भारत में जीवन स्तर (अंग्रेज़ी- standard of living) अलग-अलग राज्यों में भिन्न होता है। 2019 में, गरीबी घटकर लगभग 2.7% हो गई।[1] अब भारत सबसे अधिक ग़रीब लोगों वाला देश नहीं है।[2] भारतीय मध्यम वर्ग की आबादी 4 करोड़ या कुल आबादी का 3% है।[3]

उल्लेखनीय है कि भारत में आय असमानता काफ़ी है, क्योंकि भीषण ग़रीबी होने के साथ भी यहाँ दुनिया के कुछ सबसे अमीर लोग भी रहते हैं।[4] औसत आय 2013 और 2030 के बीच चौगुनी होने का अनुमान है।[5]

भारत में जीवन स्तर में बड़े पैमाने पर भौगोलिक विषमता देखी जाती है। उदाहरण के लिए, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक दरिद्रता है, जहाँ चिकित्सा देखभाल या तो अनुपलब्ध है, या केवल बुनियादी स्तर पर ही है। दूसरी ओर, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे कई महानगरीय शहरों में विश्व-स्तरीय चिकित्सा प्रतिष्ठान, शानदार होटल, खेल सुविधाएं और विकसित राष्ट्रों के समान अवकाश सुविधाएँ मौजूद हैं। इसी तरह, कुछ निर्माण परियोजनाओं में नवीनतम मशीनरी का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन कई निर्माण श्रमिक अधिकांश परियोजनाओं में मशीनीकरण के बिना काम करते हैं।[6] हालाँकि, भारत में एक ग्रामीण मध्यम वर्ग उभर रहा है, जिसमें कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि बढ़ रही है।[7]

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के 2020 के लिए विश्व आर्थिक आउटलुक के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति पीपीपी से समायोजित सकल घरेलू उत्पाद (per capita GDP based on PPP) यूएस $ 9,027 होने का अनुमान था।[8]

नई दिल्ली मेट्रो 2002 से चालू है। इसे अन्य महानगरों के लिए एक मॉडल के रूप में देखा जाता है।

क्षेत्रीय असमानता संपादित करें

विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती ग़ैर-बराबरी भारत की अर्थव्यवस्था के सामने बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। प्रति व्यक्ति आय, गरीबी, बुनियादी ढांचे की उपलब्धता और सामाजिक-आर्थिक विकास के संदर्भ में भारत के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के बीच तेज़ी से बढ़ती क्षेत्रीय विविधताएं हैं। उदाहरण के लिए, अग्रिम और पिछड़े राज्यों के बीच की वृद्धि दरों में अंतर 1980-81 से 1990–91 के दौरान 0.3% (5.2% और 4.9%) था, लेकिन 1990-91 से 1997–98 तक के दौरान 3.3% (6.3% और 3.0%) तक बढ़ गया था।[9]

पंचवर्षीय योजनाओँ के तहत भारत के अंदरूनी इलाक़ों में औद्योगिक विकास करके इस खाई को पाटने की कोशिश तो की गई, किंतु फ़ैक्टरियाँ अक्सर शहरी इलाक़ों और बंदरगाह वाले (तटीय) शहरों के आसपास ही सिमट कर रह जाती हैं। यहाँ तक कि भिलाई जैसे औद्योगिक नगरीय क्षेत्र तक से अंदरूनी इलाक़ों में कोई ख़ास विकास देखने को नहीं मिला है।[10] उदारीकरण के बाद, सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद असमानताएँ बढ़ती ही जा रही हैं। इसका एक कारण यह है कि उद्योग और सेवाओँ पर आर्थिक प्रगति के इंजन बनने का बोझ है, जबकि देश का एक बड़ा तबक़ा अपने जीवन-यापन के लिए कृषि पर निर्भर है। जो राज्य अग्रणी हैं, वहाँ बेहतर बुनियादी ढाँचा उपलब्ध है- आधुनिक बंदरगाह, शहरीकरण के साथ वहाँ के कर्मचारी शिक्षित और कार्यकुशल हैं। इससे औद्योगिक और सेवा सेक्टर इन स्थानों की ओर आकर्षित होते हैं। केंद्र सरकार और पिछड़े प्रदेशों की राज्य सरकारें टैक्स में छूट, सस्ती ज़मीन इत्यादि मुहैया करा पर्यटन जैसे अन्य क्षेत्रों को विकसित करने में जुटी हुई हैं। इसके पीछे कारण यह है कि पर्यटन भूगोल और इतिहास पर अधिक आधारित है, और इसमें तेज़ी से तरक़्क़ी होने की उम्मीद दिखाई देती है।[11][12]

ये भी देखें संपादित करें

संदर्भ संपादित करें

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 फ़रवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अप्रैल 2020.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 8 दिसंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अप्रैल 2020.
  3. Biswas, Soutik (2017-11-15). "Is India's middle class actually poor?" (अंग्रेज़ी में). मूल से 5 मार्च 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2019-04-09.
  4. "Archived copy". मूल से 4 March 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 January 2016.सीएस1 रखरखाव: Archived copy as title (link)
  5. "Average wages in India could quadruple by 2030: PwC report". thehindu.com. मूल से 7 दिसंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अप्रैल 2020.
  6. Labouring Brick by Brick: A Study of Construction Workers Archived 5 जुलाई 2010 at the वेबैक मशीन - www.sewa.org
  7. "Rural areas see middle class rise". Deccan Herald. मूल से 4 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अप्रैल 2020.
  8. "World Economic Outlook - GDP per capita". International Monetary Fund. October 2019. मूल से 23 मई 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-03-30.
  9. Datt, Ruddar & Sundharam, K.P.M. "27". Indian Economy. पपृ॰ 471–472.
  10. Bharadwaj, Krishna (1991). "Regional differentiation in India". प्रकाशित Sathyamurthy, T.V. (संपा॰). Industry & agriculture in India since independence. Oxford University Press. पपृ॰ 189–199. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-19-564394-1.
  11. Sachs, D. Jeffrey; Bajpai, Nirupam & Ramaiah, Ananthi (2002). "Understanding Regional Economic Growth in India" (PDF). Working paper 88. मूल (PDF) से 1 जुलाई 2007 को पुरालेखित. Cite journal requires |journal= (मदद)
  12. Kurian, N.J. "Regional disparities in india". मूल से 1 अक्तूबर 2005 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 August 2005.