भारत के सर्वोच्च न्यायालय का कॉलेजियम

भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है. इस अनुच्छेद के अनुसार “राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के और राज्यों के उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों से, जिनसे परामर्श करना वह आवश्यक समझे, परामर्श करने के पश्चात् उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करेगा.” इसी अनुच्छेद में यह भी कहा गया है कि मुख्य न्यायाधीश से भिन्न किसी न्यायाधीश की नियुक्ति में भारत के मुख्य न्यायाधीश से जरुर परामर्श किया जाएगा. संविधान में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के सम्बन्ध में अलग से कोई प्रावधान नहीं किया गया है. पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किये जाने की परम्परा रही है. हालाँकि संविधान इस पर खामोश है. पर इसके दो अपवाद भी हैं अर्थात् तीन बार वरिष्ठता की परम्परा का पालन नहीं किया गया. एक बार स्वास्थ्यगत कारण व दो बार कुछ राजनीतिक घटनाक्रम के कारण ऐसा किया गया. 6 अक्टूबर, 1993 को एडवोकेट्स ऑन रेकॉर्ड असोसिएसन बनाम भारत संघ के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए एक निर्णय के अनुसार मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में वरिष्ठता के सिद्धांत का पालन किया जाना चाहिए.

नियुक्ति में कॉलेजियम की व्यवस्था सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को एक कॉलेजियम द्वारा अनुशंसा की जाती है. राष्ट्रपति चाहे तो अनुशंसा को स्वीकार भी कर सकता है अथवा अस्वीकार भी. यदि वह अस्वीकार करता है तो अनुशंसा वापस कॉलेजियम को लौट जाती है. यदि कॉलेजियम द्वारा अपनी अनुशंसा राष्ट्रपति को भेजता है तो राष्ट्रपति को उसे स्वीकार करना पड़ता है|