भगवान
भगवान् , विष्णु पुराण के पाँचवें अध्याय में ऋषि पराशर के अनुसार वह है जो ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान तथा वैराग्य से युक्त है।
- ऐश्वर्यस्य समग्रस्य धर्मस्य यशसरिश्रयः । ज्ञानवैराग्ययोश्चैव षण्णां भग इतीरणा ॥ (विष्णु पु0 ६।५।७४)॥ [1]
भागवत पुराण के अनुसार जिसे तत्व का ज्ञानी कहते हैं, जो तत्व का ज्ञान देता है, उसे ब्रह्म, परमात्मा तथा भगवान् इत्यादि शब्दों से पुकारा जाता है।
- वदन्ति तत् तत्त्वविदः तत्त्वं यद्ज्ञानमद्वयम्। ब्रह्मेति परमात्मेति भगवानिति शब्द्यते॥ (श्रीमद्भागवत महापुराण १.२.११)॥ [2]
प्राप्ति
संपादित करेंविष्णु पुराण के अनुसार भगवान् की प्राप्ति ज्ञान और कर्म के द्वारा की जा सकती है।
- तस्मात्तत्प्राप्तये यत्नः कर्तव्यः पण्डितैर्नरैः । तत्प्राप्तिहेतुर्ज्ञानं च कर्म चोक्तं महामुने॥ (विष्णु पु0 ६।५।७४)॥[3]
साहित्य में उल्लेख
संपादित करेंवेद
संपादित करेंवेदों में भगवान् शब्द का उल्लेख नहीं है परंतु इसके पर्यायवाची ईश्वर, परमात्मा, ब्रह्म, रुद्र, विष्णु, अग्नि, इंद्र आदि का है।
ऋग्वेद
संपादित करेंश्लोक १.१६४.४६:
- एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति अग्निं यमं मातरिश्वानमाहुः॥[4]
अर्थात, एक सच्चे विप्र को बहुत तरह से पुकारा जाता है जैसे अग्नि, यम, मातरिश्वा आदि।
अथर्ववेद
संपादित करेंश्लोक १३.४.१६:
- यो विश्वेभिर्जगत्येकश्चरति प्रजानन॥
अर्थात, जो सबके बीच एकमात्र सर्वोच्च सत्ता के रूप में विचरण करता है।
पुराण
संपादित करेंपुराणों में यह ईश्वर के नाम में उल्लिखित है।
उपनिषद
संपादित करेंउपनिषदों में ब्रह्म के नाम से उल्लिखित है।
महाभारत
संपादित करेंमहाभारत व भगवद गीता में कृष्ण ने अर्जुन को दिए गए उपदेश में स्वयं को ‘भगवान’ कहा है।
- अहं सर्वस्य प्रभवो मत्तः सर्वं प्रवर्तते । इति मत्वा भजन्ते मां बुधा भावसमन्विताः ॥८॥ [5]
रामायण
संपादित करेंवाल्मीकि रामायण में राम को भगवान कहा गया है।
मनुस्मृति
संपादित करेंमनुस्मृति व याज्ञवल्क्य स्मृति में भगवान का उल्लेख और उनकी पूजा पद्धतियों का वर्णन है।
अगम और तंत्र शास्त्र
संपादित करेंअगम और तंत्र शास्त्र में शिव और शक्ति की पूजा विधियों में भगवान् शब्द का वर्णन है।
अद्वैत वेदांत
संपादित करेंअद्वैत वेदांत में शंकराचार्य जी ने भगवान को निर्गुण ब्रह्म कहा है, जो निराकार, अनंत और अपार है।
पात्र
संपादित करेंभगवान् कहलाए जाने वाले पात्रों की सूची:
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ https://www.gitasupersite.iitk.ac.in/srimad?htshg=1&scsh=1&ecsiva=1&etsiva=1&&language=dv&field_chapter_value=3&field_nsutra_value=37
- ↑ https://www.holy-bhagavad-gita.org/chapter/12/verse/2/hi
- ↑ https://advocatetanmoy.com/sanatan-dharma/sanskrit/vishnu-puran/
- ↑ https://www-wisdomlib-org.translate.goog/hinduism/book/rig-veda-english-translation/d/doc830789.html?_x_tr_sl=en&_x_tr_tl=hi&_x_tr_hl=hi&_x_tr_pto=tc
- ↑ https://www.gitasupersite.iitk.ac.in/srimad?htrskd=1&httyn=1&htshg=1&scsh=1&choos=&&language=dv&field_chapter_value=10&field_nsutra_value=8