भारत-बांग्लादेश संबंध
भारत और बांग्लादेश दक्षिण एशियाई पड़ोसी देश हैं और आमतौर पर उन दोनों के बीच संबंध मैत्रीपूर्ण रहे हैं, हालांकि कभी-कभी सीमा विवाद होते हैं। बांग्लादेश की सीमा तीन ओर से भारत द्वारा ही आच्छादित है। ये दोनो देश सार्क, बिम्सटेक, हिंद महासागर तटीय क्षेत्रीय सहयोग संघ और राष्ट्रकुल के सदस्य हैं। विशेष रूप से, बांग्लादेश और पूर्व भारतीय राज्य जैसे पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा बंगाली भाषा बोलने वाले प्रांत हैं। १९७१ में पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच बांग्लादेश मुक्ति युद्ध शुरु हुआ और भारत ने पूर्वी पाकिस्तान की ओर से दिसंबर १९७१ में हस्तक्षेप किया। फलस्वरूप बांग्लादेश राज्य के रूप में पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान की स्वतंत्रता को सुरक्षित करने में भारत ने मदद की।
भारत |
बांग्लादेश |
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मार्च २०२१ में बंगबन्धु शेख मुजीबुर्रहमान को मरणोपरान्त गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा हुई।
इतिहास
संपादित करेंबांग्लादेश का उद्भव 1971 के भारत पाक युद्ध के साथ हुआ। इससे पूर्व इस हिस्से को पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था तथा 1947 में भारत विभाजन के दौरान यह अस्तित्व में आया था। बांग्लादेश को स्वतंत्र कराने में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। नव मूर द्वीप बंगाल की खाड़ी में एक निर्जन टापू है।बांगलादेश में इसे दक्षिण तलपटटी और भारत में पुर्बासा के नाम से जाना जाता है। ये द्वीप भी भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद का कारण रहा है। मुहुरी नदी भारत और बांग्लादेश की सीमा रेखा बनातीं है। 44 एकङ जमीन को लेकर इस नदी के आसपास विवाद है। चकमा शरणार्थी भी विवाद का कारण है। [1]
तीस्ता जल समझौता
संपादित करेंतीस्ता नदी सिक्किम के जेमु ग्लेशियर से निकलती है , और बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र नदी से मिलती है ।
सीमा संघर्ष
संपादित करेंभारत में अवैध रूप से आए बांग्लादेशी विस्थापितों की समस्या
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ शर्मा, बी एम (2019). आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत. जयपुर: राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल. पृ॰ 92.
- ↑ "1971 से पहले बसे बांग्लादेशी भारतीय हैं : हाई कोर्ट". नवभारत टाईम्स. 22मई 2014. मूल से 22 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22मई 2014.
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