भगवान
भगवान गुण वाचक शब्द है। जिसका अर्थ गुणवान होता है। यह "भग" धातु से बना है ,भग के 6 अर्थ है:- 1-ऐश्वर्य 2-धर्म 3-श्री 4-यश 5-ज्ञान और 6–त्याग (बैराग्य) जिसमें ये 6 गुण है वह भगवान है। कोई भी मनुष्य या देवता आदि भगवान नही कहे जा सकते है। यह शब्द केवल परमात्मा के लिए है।
संस्कृत भाषा में भगवान "भंज" धातु से बना है जिसका अर्थ हैं:- सेवायाम् । जो सभी की सेवा में लगा रहे कल्याण और दया करके सभी मनुष्य जीव ,भूमि, गगन, वायु, अग्नि, नीर को दूषित ना होने दे सदैव स्वच्छ रखे वो भगवान का भक्त होता है भ=भक्ति ग=ज्ञान वा=वास न=नित्य, जिसे हमेशा ध्यान करने का मन करता है।
मुख्य रूप से भगवान का अर्थ- भूमि,गगन,वायु,अग्नि, नीर (जो एक प्राकृत को दर्शाता है) इस लिए हम कह सकते है की प्राकृत हमारे भगवान है जिससे हमे जीवन जीने का आधार मिलता है।
संज्ञासंपादित करें
संज्ञा के रूप में भगवान् हिन्दी में लगभग हमेशा ईश्वर / परमेश्वर का मतलब रखता है। इस रूप में ये देवताओं के लिये नहीं प्रयुक्त होता।
विशेषणसंपादित करें
विशेषण के रूप में भगवान् हिन्दी में ईश्वर / परमेश्वर का मतलब नहीं रखता। इस रूप में ये देवताओं, विष्णु और उनके अवतारों (राम, कृष्ण), शिव, आदरणीय महापुरुषों जैसे, महावीर, धर्मगुरुओं, गीता, इत्यादि के लिये उपाधि है। इसका स्त्रीलिंग भगवती है।
इन्हें भी देखेंसंपादित करें
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