भारत भूषण
भारत भूषण हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे।
भारत भूषण | |
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जन्म |
१४ जून १९२० मेरठ, उत्तर प्रदेश |
मौत |
२७ जनवरी १९९२ मुंबई, महाराष्ट्र |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | अभिनेता |
कार्यकाल | १९४४-१९९० |
गृह-नगर | अलीगढ़, उत्तर प्रदेश |
प्रसिद्धि का कारण | बैजू बावरा |
धर्म | हिन्दू |
बच्चे |
अनुराधा भूषण अपराजिता भूषण |
पुरस्कार |
फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार, १९५४ (चैतन्य महाप्रभु) निर्माता |
व्यक्तिगत जीवन
संपादित करेंअपने अभिनय के रंगों से कालिदास, तानसेन, कबीर और मिर्जा गालिब जैसे चरित्रों को नया रूप देने वाले अभिनेता भारत भूषण का सितारा भी कभी इतनी गर्दिश में पड़ गया था कि उन्हें अपना गुजारा चलाने के वास्ते दोयम दर्जे की फ़िल्मों में छोटी-छोटी भूमिकाएं करने को मजबूर होना पड़ा था।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 1920 वैश्य जमीदार परिवार में जन्मे भारत भूषण गायक बनने का ख्वाब लिए मुंबई की फ़िल्म नगरी में पहुंचे थे, लेकिन जब इस क्षेत्र में उन्हें मौका नहीं मिला तो उन्होंने निर्माता-निर्देशक केदार शर्मा की 1941 में निर्मित फ़िल्म चित्रलेखा में एक छोटी भूमिका से अपने अभिनय की शुरुआत कर दी। 1951 तक अभिनेता के रूप में उनकी खास पहचान नहीं बन पाई। इस दौरान उन्होंने भक्त कबीर (1942), भाईचारा (1943), सुहागरात (1948), उधार (1949), रंगीला राजस्थान (1949), एक थी लड़की (1949), राम दर्शन (1950), किसी की याद (1950), भाई-बहन (1950), आंखें (1950), सागर (1951), हमारी शान (1951), आनंदमठ और मां (1952) फ़िल्मों में काम किया। भारत भूषण के अभिनय का सितारा निर्माता-निर्देशक विजय भट्ट की क्लासिक फ़िल्म बैजू बावरा से चमका।[1][2]
बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फ़िल्म की गोल्डन जुबली कामयाबी ने न सिर्फ विजय भट्ट के प्रकाश स्टूडियो को ही डूबने से बचाया, बल्कि भारत भूषण और फ़िल्म की नायिका मीना कुमारी को स्टार के रूप में स्थापित कर दिया। आज भी इस फ़िल्म के सदाबहार गीत दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। ओ दुनिया के रखवाले.., मन तड़पत हरि दर्शन को आज.., तू गंगा की मौज में जमुना का धारा.., बचपन की मुहब्बत को.., इंसान बनो कर लो भलाई का कोई काम.., झूले में पवन के आई बहार.. और दूर कोई गाए.. धुन ये सुनाए जैसे फ़िल्म के इन मधुर गीतों की तासीर आज भी बरकरार है। इस फ़िल्म से जुडे़ कई रोचक पहलू हैं। निर्माता विजय भट्ट फ़िल्म के लिए दिलीप कुमार और नर्गिस के नाम पर विचार कर रहे थे, लेकिन संगीतकार नौशाद ने उन्हें अपेक्षाकृत नए अभिनेता-अभिनेत्री को फ़िल्म में लेने पर जोर दिया। इसी फ़िल्म के लिए नौशाद ने तानसेन और बैजू के बीच प्रतियोगिता का गाना शास्त्रीय गायन के धुरंधर उस्ताद आमिर खान और पंडि़त डी.वी. पलुस्कर से गवाया। फ़िल्म की एक और दिलचस्प बात यह थी कि इसके संगीतकार, गीतकार, शकील बदायूंनी और गायक मोहम्मद रफी तीनों ही मुसलमान थे और उन्होंने मिलकर भक्ति गीत मन तपड़त हरिदर्शन को आज..जैसी उत्कृष्ट रचना का सृजन किया था। बैजू बावरा की सफलता से उत्साहित यही टीम एक बार फिर श्री चैतन्य महाप्रभु फ़िल्म के लिए जुड़ी और इसमें सशक्त अभिनय के लिए भारत भूषण को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला। कलाकारों, साहित्यकारों, संगीतकारों, भक्तों और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों को अपने सहज स्वाभाविक अभिनय के रंगों से परदे पर जीवंत करने का भारत भूषण का यह सिलसिला आगे भी जारी रहा। ठनमें प्रमुख हैं भक्त कबीर (1942), श्री चैतन्य महाप्रभु (1954), मिर्जा गालिब (1954), रानी रूपमती (1957), सोहनी महीवाल (1958), सम्राट्चंद्रगुप्त (1958), कवि कालिदास (1959), संगीत सम्राट तानसेन (1962), नवाब सिराजुद्दौला (1967) आदि।flopped.[3] He died after he escaped his financial crisis, on 27 January 1992.[4]
भारत भूषण के फ़िल्मी करियर में निर्माता-निर्देशक सोहराब मोदी की फ़िल्म मिर्जा गालिब का अहम स्थान है। इस फ़िल्म में भारत भूषण ने शायर मिर्जा गालिब के किरदार को इतने सहज और असरदार ढंग से निभाया कि यह गुमां होने लगता है कि गालिब ही परदे पर उतर आए हों। बेहतरीन गीत-संगीत, संवाद और अभिनय से सजी यह फ़िल्म बेहद कामयाब रही और इसे सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म और सर्वश्रेष्ठ संगीत के राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। इस फ़िल्म के लिए गजलों के बादशाह तलत महमूद की मखमली और गायिका, अभिनेत्री सुरैया की मिठास भरी आवाजों में गाई गई गजलें और गीत बेहद मकबूल हुए .., आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक.., फिर मुझे दीदए तर याद आया।., दिले नादां तुझे हुआ क्या है।., मेरे बांके बलम कोतवाल.., कहते हैं कि गालिब का है अंदाज-ए-बयां कुछ और भारत भूषण ने लगभग 143 फ़िल्मों में अपने अभिनय की विविधरंगी छटा बिखेरी और अशोक कुमार, दिलीप कुमार, राजकपूर तथा देवानंद जैसे कलाकारों की मौजूदगी में अपना एक अलग मुकाम बनाया। बाद में उन्होंने फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रखा, लेकिन उनकी कोई भी फ़िल्म बॉक्स आफिस पर सफल नहीं रही। उन्होंने 1964 में अपनी महत्वाकांक्षी फ़िल्म दूज का चांद का निर्माण किया, लेकिन इस फ़िल्म के भी बॉक्स आफिस पर बुरी तरह पिट जाने के बाद उन्होंने फ़िल्म निर्माण से तौबा कर ली। वर्ष 1967 में प्रदर्शित फ़िल्म तकदीर नायक के रूप में भारत भूषण की अंतिम फ़िल्म थी। इसके बाद वह माहौल और फ़िल्मों के विषय की दिशा बदल जाने पर चरित्र अभिनेता के रूप में काम करने लगे, लेकिन नौबत यहां तक आ गई कि जो निर्माता-निर्देशक पहले उनको लेकर फ़िल्म बनाने के लिए लालायित रहते थे। उन्होंने भी उनसे मुंह मोड़ लिया। इस स्थिति में उन्होंने अपना गुजारा चलाने के लिए फ़िल्मों में छोटी-छोटी मामूली भूमिकाएं करनी शुरू कर दीं। बाद में हालात ऐसे हो गए कि भारत भूषण को फ़िल्मों में काम मिलना लगभग बंद हो गया। तब मजबूरी में उन्होंने छोटे परदे की तरफ रुख किया और दिशा तथा बेचारे गुप्ताजी जैसे धारावाहिकों में अभिनय किया। हालात की मार और वक्त के सितम से बुरी तरह टूट चुके हिंदी फ़िल्मों के स्वर्णिम युग के इस अभिनेता ने आखिरकार 27 जनवरी 1992 को 72 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया[5]।
भारत भूषण मार्ग का लोकार्पण
संपादित करेंमहान फ़िल्म अभिनेता स्व. भारत भूषण मार्ग का लोकार्पण अलीगढ़ के महापौर ने किया। डॉ॰ एसए आजमी ने कहा कि भारत भूषण को महान हस्तियों में गिना जाता है। इस अवसर पर स्व. भारत भूषण के भतीजे दिनेश गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए हृदय से स्वागत किया। इसमें हास्य कवि प्रेम किशोर पटाखा,अनीस पेंटर आदि मौजूद रहे।
प्रमुख फिल्में
संपादित करेंवर्ष | फ़िल्म | चरित्र | टिप्पणी |
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1984 | कैदी | यशपाल[6] | |
1960 | मुड़ मुड़ के ना देख | प्रीतम सिंह | |
1979 | मीरा | तानसेन | |
1969 | प्यार का मौसम | गोपाल | |
1958 | फागुन | बिजौं | |
1956 | बसंत बहार | गोपाल | |
1954 | श्री चैतन्य महाप्रभु | ||
1952 | बैजू बावरा |
नामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "भारत भूषण का सितारा भी पड़ा था गर्दिश में". jagran.yahoo.com. Archived from the original on 5 जून 2011. Retrieved 15 जून 2020.
{{cite news}}
: CS1 maint: bot: original URL status unknown (link) - ↑ Raheja, Dinesh. "Bharat Bhushan, the tragic hero". Rediff.com (in अंग्रेज़ी). Archived from the original on 25 June 2003. Retrieved 2021-09-19.
- ↑ "Archived copy". Archived from the original on 14 May 2019. Retrieved 14 May 2019.
{{cite web}}
: CS1 maint: archived copy as title (link) - ↑ Sabharwal, Gopa (2007). India Since 1947: The Independent Years. India: Penguin Books. ISBN 978-0143102748. Archived from the original on 12 April 2014. Retrieved 2013-10-30.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 5 जून 2011. Retrieved 22 दिसंबर 2011.
{{cite web}}
: Check date values in:|access-date=
(help) - ↑ "Bharat Bhushan Movies". Timeofindia.com.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- भारत भूषण का सितारा भी पड़ा था गर्दिश में (दैनिक जागरण)
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