भाई दयाला जी, सिख धर्म के आरम्भिक काल में बलिदान देने वाले सपूत थे।[1] उन्हें 'भाई दयाल दास' भी कहा जाता है। मतान्ध औरंगजेब के आदेश से भाई मति दास, भाई सती दास तथा नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर के साथ ही दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में कोतवाली में प्रताड़ना देकर (उबालकर) उन्हें मार दिया गया था।

भाई दयाला

जीवित अवस्था में ही उबलते पानी में भाई दयाला का चित्रण
जन्म अज्ञात
मौत 11 नवम्बर 1675
दिल्ली
मौत की वजह उबालकर हत्या
प्रसिद्धि का कारण बलिदान, पटना संगत के मसन्द थे, पटना सूबा की जिम्मेदारी
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

भाई दयाला जी मूल रूप से कश्मीर के रहने वाले थे और राजपूत थे। इनके पौत्र भाई बालू जी ने भाई परागा दास के नेतृत्व में लड़ी।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Oberoi, Harjot. (1994). The Construction of religious boundaries : culture, identity, and diversity in the Sikh tradition. Chicago, IL: University of Chicago Press. OCLC 30157084. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-226-61592-8.