अरावली पर्वत शृंखलाओं से घिरा ऐतिहासिक शहर बूँदी राजस्थान के हाड़ौती अंचल में स्थित है। महाराजा बून्दा मीणा बून्दी के संस्थापक शासन क्षेत्र का विस्तार सम्पूर्ण बूँदी सहित कोटा ,बारा,झालावाड़,भीलवाड़ा खा खैराड़ क्षेत्र (जहापुर,कोटडी,)टोंक जिले की देवली सही बनास क्षेत्र

बूँदी के संस्थापक बुंदा मीणा

अरावली पर्वत मालाओं के आड़ावला पर्वतों से विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य महान पराक्रमी व दूरदर्शी शासक हर्ष देव मीणा के पुत्र महाराजा बून्दा मीणा व्दारा विक्रम संवत् 701 (सन् 644 ई.) में बून्दी रियासत की स्थापना की जिसका वर्तमान क्षेत्र बून्दी, कोदा, बारां, झालावाड़, भीलवाड़ा, टोंक में विस्तृत है।

प्रकृति की गोद में बसी इस रियासत में मीणाओं का साम्राज्य बढ़ता ही गया, मीणाओं द्वारा इस क्षेत्र में 1341 ई. तक शासन किया, मीना (मीणा) साम्राज्य के अंतिम शासक महान पराक्रमी महाराज जैता मीणा रहा, मीणा महाराजाओं द्वारा समय समय पर ऐतिहासिक धरोहरों का निर्माण कराया जो वर्तमान में भी मीणा सामाज्य की याद दिलाती है। जैसे:- महाराजा जैता मीणा द्वारा जेत सागर झील का निर्माण, महाराजा गोल्हा मीणा द्वारा गोल्हा बावड़ी (1260 ई.) महाराजा मीणा आबू ने हमरा/हूम की बावड़ी व मीना (मीणा) साम्राज्य के समय ग्राम उगेन में मीणा बावड़ी को निर्माण कराया। अजितगढ़ के वीर योद्धाओं द्वारा वि.सं. 841 में नैनवाँ में मीणा साम्राज्य की स्थापना की।

इस क्षेत्र में मीना (मीणा) साम्राज्य का पराक्रम वि.सं. 1248 तक रहा। यहाँ के अंतिम शासक महाराजा कंवरिया मीणा रहें । यह जानकारी बून्दा संस्था के शोध दल द्वारा शिलापट्टों, प्राचीन ऐतिहासिक ग्रन्थों व चारण भाटों के ग्रन्थों से प्राप्त की गई है। इस शिलालेख को आज दिनांक 01.11.2020 को त्रिमूर्ति बून्दा धाम पर बून्दा आदिवासी मीना (मीणा) समाज संस्था बून्दा दौत्र (राज.) द्वारा स्थापित किया।

बूँदी की स्थापना राव देवा हाड़ा ने पुराने नगर को नष्ट करके की थी। पुराने नगर की स्थापना बूंदा मीणा ने की थी, बूंदा मीणा के नाम पर इसका नाम बून्दी रखा गया।

राजा देवा के उपरान्त राजा बरसिंह ने पहाडी पर1354 में तारागढ़ नामक दुर्ग का निर्माण करवाया। साथ ही दुर्ग मे महल और कुण्ड-बावडियो को बनवाया। १४वी से १७वी शताब्दी के बीच तलहटी पर भव्य महल का निर्माण कराया गया। सन् १६२० को महल मे प्रवेश के लिए भव्य पोल(दरवाज़ा) का निर्माण कराया गया। पोल को दो हाथी कि प्रतिमुर्तियों से सजाया गया उसे "हाथीपोल" कहा जाता है। राजमहल मे अनेक महल साथ ही दिवान- ए - आम और दिवान- ए - खास बनवाये गये। बूँदी अपनी विशिष्ट चित्रकला शैली के लिए विख्यात है, इसे महाराव राजा "श्रीजी" उम्मेद सिंह ने बनवाया जो अपनी चित्रशैली के लिए विश्वविख्यात है। बूँदी के विषयों में शिकार, सवारी, रामलीला, स्नानरत नायिका, विचरण करते हाथी, शेर, हिरण, गगनचारी पक्षी, पेड़ों पर फुदकते शाखामृग आदि रहे हैं।

==[1][2] संदर्भ

  1. Annals and Antiquities of Rajasthan. Colonel James Tod.
  2. वंश भास्कर. सुर्यमल्ल मिश्रण.