भारत-नेपाल सीमा सड़क
भारत-नेपाल सीमा सड़क भारत–नेपाल सीमा के समीपवर्ती भारतीय क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के समानांतर से गुजरने वाली एक राजमार्ग है जो सीमा सुरक्षा बल के सीमा चौकियों (BOP) को जोड़ती है।[1][2]
भारत–नेपाल सीमा सड़क | |
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Indo-Nepal Border Highway | |
बिहार के मधुबनी जिले के उत्तरी गांव बासुकी बिहारी में भारत-नेपाल सीमा राजमार्ग का खंड | |
मार्ग की जानकारी | |
लंबाई: | 1,377 कि॰मी॰ (856 मील) |
स्थान | |
राज्य: | बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड |
विवरण
संपादित करेंभारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना की परिकल्पना जॉर्ज फ़र्नान्डिस ने की थी जो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रक्षा मंत्री थे। इस सड़क की योजना शुरू में वाजपेयी सरकार के प्रधानमंत्रित्व काल के दौरान बनाई गई थी। [3] उसके बाद नवंबर 2010 में, भारत की केन्द्रीय सरकार ने भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा के समानांतर में सड़क बनाने का फैसला किया जो बिहार से उत्तराखंड तक 1,377 किलोमीटर (856 मील) लम्बी होगी। इस परियोजना को भारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना के नाम से जाना जाता है। इस परियोजना की आधारशिला 25 जून 2013 को बिहार के सुपौल जिले में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मनमोहन सिंह सरकार के सुशील कुमार शिंदे द्वारा बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति में रखी गई थी।[4] यह सड़क बिहार में 564 किलोमीटर (350 मील), उत्तर प्रदेश में 640 किलोमीटर (400 मील) और उत्तराखण्ड में 173 किलोमीटर (107 मील) की लंबाई कवर करती है।[1] यह एसएसबी सैनिकों की आसान आवाजाही के लिए एक रणनीतिक सीमा सड़क है। परियोजना की लागत शुरू में 3,853 करोड़ रुपये आंकी गई थी। लेकिन परियोजना के पूरा होने में देरी के कारण, समय के साथ परियोजना की लागत बढ़ती गई।[5][6] बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में इस परियोजना के कार्यकारी एजेंसियां लोक निर्माण विभाग (PWD) और सड़क निर्माण विभाग (RCD) हैं।[7] सड़क के निर्माण की लागत केन्द्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी तथा भूमि अधिग्रहण की लागत संबंधित राज्य सरकारों द्वारा वहन की जाएगी।[7] बिहार में यह सड़क बिहार-पश्चिम बंगाल सीमा के पास किशनगंज जिले के गलगलिया से शुरू होती है और बिहार-यूपी सीमा के पास पश्चिम चंपारण जिले के मदनपुर में समाप्त होती है।[8] यह सड़क बिहार के सात जिलों से होकर गुजरती है। ये जिले हैं पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, [[सुपौल जिला|सुपौल] ], अररिया और किशनगंज।[4] इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में भी सड़क सात जिलों से होकर गुजरती है, वे हैं पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महराजगंज।[9][10]
उद्देश्य
संपादित करेंचूंकि भारत-नेपाल सीमाएँ खुली और छिद्रपूर्ण प्रकृति की हैं, इसलिए यह राष्ट्र-विरोधी और असामाजिक गतिविधियों के लिए संवेदनशील हो गई है। सीमावर्ती क्षेत्र अवैध घुसपैठ, मादक पदार्थों की तस्करी, जाली मुद्रा, मानव तस्करी और अन्य आपराधिक गतिविधियों जैसी समस्याओं से घिरे हुए हैं। सीमाओं की सुरक्षा के लिए भारत सरकार ने इन सीमा रेखाओं के पास एसएसबी को लगा रखी है। लेकिन इन क्षेत्रों में सड़क संपर्क की कमी के कारण एसएसबी बलों को अपने वाहनों और सैन्य परिवहन की आवाजाही में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए भारत की केंद्र सरकार ने इन क्षेत्रों में एसएसबी बलों की बीओपी को जोड़ने के लिए राजमार्ग का निर्माण शुरू किया।[1][11] सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ–साथ ही यह सड़क राजमार्ग से जुड़े क्षेत्रों के आसपास की आर्थिक गतिविधियों के लिए भी लाभदायक है।[3]
संदर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ इ "Indo-Nepal Border Road Project" (PDF).
- ↑ "CM Nitish Kumar for four-laning of Indo-Nepal border road". The Times of India. 12 January 2019. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-8257. अभिगमन तिथि 16 June 2024.
- ↑ अ आ "व्यापार को मिलेगा बढ़ावा:100 फीट चौड़ी होगी इंडो-नेपाल सीमा सुरक्षा सड़क, बदलेगी बॉर्डर के इलाकों की सूरत". Dainik Bhaskar.
- ↑ अ आ "Indo-Nepal border road to help SSB personnel keep close vigil". The Economic Times. 26 June 2013. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0013-0389. अभिगमन तिथि 16 June 2024.
- ↑ Ranjan, Abhinav (7 April 2022). "Launched in 2010, Indo-Nepal border road project is only 29% complete: CAG". India TV News (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 16 June 2024.
- ↑ "नेपाल सीमा पर 2451 करोड़ से बनेगी 400 किमी सड़क, परियोजना से यूपी के इन सात जिलों को मिलेगा लाभ - lucknow news 400 km road will be built on Nepal border with 2451 crores pilibhit shravasti lakhimpur and these seven districts of UP will get benefit from the project". Jagran. अभिगमन तिथि 16 June 2024.
- ↑ अ आ PTI (7 February 2024). "PAC expresses disappointment over delay in Indo-Nepal road project; asks MHA to finish incomplete work". ThePrint (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 16 June 2024.
- ↑ "CM Nitish Kumar for four-laning of Indo-Nepal border road". The Times of India. 12 January 2019. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-8257. अभिगमन तिथि 16 June 2024.
- ↑ "Indo Nepal Road Projects". Public Works Department, Uttar Pradesh. अभिगमन तिथि 16 June 2024.
- ↑ "नेपाल सीमा पर 2451 करोड़ से बनेगी 400 किमी सड़क, परियोजना से यूपी के इन सात जिलों को मिलेगा लाभ - lucknow news 400 km road will be built on Nepal border with 2451 crores pilibhit shravasti lakhimpur and these seven districts of UP will get benefit from the project". Jagran. अभिगमन तिथि 16 June 2024.
- ↑ "Central nod for Rs 1702cr Bihar-Nepal border road". The Times of India. 1 May 2012. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-8257. अभिगमन तिथि 16 June 2024.