बुलन्दी (2000 फ़िल्म)
बुलन्दी 2000 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। यह तमिल फिल्म नट्टमई की रीमेक है। इसमें रजनीकांत के साथ अनिल कपूर दोहरी भूमिका में हैं। अन्य मुख्य भूमिकाओं में रेखा और रवीना टंडन हैं।[1] यह रजनीकांत की आखिरी हिन्दी फिल्म है, जिन्होंने आगे केवल तमिल फिल्मों में अभिनय जारी रखा। उनकी बाद की हिन्दी फ़िल्में उनकी तमिल फ़िल्मों के डब संस्करण ही रहे हैं।
बुलन्दी | |
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बुलन्दी का पोस्टर | |
निर्देशक | रामा राव तातिनेनी |
लेखक | आदेश के. अर्जुन (संवाद) |
निर्माता | योगेश आनन्द |
अभिनेता |
अनिल कपूर, रेखा, रवीना टंडन, रजनीकांत |
छायाकार | एम. एस प्रभु |
संपादक | पी. गौतम राजू |
संगीतकार | विजू शाह |
प्रदर्शन तिथियाँ |
7 जनवरी, 2000 |
लम्बाई |
175 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंकहानी धर्मराज "दादा" ठाकुर (अनिल कपूर) के इर्द-गिर्द घूमती है। उनके पिता गजराज ठाकुर (रजनीकांत) की मृत्यु के बाद से दादा ठाकुर गांव के प्रधान रहे हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी लक्ष्मी (रेखा) और दो छोटे भाई अर्जुन और नकुल (हरीश) हैं। दादा ठाकुर और लक्ष्मी वस्तुतः अर्जुन और नकुल के माता-पिता की तरह ही हैं। दादा ठाकुर का समाज में बहुत सम्मान है और उनकी बात को कानून माना जाता है। अर्जुन (अनिल कपूर दोहरी भूमिका में) ने शहरी की लड़की मीना (रवीना टंडन) से शादी की है। सबसे पहले, मीना को अपने पति का अपने बड़े भाई की अधीनता में काम करना रास नहीं आता। लेकिन जब उसे पता चलता है कि दादा ठाकुर ने उसके पिता को उनके व्यवसाय में मदद की है, तो वह अपने जीजा के प्रति सम्मानजनक हो जाती है। फिर अर्जुन पर एक स्कूल टीचर के साथ बलात्कार करने का गलत आरोप लगाया जाता है। अब हर कोई दादा ठाकुर के फैसले का इंतजार करता है, जिसका असर घर में सभी पर पड़ता है।
फिर कहानी पीछे जाती है, धर्मराज के पिता गजराज ठाकुर ने अपने भांजे जगन्नाथ (शक्ति कपूर) को एक ग्रामीण बेटी से शादी करने का आदेश दिया था। उसके साथ उसने बलात्कार किया था। हालांकि वह उसकी बहन मनोरमा (अरुणा ईरानी) का बेटा है। फिर वहां उसके बहनोई रणजीत सिंह (रंजीत) ने उसे गोली मार दी क्योंकि वह उसके फैसले से निराश था। क्रोधित गजराज ठाकुर ने मरने से पहले उसके परिवार को 18 साल के लिए समाज से बहिष्कृत करने का फैसला सुनाया। जो कोई भी उनके घर जायेगा उसे भी समान सजा मिलेगी। गजराज ठाकुर धर्मराज से यह भी कहते हैं, जब भी हम गलत फैसला देते हैं, उसी क्षण कहा जाता है कि हम मर जाएंगे। तब से जगन्नाथ अपने मामा के परिवार से ईर्ष्या करने लगता है और उनसे बदला लेने के अवसर की प्रतीक्षा करता है। वह गांव के स्कूल में एक महिला को शिक्षक के रूप में लाने की योजना बनाता है और उससे कहता है कि वह अर्जुन को उसके प्यार में फंसाए। वह ऐसा करती है, हालांकि, अर्जुन अपनी पत्नी को धोखा देने से इनकार कर देता है।
क्रोधित जगन्नाथ उसे मार डालता है और ग्रामीणों को यह विश्वास दिलाता है कि उसने अर्जुन के कार्यों के कारण आत्महत्या की है। धर्मराज अपने भाई के परिवार को 10 वर्ष के बहिष्कार की सजा सुनाते हैं। अब जगन्नाथ को अपनी बेटी का दादा ठाकुर के छोटे भाई नकुल के प्रति प्रेम के बारे में पता चलता है। वह अपने गुंडों की मदद से नकुल को मारने की कोशिश करता है। अर्जुन अपने भाई नकुल को बचाने जाता है और गर्भवती मीना एक वार्षिक उत्सव देखने जाती है जहाँ वह बच्चे को जन्म देती है। इस बीच, धर्मराज जगन्नाथ से लड़ता है। धर्मराज को फिर सच्चाई बताई जाती है कि उसने अपने भाई को बिना कोई गलती किए दंडित किया है। उसे यह भी पता चलता है कि जो अपराध अर्जुन पर थोपे गए थे, वे वास्तव में जगन्नाथ द्वारा किए गए थे।तब धर्मराज को तुरंत अपने पिता की बात याद आती है कि जब भी वह गलत फैसला देते हैं, उसी क्षण हमारी मृत्यु हो जाती है। इसलिए जब उसे पता चलता है कि उसने गलत फैसला दिया है, उसकी मृत्यु हो जाती है। अब अर्जुन को अपने भाई से पैतृक सिंहासन लेते हुए और परिवार की परंपराओं को जारी रखते हुए दिखाया जाता है।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- अनिल कपूर – धर्मराज 'दादा' ठाकुर / अर्जुन ठाकुर
- रजनीकांत – गजराज ठाकुर
- रेखा – लक्ष्मी
- रवीना टंडन – मीना
- शक्ति कपूर – जगन्नाथ
- अरुणा ईरानी – जगन्नाथ की मां
- रंजीत – जगन्नाथ के पिता
- हरीश – नकुल
- परेश रावल – गोरा ठाकुर / मंगला ठाकुर
- सदाशिव अमरापुरकर – गोरा के पिता
- कुलभूषण खरबंदा – मीना के पिता
संगीत
संपादित करेंसभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत विजू शाह द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "हंगामा हो जाये" | सोनू निगम, जसपिंदर नरूला, राकेश पंडित | 5:42 |
2. | "तेरी अँखियों में" | उदित नारायण, कविता कृष्णमूर्ति | 5:28 |
3. | "तेरी मेरी इक जिंद" | जैज़ी बी, कुमार केन्नी | 4:54 |
4. | "मुझको हिचकी लगी" | अनुराधा पौडवाल, कुमार सानु | 4:47 |
5. | "ऐ बूझो रे बूझो" | जसपिंदर नरूला, उदित नारायण | 5:00 |
6. | "जब गोरी ने" | अभिजीत, अलका यागनिक | 5:28 |
7. | "सारी दुनिया में" | उदित नारायण, कविता कृष्णमूर्ति | 5:05 |
8. | "हमने तुमको चुन लिया है" | अनुराधा पौडवाल, कुमार सानु | 5:12 |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "24 साल के वनवास के बाद बॉलीवुड में वापसी करेंगे Rajinikanth, इस डायरेक्टर के साथ आएंगे नजर". India News. अभिगमन तिथि 2 अप्रैल 2024.