बौद्ध धर्म का इतिहास
☀️पालि अर्थात वह वाणी जो कि भगवां गोतम बुद्ध के मुख से पायी गयी तो उस वाणी को ही पालि कहा गया । पालि में "भगवां सब्द(शब्द)का अर्थ है भग्ग(नष्ट ,burnt) करने वाला ।जिसका पालि सुत्त(Paali Stanza ) "सुत्त पिटक" एवं "आचरिय बुद्ध घोस"के ग्रन्थ विसुद्धिमग्ग में है - "भग्ग रागो भग्ग दोसो भग्ग मोहो भग्गास च पापका धम्मा इतपि सो भगवां अरहं सम्माबुद्धो ।।" अर्थात (वे) जिन्होने सभी प्रकार के राग(attachment),द्वेष(hatred will) और मोह(delusion) का नाश कर दिया है एवं सभी प्रकार के पाप धर्मों(bad characters)का नाश कर दिया है ,इसकारण से वे जो अरहत(free from defilements)सम्यक सम्बुद्ध हैं भगवान कहे जाते हैं । अतः पालि में भगवां(भगवान in hindi) का अर्थ गुणवाचक उसके सब्द "भग्ग एवं भज्ज/भञ्ज धातु के कारण कहा जाता है ।जिसका सम्बन्ध जगतकर्ता/ईश्वर से कुछ भी नहीं है ।

- सील-समाधि-पञ्ञा का मार्ग अर्थात moral-concetration-wisdom को प्राप्ति का मार्ग ,जिसके ३७ बोधिपक्खिय-धम्म विस्तारपूर्वक तथागत-बुद्ध ने बताये हैं जो सुत्त-पिटक,विनय-पिटक एवं अभिधम्म-पिटक के नामकरण से प्रथम संगीति में संकलित किये गए जो अजातसत्तु के समय हुई जिसमें ५००अरहत भिक्खुओं ने भाग लिया था ।सत्य और अहिंसा के मार्ग को दिखाने वाले भगवान बुद्ध दिव्य आध्यात्मिक विभूतियों में अग्रणी माने जाते हैं। भगवान बुद्ध के बताए आठ सिद्धांत को मानने वाले भारत समेत दुनिया भर में करोड़ो लोग हैं।
बौद्ध धर्म |
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प्रबुद्ध सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 श्री प्रकाश बरनवाल के अनुसारधम्म जीवन की पवित्रता बनाए रखना और तथ्य-ज्ञन में पूर्णता प्राप्त करना है,साथ ही निर्वाण प्राप्त करना और तृष्णा का त्याग करना है। इसके अलावा भगवान बुद्ध ने सभी संस्कार को अनित्य बताया है। भगवान बुद्ध ने मानव के कर्म को नैतिक संस्थान का आधार बताया है। यानी भगवान बुद्ध के अनुसार धम्म यानी धर्म वही है। जो सबके लिए ज्ञान के द्वार खोल दे। और उन्होने ये भी बताया कि केवल विद्वान होना ही पर्याप्त नहीं है। विद्वान वही है जो अपने की ज्ञान की रोशनी से सबको रोशन करे। धर्म को लोगों की जिंदगी से जोड़ते हुए भगवान बुद्ध ने बताया कि करूणा शील और मैत्री अनिवार्य है। इसके अलावा सामाजिक भेद भाव मिटाने के लिए भी भगवान बुद्ध ने प्रयास करते हुए बताया था कि लोगों का मुल्यांकन जन्म के आधार पर नहीं कर्म के आधार पर होना चाहिए। भगवान बुद्ध के बताए मार्ग पर दुनिया भर के करोड़ों लोग चलते है। जिससे वो सही राह पर चलकर अपने जीवन को सार्थक बनाते हैं।तथागत गौतम बुद्ध अपने आपको संसार का रचियता अथवा जगतकर्ता या ईश्वर नहीं बताया है।
इन्हें भी देखेंसंपादित करें
बाहरी कड़ियाँसंपादित करें
- बौद्ध धर्म का उदय Archived 2020-09-28 at the Wayback Machine
- बौद्ध धर्म का विकास
- मालवा में बौद्ध धर्म का विकास
- बौद्ध धर्म का विकास
- तिब्बत में बौद्ध धर्म का इतिहास (गूगल पुस्तक ; लेखक - जी के लामा)
- Historical Interactions between Buddhism and Islam
- History of Tibetan Buddhism and Bön
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