भवाली (Bhowali) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2][3]

भवाली / भुवाली,भूमेई
Bhowali
हल्द्वानी-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग से भवाली नगर का दृश्य
हल्द्वानी-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग से भवाली नगर का दृश्य
भवाली is located in उत्तराखंड
भवाली
भवाली
उत्तराखण्ड में स्थिति
निर्देशांक: 29°23′N 79°31′E / 29.38°N 79.52°E / 29.38; 79.52निर्देशांक: 29°23′N 79°31′E / 29.38°N 79.52°E / 29.38; 79.52
देश भारत
प्रान्तउत्तराखण्ड
ज़िलानैनीताल ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल6,309
भाषा
 • प्रचलितहिन्दी, कुमाऊँनी
पिनकोड263132
वाहन पंजीकरणUK-04
प्राचीन जाबर महादेव शिव मंदिर, सेनिटोरियम
उत्तराखण्ड न्यायिक एवम विधिक अकादमी, भवाली

भवाली कुमाऊँ मण्डल में आता है। कुमाऊनी में भूमेई भी कहा जाता हैं शान्त वातावरण और खुली जगह होने के कारण 'भवाली' कुमाऊँ की एक शानदार नगरी है। यहाँ पर फलों की एक मण्डी है। यह एक ऐसा केन्द्र - बिन्दु है जहाँ से काठगोदाम हल्द्वानी और नैनीताल, अल्मोड़ा - रानीखेत भीमताल - सातताल और रामगढ़ - मुक्तेश्वर आदि स्थानों को अलग - अलग मोटर मार्ग जाते हैं।

भवाली नगर अपने प्राचीन टीबी सैनिटोरियम के लिए विख्यात है, जिसकी स्थापना १९१२ में हुई थी। चीड़ के पेड़ों की हवा टी. बी. के रोगियों के लिए लाभदायक बताई जाती है। इसीलिए यह अस्पताल चीड़ के घने वन के मध्य में स्थित किया गया। श्रीमती कमला नेहरू का इलाज भी इसी अस्पताल में हुआ था। भवाली चीड़ और वाँस के वृक्षों के मध्य और पहाड़ों की तलहटी में १६८० मीटर की ऊँचाई में बसा हुआ एक छोटा सा नगर है। भवाली की जलवायु अत्यन्त स्वास्थ्यवर्द्धक है। भवाली में ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हैं। सीढ़ीनुमा खेत है। सर्पीले आकार की सड़कें हैं। चारों ओर हरियाली ही हरियाली है। घने वाँस - बुरांश के पेड़ हैं। चीड़ वृक्षों का यह तो घर ही है। और पर्वतीय अंचल में मिलने वाले फलों की मण्डी है।

जनसांख्यिकी

संपादित करें
 
गोलू देवता मंदिर, घोड़ाखाल, भवाली

भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार भवाली नगर पालिका परिषद की जनसंख्या ६,३०९ है, जिसमें से ३,३०४ पुरुष हैं जबकि ३,००५ महिलाएं हैं।[4] नगर में ०-६ साल की उम्र के बच्चों की जनसंख्या ६६८ है, जो नगर की कुल जनसंख्या का १०.५९% है।[4] भवाली नगर का लिंगानुपात ९१० महिलाएं प्रति १००० पुरुष है।[4] शहर की साक्षरता दर ९३.०७% है; ९६.४७% पुरुष और ८९.२७% महिलाऐं साक्षर ​​हैं।[4]

भवाली नगर भले ही छोटा हो परन्तु उसका महत्व बहुत अधिक हैं। भवाली के नजदीक कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनका अपना महत्व है। यहाँ पर कुमाऊँ के प्रसिद्ध गोलू देवता का प्राचीन मन्दिर है, तो यहीं पर घोड़ाखाल नामक एक सैनिक स्कूल भी है। 'शेर का डाण्डा' और 'रेहड़ का डाण्डा' भी भवाली से ही मिला हुआ है। सेनिटोरियम में प्राचीन जाबर महादेव शिव मंदिर लड़ियाकाटा की पहाड़ी की तलहटी पर स्थित है । यहाँ पर पहुचने के लिए नैनीताल भवाली मोटर मार्ग पर स्थित सेनिटोरियम गेट से पहाड़ी पर लगभग दो किमी चलना पड़ता है । इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहाँ लकड़ी का शिवलिंग प्राचीन समय से स्थापित है जो अब भी अपनी पूर्व की स्थिति में है और पुरे नैनीताल जिले का एक मात्र शिव मंदिर है जहाँ 18 फ़ीट लम्बा त्रिशूल स्थापित है।। भीमताल, नौकुचियाताल, मुक्तेश्वर, रामगढ़ अल्मोड़ा और रानीखेत आदि स्थानों में जाने के लिए भी काठगोदाम से आनेवाले पर्यटकों, सैलानियों एवं पहारोहियों के 'भवाली' की भूमि के दर्शन करने ही पड़ते हैं - अतः 'भवाली' का महत्व जहाँ भौगोलिक है वहाँ प्राकृतिक सुषमा भी है। इसीलिए इस शान्त और प्रकृति की सुन्दर नगरी को देखने के लिए सैकड़ों - हजारों प्रकृति - प्रेमी प्रतिवर्ष आते रहते हैं।

नैनीताल से भवाली की दूरी केवल ११ किनोमीटर है। नैनीतैल आये हुए सैलानी भवाली की ओर अवश्य आते हैं। कुछ पर्यटक कैंची के मन्दिर तक जाते हैं तो कुछ 'गगार्ंचल' पहाड़ की चोटी तक पहुँचते हैं। कुछ पर्यटक 'लली कब्र' या लल्ली की छतरी को देखने जाते हैं। कुछ पदारोही रामगढ़ के फलों के बाग देखने पहुँचते हैं। कुछ जिज्ञासु लोग 'काफल' के मौसम में यहाँ 'काफल' नामक फल खाने पहुँचते हैं। 'भवाली' १६८० मीटर पर स्थित एक ऐसा नगर है जहाँ मैदानी लोग आढ़ू ; सेब, पूलम (आलूबुखारा) और खुमानी के फलों को खरीदने के लिए दूर - दूर से आते हैं।

भवाली नगर के बस अड्डे से एक मार्ग चढ़ाई पर नैनीताल, काठगोदाम और हल्द्वानी की ओर जाता है। दूसरा मार्ग ढ़लान पर घाटी की ओर कैंची होकर अल्मोड़ा, रानीखेत और कर्णप्रयाग की ओर बढ़ जाता है। तीसरा मार्ग भवाली के बाजार के बीच में होकर दूसरी ओर के पहाड़ी पर चढ़ने लगता है। यह मार्ग भी अगे चलकर दो भागों में विभाजित हो जाता है। दायीं ओर का मार्ग घोड़ाखाल, भीमताल और नौकुचियाताल की ओर चला जाता है और बायीं ओर को मुड़ने वाला मार्ग रामगढ़-मुक्तेश्वर अंचल की ओर बढ़ जाता है।

इन्हें भी देखें

संपादित करें
  1. "Start and end points of National Highways". मूल से 22 सितंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 April 2009.
  2. "Uttarakhand: Land and People," Sharad Singh Negi, MD Publications, 1995
  3. "Development of Uttarakhand: Issues and Perspectives," GS Mehta, APH Publishing, 1999, ISBN 9788176480994
  4. "Bhowali City Population Census 2011 - Uttarakhand". www.census2011.co.in. मूल से 28 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 जून 2018.