेत्रफल | १०,५४१ कि.मी² | ||||
विभिन्न कोड
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आधिकारिक जालस्थल: bijapur.nic.in |
इतिहास
संपादित करेंदक्षिण भारतीय वास्तुकला शैली में निर्मित यहां के स्मारक शहर के मुख्य आकर्षण हैं। दक्षिण भारत में पांच हिन्दू शासन के पतन के कारण बीजापुर समेत पांच राज्यों का उदय हुआ। 1489 से 1686 तक यह नगर आदिलशाही वंश की राजधानी थी। शहर की अनेक मस्जिद, मकबर, महल और किले पर्यटकों को खासे आकर्षित करते हैं। यहां का गुम्बद विश्व का दूसरा सबसे विशाल गुम्बद है। कर्नाटक की कला और संस्कृति में बीजापुर का विशेष योगदान रहा है।
मुख्य आकर्षण
संपादित करेंगोल गुम्बद
संपादित करेंआदिलशाही वंश के सातवें शासक मुहम्मद आदिल शाह का यह मकबरा बीजापुर का मुख्य आकर्षण है। विश्व के इस दूसरे सबसे विशाल गुम्बद का व्यास 44 मीटर और ऊँचाई 51 मीटर है। इस विशाल गुम्बद के बनने में बीस वर्ष का समय लगा था। इस मकबरे का सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि इसमें सहारे के लिए एक भी कॉलम नहीं है।
जुम्मा मस्जिद
संपादित करेंइस मस्जिद को बीजापुर की सबसे विशाल और भारत प्रथम मस्जिद कहा जाता है। इसका निर्माण आदिल शाह के काल में 1557 से 1686 के बीच हुआ था। मस्जिद का कुल क्षेत्रफल 10810 वर्ग मीटर है जिसमें 9 विशाल तोरण शामिल हैं। मस्जिद में सोने से लिखी पवित्र कुरान की एक प्रति रखी हुई है।
इब्राहिम रोजा
संपादित करेंशहर के पश्चिमी छोर पर बना इब्राहिम रोजा एक खूबसूरत मकबरा है। इब्राहिम आदिल शाह द्वितीय के इस मकबरे से ताजमहल बनाने की प्रेरणा ली गई थी। इसकी दीवारों को काफी सुंदर तरीके से सजाया गया है। साथ ही इसकी पत्थर की खिड़कियां भी बहुत आकर्षक हैं। इस स्मारक ईरान के शिल्पकारों ने बनाया था। इसके समीप ही एक मस्जिद भी है।
मलिक-ए-मैदान
संपादित करेंयह मध्यकाल में विश्व की सबसे बड़ी तोप थी। यह तोप 14 फीट लंबी और इसका वजन 55 टन है। एक चबूतरे पर रखी इस तोप का नोजल सिंह के सिर के आकार का है। इस तोप का वार ट्रॉफी के रूप में 1549 में बीजापुर लाया गया था। कहा जाता है इसे छूकर किसी चीज की कामना करने पर वह प्राप्त होती है।
बीजापुर किला
संपादित करें16 वीं शताब्दी का यह किला बीजापुर आने वाले सैलानियों को अपनी लोकेशन के कारण काफी आकर्षित करता है। यह किला वन्य जीव अभयारण्य के समीप है, जहां तेन्दुए, जंगली सूकर, नीलगाय और हिरन विचरण करते रहते हैं। महाराज प्रताप सिंह के छोटे भाई राव शक्ति सिंह द्वारा बनवाए गए इस किले को अब हेरिटेज होटल में तब्दील कर दिया गया है।
गगन महल
संपादित करेंयह भवन अली आदिल शाह प्रथम ने 1561 में बनवाया था। इस महल को कुछ समय तक शाही महल के रूप में इस्तेमाल किया गया। इस महल में तीन शानदार मेहराब हैं। बीच की मेहराब सबसे चौडी है। इसका भूमितल दरबार हॉल था और प्रथम तल शाही परिवार का निवास स्थान था।
आनंद महल
संपादित करेंइस महल को आदिल शाह द्वितीय ने 1589 में बनवाया था। दो मंजिल का यह महल कभी राजकीय परिवार की महिलाओं का गृह था। वर्तमान में यह महल जिमखाना क्लब, इंस्पेक्शन बंगला, कुछ अन्य कार्यालय और सहायक कमिश्नर के क्वार्टर के रूप में तब्दील हो चुका है।
असर महल
संपादित करेंकिले के पूर्व में स्थित इस महल को मोहम्मद आदिल शाह ने लगभग 1646 ई में न्याय के दरबार के रूप में बनवाया था। महल के ऊपरी खंड को अनेक भित्तिचित्रों से सजाया गया है। इन भित्तिचित्रों में फूल, पत्तियों के अलावा महिलाओं और पुरूषों को अनेक मुद्राओं में दर्शाया गया है। महल के सामने एक वर्गाकार टैंक है।
आवागमन
संपादित करें- वायु मार्ग
बीजापुर का निकटतम एयरपोर्ट बेलगांम में है जो 205 किलोमीटर की दूरी पर है। मुम्बई और बैंगलोर से यहां के लिए नियमित फ्लाइटें हैं।
- रेल मार्ग
बीजापुर रेल के माध्यम से बैंगलोर, मुम्बई, होस्पेट और वास्कोडिगामा से जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग
कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें नियमित रूप से बदामी, बैंगलोर, बेलगाम, हुबली और शोलापुर से बीजापुर के लिए चलती हैं। बीजापुर सड़क मार्ग से कर्नाटक और आसपास के शहरों से जुड़ा है।