भारतीय शिक्षण मण्डल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक आनुसंगिक संगठन

भारतीय शिक्षण मण्डल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक आनुसंगिक संगठन है जो शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुनरुत्थान के उद्देश्य से कार्यरत है। इसकी स्थापना सन १९६९ में रामनवमी के दिन हुई थी। इसके मुख्य उद्देश्य हैं- भारत की एकात्म जीवनदृृष्टि पर आधारित तथा देश की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक अनुभूति से उपजी, राष्ट्र के समग्र विकास पर केंद्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति, पाठ्यचर्या, व्यवस्था तथा शिक्षणविधि का विकास आदि। इसका केन्द्रीय कार्यालय नागपुर में है।

कार्यप्रणाली संपादित करें

भारतीय शिक्षण मंडल शिक्षा में पुनः भारतीयता प्रतिष्ठित करने में कार्यरत एक अखिल भारतीय संगठन है। शिक्षा नीति, पाठ्यक्रम एवं पद्धत्ति तीनों भारतीय मूल्यों पर आधारित, भारत केन्द्रित तथा भारत हित की हो, इस दृष्टि से संगठन वैचारिक, शैक्षिक और व्यावहारिक गतिविधियों का नियमित आयोजन करता है। इस निमित्त भारतीय शिक्षा मंडल ने अनुसन्धान, प्रबोधन, प्रशिक्षण, प्रकाशन तथा इन सभी के लिए संगठन - ऐसी एक पञ्चआयामी कार्यप्रणाली विकसित की है।[1]

  • (१) अनुसन्धान – सभी विषयों में भारतीय ज्ञानपरंपरा तथा भारतीय विचारदृष्टि से अनुसंधान को प्रोत्साहित करना। विश्वविद्यालयों में अध्ययन समूहों का गठन करना। भारतीयता पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार करना।
  • (२) प्रबोधन – संगोष्ठियों, सम्मेलनों एवं कार्यशालाओं के माध्यम से नीतिनिर्धारकों, शिक्षकों तथा समाज के प्रबुद्ध वर्ग में भारतीय दृष्टि जागृत करना।
  • (३) प्रशिक्षण – शिक्षक स्वाध्याय , अभिभावक उद्बोधन तथा संस्थाचालक परामर्श आदि संदर्भित कार्यशालाओं का आयोजन करना।
  • (४) प्रकाशनमराठीअंग्रेजी में मासिक तथा हिंदी में त्रैमासिक का प्रकाशन। हिंदी, असमिया, तेलुगु, गुजराती, कन्नड तथा मराठी में विविध पुस्तकें।
  • (५) संगठन – देश के 24 राज्यों में भारतीय शिक्षण मंडल की इकाइयाँ है। शिक्षा में रुचि रखनेवाले सभी लोगों के लिए साप्ताहिक ’मंडल’ तथा विषय के विशेषज्ञों के लिए 'अध्ययन समूह' का गठन।

गतिविधियाँ संपादित करें

  • महिला प्रकल्प
  • गुरुकुल प्रकल्प
  • शालेय प्रकल्प
  • शैक्षिक प्रकोष्ठ
  • अनुसन्धान प्रकोष्ठ
  • युवा आयाम
  • प्रचार व संपर्क विभाग
  • प्रकाशन विभाग

युवा आयाम – युवाओं में राष्ट्रभक्ति के साथ ही राष्ट्रगौरव का भाव जागृत करने तथा युवाओं की प्रतिभा और उत्साह को राष्ट्र समर्पण हेतु तैयार करने के उद्देश्य से भारतीय शिक्षण मंडल ने युवा आयाम प्रारम्भ किया है।

गुरुकुल प्रकल्प – भारतीय शिक्षण मंडल की मान्यता है कि गुरुकुल व्यवस्था शिक्षा की सनातन और स्थापित व्यवस्था है। वर्तमान में यह पद्धति युगानुकूल होकर भविष्योन्मुखी पद्धति का रुप धारण कर रही है तथा शिक्षा जगत की सम्पूर्ण समस्याओं और चुनौतियों का सामना करने में सक्षम सिद्ध हो रही है। इसलिए भारतीय शिक्षण मंडल आदर्श गुरुकुल तथा समाजपोषित शिक्षा व्यवस्था स्थापित करने की दिशा में प्रयासरत है।

संगठन गीत संपादित करें

भारतीय शिक्षा से हो, भारत माँ का पुनरुत्थान
विश्व गुरु के पद पर बैठी, माता पाए गौरव स्थान ॥०॥
मुक्तकरी हो विद्या फिर से, मुक्त करे जो जीवमात्र को
निर्धनता के अंधकार के, दास्यभाव के तोड़ बंध को
युक्त करी हो शिक्षा अपनी, स्वाभिमान से भर दे मन को
अर्थकरी हो स्वावलंबि हो, राष्ट्र जागरण का अभियान ॥१॥
शासन से हो पूर्ण मुक्त यह, समाजपोषित शिक्षा नीति
पूर्ण स्वतंत्र हो पूर्ण मुक्त हो, विद्वानों की शाश्वत थाती
नगर ग्राम जनपद से निकली, पूर्ण विकेन्द्रित निर्णय रीती
आर्थिक शैक्षिक सामाजिक हो, शिक्षा का स्वायत्त विधान ॥२॥
राष्ट्रभाव से पाठ भरे हों, सत्य सनातन मूल्याधिष्ठित
गौरव जागे भक्ति उपजे, सेवावृत्त में हर जन स्थापित
पूर्ण विकसित हर चरित्र हो, सर्वकला सम्पन्न सुनिश्चित
कौशल विकसे तेज भी चमके, छात्र-छात्र फिर बने महान ॥३॥
रसमय होवे सारी शिक्षा, वातावरण हो खुला प्रसन्न
नाचें गाए खेलें कूदें, चिति को सींचे खिलें सुमन
भीतर जलता ज्ञानदीप जो, करे प्रकाशित विश्व गगन
एकलव्य से शिष्य बने सब, शिक्षक सब चाणक्य समान ॥४॥
मिलजुल कर हम शिक्षा बदलें, जागृत वैचारिक आंदोलन
शोध करें हम करें जागरण, और प्रशिक्षण और प्रकाशन
नित्य करें साप्ताहिक चिंतन, गढ़ें मंडलम् गढ़ें संगठन
साथ मिलें सब साथ विचारें, साथ करें अब कार्य महान ॥५॥

सन्दर्भ संपादित करें

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें