भवरलाल हीरालाल जैन (पद्म श्री), जैन इरीगेशन सिस्टम लिमिटेड (JISL) के संस्थापक थे।[1] वह एक पक्के गांधीवादी थे और उन्होंने जलगाँव में गाँधी तीर्थ (म्यूजियम) की स्थापना थी।[2]

भवरलाल हीरालाल जैन
जन्म 12 दिसम्बर 1937
जलगाँव
मौत 25 फ़रवरी 2016(2016-02-25) (उम्र 78 वर्ष)
आवास जलगाँव
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा ब.कॉम, ल.ल.ब.
पेशा संस्थापक, जैन इरीगेशन
धर्म जैन
जीवनसाथी कांताबाई
(१९३८-२००५)
बच्चे अशोक जैन
अनिल जैन
अजित जैन
अतुल जैन
माता-पिता हीरालाल सागरमल जैन
गौरी हीरालाल जैन
पुरस्कार पद्म श्री

भवरलाल जैन जी का जन्म महाराष्ट्र के जलगाँव जिले में स्थित वकोड़ नामक छोटे से गाँव में हुआ था। लॉ की पढाई करने के उपरांत, उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी (डिप्टी कलेक्टर) की नौकरी का ऑफर आया।[1] तेईस वर्ष के भवरलाल ने इस नौकरी को न चुन कर खेती करने का निश्चय किया। १९७४ में भवरलाल जैन ने अपने पुश्तैनी खेतों का रुख किया।[3] १९८७-८८ में उन्होंने ड्रिप इरीगेशन को बढ़ावा देने के लिए एक कंपनी की शरुवात की।[3] १९९७ में इरीगेशन एसोसिएशन (USA) ने उन्हें "क्रावफोर्ड अवार्ड" से सम्मानित किया। वह प्रथम भारतीय थे जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ था। भवरलाल जैन अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांतवाद, जैसे जैन सिद्धांतों से प्रभावित थे।[2] २५ फरवरी २०१६ को भवरलाल जैन जी का निधन हो गया।[4]

"खेती भविष्य का पेशा है" इस सूक्ति से प्रभावित होकर भवरलाल जैन ने अपने उद्योगिक सफ़र की शरुवात की। उन्होंने जलगाँव में स्थित एक बंजर जमीन खरीदकर उसे उपजाओ जमीन में दब्दील कर दिया।[5] इसे अब जैन हिल, जैन वैली, जैन फ़ूड पार्क जैसे नामों से जाना जाता है।[5] २००७ में उन्होंने अनुभूति स्कूल की स्थापना की।[6] इस स्कूल को कुछ वर्षों पूर्व 'ग्रीन स्कूल अवार्ड' मिला। भवरलाल जैन एक समाजसेवी संस्था के संस्थापक थे जो गाँव में शिक्षा प्रदान करने की और अग्रसर है।[7] 

पुस्तकें

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भवरलाल जैन जी ने कईं पुस्तकें लिखी है।

क्रमांक बुक का नाम वर्ष विषय भाषा
आजची समाज रचना, तीचे स्वरुप व पुनर्बंधानी २००१ आज की सामाजिक व्यवस्था और बदलाव मराठी
A Telling Tale २००३ जल संरक्षण अंग्रेजी
टी आनी मी २००९ भवरलाल जैन और उनकी धर्मपत्नी के बारे में मराठी
Uniting Bond २०१० २५ वर्षों का साथ अंग्रेजी
Then and Now २०११ जैन हिल का परिवर्तन अंग्रेजी
The Enlightened Entrepreneur[8] २०१३ भवरलाल जैन जी द्वारा दिये गये भाषणों का संकलन अंग्रेजी

भवरलाल जैन को २२ से अधिक रास्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।[9] २००७ में इन्हें उनेस्को-वेस्ट-नेट "वाटर कांसेर्वेर ऑफ इंडिया" अवार्ड दिया गया था [10] २००८ में विज्ञान के क्षेत्र में इनके योगदान के लिए पद्म श्री से नवाजा गया था .[11] इन्हें महाराणा प्रताप विश्वविद्यालय द्वारा डॉ ऑफ साइंस की उपाधि प्रदान की गयी थी।[12] [13]

  1. Forbes
  2. "Gandhi Research Foundation". Gandhi Research Foundation. मूल से 18 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 फ़रवरी 2016.
  3. Jain 2003, पृ॰ 10.
  4. The father of the second green revolution, Bhavarlal Jain, passes away in Mumbai, मूल से 26 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 26 फ़रवरी 2016
  5. Jain 2003, पृ॰ 10-11.
  6. "Anubhuti School". अभिगमन तिथि 27 April 2007.
  7. "Jain Charities". अभिगमन तिथि 27 April 2007.
  8. Jain, Bhavarlal H (2013-12-04), The Enlightened Entrepreneur, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788129131942
  9. "Awards Received by the Chairman B. H. Jain". मूल से 18 अप्रैल 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 April 2007.
  10. "Awards Received by the Chairman B. H. Jain". अभिगमन तिथि 3 April 2008.
  11. पद्म श्री
  12. "Doctor of Science (Honoris Causa) from Maharana Pratap University of Agriculture and Technology". मूल से 10 मार्च 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 April 2007.
  13. "Doctor of Science (Honoris Causa)from Konkan Krishi Vidhyapith". मूल से 18 अप्रैल 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 April 2008.

सन्दर्भ सूची

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