भारत दुनिया का मुख्य अगरबत्ती बनाने वाला देश है,[1] और अन्य देशों के लिए एक प्रमुख निर्यातक है (हालांकि कच्चे माल की बढ़ती लागत और अन्य कारकों के कारण निर्यात बिक्री बढ़ाने में समस्या रही है, जैसे पश्चिमी देशों में कुछ लोगों ने बिना सुगंध वाली अगरबत्ती खरीदना शुरू कर दिया है, और भारतीय कंपनियां नक़ली अगरबत्ती का उत्पादन करती हैं)। [2] भारत में हज़ारों वर्षों से लोग अगरबत्ती जलाते रहे हैं, और ऐतिहासिक रूप से भारत ने चीन और जापान जैसे अन्य एशियाई देशों में भी इस विचार का निर्यात किया है। [[

बैंगलोर के एक बाजार में बेची जा रही अगरबत्ती
 
अगरबत्ती जलाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले छेद वाले प्राचीन बर्तन

अगरबत्ती का सबसे पुराना स्रोत वेदों में है, विशेष रूप से अथर्व-वेद और ऋग्वेद में। मनभावन सुगंध और एक औषधीय उपकरण बनाने के लिए धूप बत्ती और अगरबत्ती का उपयोग किया जाता था। चिकित्सा में इसके उपयोग को आयुर्वेद का पहला चरण माना जाता है, जो धूप को चिकित्सा के एक तरीक़े के रूप में उपयोग करता है। धूप बनाना मुख्य रूप से केवल भिक्षुओं द्वारा किया जाता था। [3]

धीरे-धीरे हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने भी अगरबत्ती जलाने की परम्परा शुरू कर दी। सन 200 के आसपास कुछ भिक्षुओं ने चीन में अगरबत्ती का उपयोग आरम्भ किया।[4][5]

यह भी देखें

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अगरबत्ती
  1. "Incense Sticks". techno-preneur.ne. September 2009. मूल से 7 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 जुलाई 2019.
  2. Raj Chengappa (September 15, 1981). "Incense sticks: The fading fragrance". indiatoday.intoday.in. मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 जुलाई 2019.
  3. Oller, David. "Incense Making". मूल से 3 मार्च 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2013-08-02.
  4. Oller, David. "Incense Making". मूल से 3 मार्च 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2013-08-02.
  5. "History of Incense". मूल से 25 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-07-02.