भाषिका (lect) किसी भाषा या उपभाषा सतति का एक विशिष्ट रूप होती है। यह भाषा, उपभाषा, भाषा प्रयुक्ति, भाषा शैली या अन्य भाषा रूप हो सकती है। भाषाविज्ञान में किसी विशेष भाषा रूप को मानक भाषा कहकर उसे एक उच्च-प्रतीत होने वाला स्थान दिया जाता है जबकि अन्य रूपों को अक्सर उपभाषा कहकर उन्हें निम्न प्रतीत होने वाला स्थान दिया जाता है। इस कारणवश इनकी परिभाषा को लेकर भाषावैज्ञानिकों में आपसी विवाद लगा रहता है। "भाषिका" शब्द में ऐसा कोई विवाद नहीं होता और मानक भाषाएँ व उपभाषाएँ सभी भाषिका की परिभाषा में आ सकती हैं।[1][2]

इन्हें भी देखें

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  1. Meecham, Marjorie and Janie Rees-Miller. (2001) "Language in social contexts." In W. O'Grady, J. Archibald, M. Aronoff and J. Rees-Miller (eds) Contemporary Linguistics. pp. 537-590. Boston: Bedford/St. Martin's.
  2. Schilling-Estes, Natalies. (2006) "Dialect variation." In R.W. Fasold and J. Connor-Linton (eds) An Introduction to Language and Linguistics. pp. 311-341. Cambridge: Cambridge University Press.