ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान

शन्थिकुञ का अनुसन्न्धन केद्न्

ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान हरिद्वार के शांतिकुंज से लगभग आधे किलोमीटर की दूरी पर गंगा के तट पर स्थित एक अनुसंधान संस्थान है। इसकी स्थापना पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा सन् 1979 में की गयी थी। संस्थान में आधुनिक प्रयोगशाला, पुस्तकालय तथा दुर्लभ जड़ी-बूटियों से युक्त वनस्पति उद्यान है। यह संस्थान विशिष्ट परियोजनाओं जैसे आयुर्वेद, मन्त्र विज्ञान आदि पर कार्य करता है।

वैज्ञानिक अध्यात्म को पूरी तरह समर्पित यह शोध संस्थान पूरे विश्व में अपनी तरह का अकेला संस्थान है। यह महत्वपूर्ण विश्लेषणात्मक अनुसंधान अध्ययनों के साथ-साथ आध्यात्मिक सिद्धांतों और प्रथाओं पर वैज्ञानिक प्रयोग भी करता है। यह केंद्र सभी के लिए स्वास्थ्य और खुशी के महान लक्ष्य के उद्देश्य से व्यावहारिक तरीके से आधुनिक और प्राचीन विज्ञान के एकीकरण के लिए समर्पित है। यहां प्रासंगिक आधुनिक विज्ञानों के साथ जीवंत सहयोग से प्राचीन विज्ञानों में जमीनी स्तर पर अनुप्रयोगों के उद्देश्य से नवीन वैज्ञानिक अनुसंधान किया जा रहा है। यहाँ किये जाने वाले अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्रों में शामिल हैं - आयुर्वेद और यज्ञोपैथी, संपूर्ण मनोविज्ञान, मंत्र का विज्ञान और इसके चिकित्सीय अनुप्रयोग, मंत्र, योग, साधना और आध्यात्मिकता का विज्ञान, आदि।

इस केंद्र में हेमेटोलॉजी, बायोकैमिस्ट्री, न्यूरोफिजियोलॉजी, कार्डियोलॉजी, फाइटोकेमिस्ट्री, साइकोमेट्री, यज्ञोपैथी आदि की अच्छी तरह से सुसज्जित प्रयोगशालाएं हैं। डॉक्टरों, इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और दार्शनिकों की अपनी टीम के अलावा, केंद्र अस्पताल, आयुर्वेदिक फार्मेसी और योग प्रयोगशालाएँ हैं। शांतिकुंज, हरिद्वार और उसके आसपास के कुछ अस्पतालों और विश्वविद्यालयों में। प्रतिष्ठित शोधकर्ता, प्रोफेसर और अन्य विशेषज्ञ भी नियमित रूप से केंद्र में आते हैं।

अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्र
  • आयुर्वेद एवं हर्बल विज्ञान
  • यज्ञोपैथी
  • भारतीय संस्कृति एवं मनोविज्ञान
  • जीवन प्रबंधन (तनाव, समय और विचार प्रबंधन)
  • मंत्र का विज्ञान और उसके चिकित्सीय अनुप्रयोग
  • योग का दर्शन और विज्ञान
  • अध्यात्म का विज्ञान
  • पंचकर्म थेरेपी
  • पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा-प्राणिक हीलिंग, रेकी, एक्यूप्रेशर

इस शोध संस्थान की स्थापना पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने सन् 1979 में की थी। संस्थान की स्थापना आध्यात्म और विज्ञान के समन्वय के केन्द्र के रूप में की गयी थी जहाँ इन दो इन दो क्षेत्रों के मध्य आपसी सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। संस्थान का मुख्य उद्देश्य प्राचीन भारतीय योग दर्शन को विज्ञान तथा जीवन जीने की कला के रूप में स्थापित करना है। [1] [2]

  1. "Estiblishments of Gayatri Pariwar".
  2. Veereshwar, Prakash, Indian Systems of Psychotherapy, Kalpaz Publication 2002, p. 266, ISBN 81-7835-078-5

इन्हें भी देखें

संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें