वीणा दास

भारतीय क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी
(बीना दास से अनुप्रेषित)

वीणा दास (बांग्ला: বীণা দাস) (1911–1986) बंगाल की भारतीय क्रान्तिकारी और राष्ट्रवादी महिला थीं। ६ फरवरी १९३२ को उन्होने कलकत्ता विश्वविद्यालय के एक दीक्षान्त समारोह में अंग्रेज़ क्रिकेट कप्तान और बंगाली गर्वनर स्टनली जैक्शन की हत्या का प्रयास किया था।

वीणा दास
বীণা দাস
जन्म 24 अगस्त 1911
कृष्णानगर, बंगाल प्रान्त, ब्रितानी भारत
मौत 26 दिसम्बर 1986
ऋषिकेश, उत्तर प्रदेश, भारत
धर्म हिन्दू धर्म
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

पूर्व जीवन संपादित करें

वे सुप्रसिद्ध ब्रह्म समाजी शिक्षक बेनी माधव दास और सामाजिक कार्यकर्त्ता सरला देवी की पुत्री थीं। वे सेंट जॉन डोसेसन गर्ल्स हायर सैकण्डरी स्कूल की छात्रा रहीं।

बीणा दास कोलकाता में महिलाओं के संचालित अर्ध-क्रान्तिकारी संगठन छात्री संघ की सदस्या थीं। [1] और इसके लिए उन्हें नौ वर्षों के लिए सख़्त कारावास की सजा दी गई।[2] सन् 1932 की 6 फरवरी को कलकत्ता विश्वविद्यालय में समावर्तन उत्सव मनाया जा रहा था। बंगाल के अंग्रेज लाट सर स्टैनले जैकसन मुख्य अतिथि थे। उस अवसर पर कुमारी वीणादास जो उपाधि लेने आई थी ने गवर्नर पर गोली चला दी। गोली चूक गई, गवर्नर के कान के पास से निकल गई और वह मंच पर लेट गया। इतने में लेफ्टिनेन्ट कर्नल सुहरावर्दी ने दौड़कर वीणादास का गला एक हाथ से दबा लिया और दूसरे हाथ से पिस्तोल वाली कलाई पकड़ कर सीनेट हाल की छत की तरफ कर दी फिर भी वीणादास गोली चलाती गई, लेकिन पांचों गोलियां चूक गईं। उन्होंने पिस्तौल फेंक दी। अदालत में वीणादास ने एक साहसपूर्ण बयान दिया। अखबारों पर रोक लगा दिये जाने के कारण वह बयान प्रकाशित न हो सका। वीणादास को दस साल कारावास का दण्ड मिला था।

१९३९ में जल्दी रिहा होने के बाद दास ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता प्राप्त की। सन् १९४२ में उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया और पुनः १९४२ से १९४५ तक के लिए कारवास की सजा प्राप्त की। १९४६-४७ में बंगाल प्रान्त विधान सभा और १९४७ से १९५१ तक पश्चिम बंगाल प्रान्त विधान सभा की सदस्या रहीं। सन् १९४७ में उनका युगान्तर समूह के भारतीय स्वतन्त्रता कार्यकर्ता जतीश चन्द्र भौमिक से विवाह हो गया। उनके पति के देहान्त के बाद उन्होंने ऋषिकेश में एकान्त जीवन व्यतीत करना आरम्भ किया और अज्ञातवास में ही मृत्यु को प्राप्त किया।[3]

कार्य संपादित करें

बीणा दास ने बंगाली में शृंखलझंकार और पितृधन नामक दो आत्मकथाएँ लिखीं।[3]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Five shots fired at governor ग्लैस्गोव हेराल्ड, ८ फ़रवरी १९३२, पृष्ठ ११
  2. Girl, would-be assasin, gets nine years in India at रिडींग ईगल, १५ फ़रवरी १९३२
  3. सेनगुप्त, सुबोध चन्द्र और अंजली बसु (ed.) (1988) सांसद बंगाली चरितभिधान (बंगाली में), कोलकाता: सहित्य सदन, पृष्ठ ६६३

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें