भारत में राईट टू रिकॉल कानून
"राईट टू रिकॉल कानून (वापस बुलाने का अधिकार; वोट वापसी कानून)” भारत के कुछ राज्यों में मौजूदा कानून हैं जिनके द्वारा नागरिक सरपंच, मुखिया, पार्षद और महापौर पद पर सरकार में जनसेवकों को हटा / बदल सकते हैं |
इतिहास
संपादित करेंनिर्वाचित प्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार का इतिहास काफी पुराना है । प्राचीन काल में एंथेनियन लोकतंत्र से ही यह कानून चलन में था । बाद में कई देशों ने इस रिकॉल को अपने संविधान में शामिल किया । वैसे इतिहास यह है कि इस कानून की उत्पत्ति स्विटजरलैंड से हुई पर यह अमेरिकी राज्यों में चलन में आया । 1903 में अमेरिका के लास एंजिल्स की नगर पालिका (म्यूनिसपैलिटी), 1908 में मिशिगन और ओरेगान में पहली बार राइट टू रिकाल राज्य के अधिकारियों के लिए लागू किया गया ।
आधुनिक भारत में, सचिंद्रनाथ सान्याल ने सबसे पहले जनसेवकों को बदलने के अधिकार की मांग की थी | सचिंद्रनाथ सान्याल ने दिसम्बर 1924 में `हिंदुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसियेशन` का घोषणा पत्र लिखा था | उस घोषणा पत्र में सचिंद्रनाथ सान्याल लिखा है कि “इस गणराज्य में, मतदाताओं के पास अपने जनसेवकों के ऊपर राईट टू रिकॉल (हटाने का प्रावधान) होगा, यदि मतदाता चाहें तो, नहीं तो लोकतंत्र एक मजाक बन जायेगा | [1]
चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर रिकॉल का भारतीय लोकतंत्र में बहस का काफी लंबा इतिहास है; इस मुद्दे पर संविधान-सभा में भी बहस हुई थी | ये बहस इस धारणा पर केंद्रित थी कि मतदआतों के पास चुनाव के अधिकार होने के साथ-साथ हाताने (राईट टू रिकॉल) का अधिकार भी होना चाहिए और यदि कुछ गडबडी हो जाये तो, मतदाताओं के पास कोई उपाय होना चाहिए | लेकिन डा. बी.आर. आंबेडकर ने संविधान के इस प्रस्तावित संशोधन को स्वीकार नहीं किया |[2]
18 जुलाई 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कहा था जब वे संविधान-सभा के बहस में जनता के जनसेवकों को हटाने के अधिकार (रिकॉल) के प्रस्तावित संशोधन पर चर्चा कर रहे थे - “यदि कुछ बिरले लोग या कुछ काली भेड़े हैं जिन्होंने अपने चुनाव-क्षेत्र का विश्वास खो दिया है और फिर भी संसद में उस चुनाव-क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं, तो उन कुछ बुरे लोगों के लिए हमें अपने चुनाव-क्षेत्र (की व्यवस्था) को बिगाडना नहीं चाहिए | हमें उसे वर्तमान अवस्था में ही रहने देना चाहिए और सम्बंधित सदस्यों के सही समझ पर छोड़ देना चाहिए |” [3]
फिर भी, उसी समय कुछ सदस्यों को डर था कि बिना अविश्वास प्रस्ताव या रिकॉल के ग्राम या नगर पालिका की इकाइयां निरंकुश हो जाएँगी |[2]
भारत में सबसे पहला रिकॉल (जनता का जनसेवक को वापस भुलाने का अधिकार) उत्तर प्रदेश में सरपंच पर ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के रूप में आया | [4]
राज्य जिसमें पंचायत स्तर पर राईट टू रिकॉल के कानून हैं
संपादित करेंउत्तर प्रदेश[4], उत्तराखंड [5], बिहार [6], झारखण्ड[7], मध्य प्रदेश [8], छत्तीसगढ़ [9], महाराष्ट्र [10] और हिमाचल प्रदेश [11] के राज्यों में रिकॉल (वापस बुलाने का अधिकार) को पंचायत स्तर पर लागू किया गया है |
सरपंच पर रिकॉल (जनता द्वारा वापस बुलाने की प्रक्रिया) की प्रक्रिया 2 चरणों की प्रक्रिया है जिसको नागरिक स्वयं शुरू कर सकते हैं | राज्य अनुसार 1-2 वर्ष के सुरक्षित (लॉक-इन) अवधि के बाद, ग्राम सभा के सदस्यों की अमुक संख्या को अपने हस्ताक्षर अथवा अंगूठे के छाप याचिका के रूप में जिला के कलेक्टर के दफ्तर में देना होता है | हस्ताक्षरों की जांच के बाद, ग्राम सभा के सदस्यों की बैठक का आयोजन किया जायेगा और यदि उस बैठक में बहुमत ग्राम सभा के सदस्य, अपने सरपंच को हटाने के लिए मांग करते हैं, तो उस सरपंच को हटाया जायेगा | [4][5][6][7][8][9][10][11]
पंचायत स्तर पर राईट टू रिकॉल कानूनों की असफलता
संपादित करेंउत्तर प्रदेश में राईट टू रिकॉल 1947 से और मध्य प्रदेश में सन 2000 से है लेकिन कानून की जानकारी के अभाव में इसका प्रयोग बहुत कम हुआ है | [12]
काफी राज्यों में ग्राम निवासियों के पास अपने सरपंच को हटाने की सीधी सत्ता होने के बावजूद, इन राज्यों में भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा और व्यापक है | [13][14][15][16][17]
राज्य जिसमें नगर पालिका स्तर पर रिकॉल कानून हैं
संपादित करेंनगर पालिका के स्तर पर रिकॉल (जनसेवक को वापस बुलाने का अधिकार) मध्य प्रदेश [18], छत्तीसगढ़ [19], बिहार [20], झारखण्ड [21] और राजस्थान [22] के राज्यों में है |
सांसद और विधायक के लिए राईट टू रिकॉल के लिए प्रस्तावित विधेयक
संपादित करेंमतदाताओं के जनसेवकों को वापस बुलाने के अधिकार (राईट टू रिकॉल) सम्बंधित संविधान का संशोधन विधेयक लोकसभा में सी.के. चंद्रप्पन द्वारा 1974 में रखा गया था और अटल बिहारी वाजपयी ने इसका समर्थन भी किया था लेकिन ये विधेयक पारित नहीं हुआ | [23] समाज सेवी अन्ना हजारे ने भी अपने विरोध सभा के समय, राईट टू रिकॉल और राईट टू रिजेक्ट के लिए अभियान चलाया था | [24]
चुनाव आयोग ने राईट टू रिकॉल का विरोध किया है और भारतीय राजनीति में इसपर काफी चर्चा भी हुई है | [25][26][27][28]
वरुण गाँधी ने जनप्रतिनिधि अधिनियम (संशोधन) 2016 को एक निजी विधेयेक के रूप में लोकसभा में रखा था | [29][30]
प्रधानमन्त्री और मुख्यमंत्रियों पर राइट टू रिकॉल कानून के लिए अभियान
संपादित करेंराहुल चिमनभाई मेहता एक आई आई टी दिल्ली स्नातक, जो की एक भारतीय कार्यकर्ता है, उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका से लौटने के बाद 1999 में भारत में प्रधान मंत्री और मुख्यमंत्री पदों पर पहली बार राइट टू रिकॉल कानूनों के लिए लिखित ड्राफ्ट आधारित अभियान शुरू किया। [31] उन्होंने अपनी पुस्तक वोट वापसी धन वापसी में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रीयो को वापस बुलाने के लिए लिखित मसौदे का प्रस्ताव रखा।[32] उन्होंने 2006 में राइट टू रिकॉल ग्रुप बनाया और अपने मसौदे को बढ़ावा देने के लिए चुनाव लड़ना शुरू किया।[31]
राइट टू रिकॉल समूह के गठन के 3 साल बाद, मेहता और उनके साथीयो ने चुनाव को एक उपकरण के रूप में उपयोग करके अपने प्रस्तावित मसौदों को अधिक प्रचार देने के लिए एक राजनीतिक पार्टी बनाना चाहा और 2019 में उन्होंने राइट टू रिकॉल पार्टी की स्थापना की और मेहता इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।[33] मेहता अपने ड्राफ्ट को बढ़ावा देने के लिए गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र और घाटलोडिया विधानसभा क्षेत्र से अब तक कई चुनाव लड़ चुके है ।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Letter, Writtings and Statements of Shaheed Bhagat Singh and his Copatriots http://www.shahidbhagatsingh.org/index.asp?link=revolutionary Archived 2018-03-24 at the वेबैक मशीन
- ↑ अ आ Journal of Constitutional and Parliamentary Studies January - December 2015 https://ipsdelhi.org.in/wp-content/uploads/2019/06/Right-to-Recall-in-India-An-Analysis-Kota-Neelima-1.pdf Archived 2019-06-29 at the वेबैक मशीन
- ↑ CONSTITUENT ASSEMBLY OF INDIA DEBATES (PROCEEDINGS)-VOLUME IV Friday, the 18th July 1947 http://164.100.47.194/loksabha/writereaddata/cadebatefiles/C18071947.html Archived 2019-06-29 at the वेबैक मशीन
- ↑ अ आ इ संयुक्त प्रान्त पंचायत राज अधिनियम 1947, खंड 14 http://panchayatiraj.up.nic.in/docs/ActsnRules/GP-Act-1947-Hindi.pdf Archived 2019-07-14 at the वेबैक मशीन
- ↑ अ आ उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 http://ukpanchayat.org/pdf/Panchayati-Raj-Adhiniyam-2016.pdf Archived 2018-07-12 at the वेबैक मशीन
- ↑ अ आ बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 http://biharprd.bih.nic.in/StateActRules/ACT_Bihar%20Panchayat%20Raj%20Act%202006%20-%20Hindi.pdf Archived 2018-12-22 at the वेबैक मशीन
- ↑ अ आ झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम, 2001 http://secjharkhand.nic.in/pdf/act_rule/P%20R%20Act%20-%20Hindi.pdf
- ↑ अ आ The M.P. Panchayat Raj Avam Gram Swaraj Adhiniyam, 1993 http://www.bareactslive.com/MP/MP558.HTM Archived 2019-06-29 at the वेबैक मशीन
- ↑ अ आ The Chhattisgarh Panchayat Raj Adhiniyam, 1993 http://www.bareactslive.com/Ch/CG043.HTM Archived 2019-06-29 at the वेबैक मशीन
- ↑ अ आ THE MAHARASHTRA VILLAGE PANCHAYATS ACT https://mahasec.maharashtra.gov.in/Site/Upload/GR/The%20Maharashtra%20Village%20Panchayts%20Act.pdf[मृत कड़ियाँ]
- ↑ अ आ THE HIMACHAL PRADESH PANCHAYATI RAJ ACT, 1994 https://hppanchayat.nic.in/PDF/THE%20HIMACHAL%20PRADESH%20PANCHAYATI%20RAJ%20ACT,%201994(Final).pdf Archived 2018-05-16 at the वेबैक मशीन
- ↑ MP: ‘Right to Recall’ in Panchayats not exercised https://zeenews.india.com/news/madhya-pradesh/mp-right-to-recall-in-panchayats-not-exercised_731873.html Archived 2019-06-29 at the वेबैक मशीन
- ↑ PMAY: Corruption Brings Housing Construction to a Standstill in UP’s Village https://www.videovolunteers.org/pmay-corruption-brings-housing-construction-to-a-standstill-in-ups-village/ Archived 2019-06-29 at the वेबैक मशीन
- ↑ Thane: Woman Sarpanch Accepts Rs. 2.5 Lakh Bribe By Cheque, Arrested https://www.ndtv.com/cities/thane-woman-sarpanch-accepts-rs-2-5-lakh-bribe-by-cheque-arrested-584091 Archived 2019-06-29 at the वेबैक मशीन
- ↑ बेलगांव सरपंच ने पीएम आवास में लांघी भ्रष्टाचार की सीमा http://www.palpalindia.com/2017/11/07/anuppur-mp-Belgaum-Sarpanch-PM-Housing-Scheme-Corruption-Interests-Bribery-news-in-hindi-216877.html Archived 2019-06-29 at the वेबैक मशीन
- ↑ सचिव सरपंच की मिलीभगत से पंचायत के लाखों रुपए के कामों में हेराफेरी का आरोप, आंगनवाड़ी भवन बना खंडहर, दीवारों में आईं दरारें https://www.newindiatimes.net/?p=44496
- ↑ बिहार में पंचायती राज नहीं, मुखियाराज है https://www.chauthiduniya.com/india/its-not-panchayati-raj-in-bihar-its-mukhiya-raj.html Archived 2019-07-14 at the वेबैक मशीन
- ↑ The Madhya Pradesh Municipalities Act, 1961 http://www.mpurban.gov.in/pdf/MunicipalCorporationACT1961.pdf Archived 2018-07-12 at the वेबैक मशीन
- ↑ The Chhattisgarh Municipalities Act, 1961 Complete Act https://www.legalcrystal.com/act/134620/the-chhattisgarh-municipalities-act-1961-complete-act Archived 2019-06-29 at the वेबैक मशीन
- ↑ बिहार नगरपालिका विधेयेक 2007 http://urban.bih.nic.in/Acts/AR-02-29-03-2007.pdf Archived 2019-03-03 at the वेबैक मशीन
- ↑ The Jharkhand Municipal Act, 2011 Complete Act https://www.legalcrystal.com/act/135068/the-jharkhand-municipal-act-2011-complete-act Archived 2019-06-29 at the वेबैक मशीन
- ↑ राजस्थान नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम, 2010 http://www.lawsofindia.org/pdf/rajasthan/2010/2010Rajasthan19.pdf Archived 2019-06-29 at the वेबैक मशीन
- ↑ "Vajpayee, Atal Bihari (5 September 1996). "State of the Nation". Shipra Publications".
- ↑ बड़ा परिवर्तन ला सकता है राइट टू रिकॉल और राइट टू रिजेक्ट “https://hindi.oneindia.com/news/2011/08/28/anna-hazare-next-fight-right-to-recall-right-to-reject-aid0046.html”[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 जुलाई 2019.
- ↑ A Critical Take On ‘Right To Recall’https://web.archive.org/web/20180726071205/https://www.livelaw.in/critical-take-right-recall/
- ↑ "The Dramatic Decade – Landmark Cases of Modern India: Landmark Cases of Modern India".
- ↑ "Indian Youth and Electoral Politics: An Emerging Engagement"".
- ↑ संसद में पेश होगा अच्छा काम नहीं करने पर सांसदों, विधायकों को वापस बुलाने वाला निजी विधेयक “https://navbharattimes.indiatimes.com/india/varun-gandhi-will-introduce-private-bill-in-loksabha-to-recall-mps-mlas-for-non-performance/articleshow/57395453.cms Archived 2019-07-15 at the वेबैक मशीन"
- ↑ MP-MLA को हटाने का मिले अधिकार, वरुण गांधी ने लोकसभा में पेश किया प्राइवेट बिल https://money.bhaskar.com/news/MON-ECN-POLI-varun-gandhi-private-bill-says-voters-should-get-right-to-recall-business-news-h-553981.html”[मृत कड़ियाँ]
- ↑ अ आ "Fight For Recall Right". Ahemdabad Mirror द टाइम्स ऑफ़ इंडिया. अभिगमन तिथि 2023-04-21.
- ↑ Mehta, Rahul Chimanbhai; Sharma, Pawan Kumar (2020-12-14). VoteVapsi DhanVapsi: Manifesto of Right to Recall Party (registered). Rahul Chimanbhai Mehta.
- ↑ "Bet you hadn't heard of these political parties in India". Yahoo News (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-04-20.