मंगलूरु

कर्णाटक का एक शहर
(मंगलुरु से अनुप्रेषित)

मंगलूरु (Mangalore), जिसे मंगलूर और मैंगलोर भी कहा जाता है, भारत के कर्नाटक राज्य के दक्षिण कन्नड़ ज़िले में अरब सागर के तट पर स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय है और कर्नाटक के महत्वपूर्ण शहरों में गिना जाता है। शहर के उत्तर में गुरुपुर नदी और दक्षिण में नेत्रवती नदी पूर्व से आकर गुज़रती हैं और सागर में विलय होती हैं। शहर के पूर्व में पश्चिमी घाट की पहाड़ियाँ हैं।[6][7]

मंगलूरु
Mangalore
ಮಂಗಳೂರು
मंगलूर शहर का विहंगम दृष्य
मंगलूर शहर का विहंगम दृष्य
मंगलूरु is located in कर्नाटक
मंगलूरु
मंगलूरु
कर्नाटक में स्थिति
निर्देशांक: 12°55′N 74°51′E / 12.92°N 74.85°E / 12.92; 74.85निर्देशांक: 12°55′N 74°51′E / 12.92°N 74.85°E / 12.92; 74.85
ज़िलादक्षिण कन्नड़ ज़िला
प्रान्तकर्नाटक
देश भारत
ऊँचाई22 मी (72 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • शहर4,84,785[1]
 • महानगर6,19,664[2]
भाषाएँ
 • प्रचलिततुलू, कन्नड़
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड575001 से 575030
दूरभाष कोड0824
वाहन पंजीकरणKA-19, KA-62[3]
लिंगानुपात1.016[4]
साक्षरता94.03%[5]
वेबसाइटwww.mangalurucity.mrc.gov.in

नामोत्पत्ति

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मंगलादेवी मंदिर, जिनपर शहर का नाम पड़ा है

शहर का नाम मंगलादेवी पर पड़ा है, जो स्थानीय अधिदेवी हैं।

अन्य भाषाओं में नाम

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मंगलूरु में कॉनिज़ेंट कम्पनी का कार्यालय
 
नेत्रवती नदी पर सूर्यास्त

अरब सागर और पश्चिमी घाट के बीच बसा मंगलौर सदियों से वाणिज्यिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है। कर्नाटक की नेत्रावती और गुरूपुरा नदियों के संगम स्थल पर बसा मंगलौर कर्नाटक के दक्षिण पश्चिमी तट पर स्थित है। मंगलौर को प्राचीन काल में 'नौरा' नाम से भी जाना जाता था। मंगलौर नाम मंगला देवी मंदिर के नाम पर पड़ा। मंगलादेवी अलुपा राजवंश की कुलदेवी थीं। यह मंदिर केरल की राजकुमारी की याद में बनवाया गया था।

पर्यटन स्थल

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मंगलादेवी मंदिर[8]

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इसी मंदिर के नाम पर इस शहर का नाम मंगलौर पड़ा। यह मंदिर शहर के मुख्य बस स्टैन्ड से 3 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर को अट्टावर के बलाल वंश द्वारा केरल की राजकुमारी की याद में बनवाया गया था।

कादरी मंजूनाथ मंदिर

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यह ऐतिहासिक मंदिर 1068 ई. में बना था। वर्ग के आकार के इस मंदिर में नौ टैंक है और यह सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर में स्थापित लोकेश्वर की प्रतिमा को कांस्‍य धातु की सबसे उत्तम प्रतिमा माना जाता है। मंदिर की चोटी पर जोगीमठ है जिसे राजा कुंडवर्मा भूपेन्द्र ने बनवाया था। पहाड़ी की चोटी पर ही पत्थरों की गुफाएं हैं जिन्हें पांड़वों की गुफाओं के नाम से भी जाना जाता है।

सेन्ट अलोयसियस चर्च

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यह चर्च नेहरू मैदान बस स्टैन्ड से 1 किलोमीटर दूर है। चर्च की दीवारों को इटली के कलाकार एन्टोनी मोशायनी की पेंटिग ने ढ़क रखा है। चर्च का निर्माण 1899-1900 में हुआ था। सेन्ट अलोयसियस कॉलेज चेपल लाइटहाउस हिल पर स्थित है जिसकी तुलना रोम के सिसटीन चेपल से की जाती है।

श्री शरावू महागणपति मंदिर

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शरावु महागणपति मंदिर परिसर में अनेक मंदिर हैं जो शरावु, कादरी, मंगलादेवी और कुदरोली को समर्पित हैं। इन सभी मंदिरों में 800 साल पुराना श्री शरावु शाराबेश्वर मंदिर सबसे लोकप्रिय है। यह मंदिर श्री गणपति क्षेत्र में स्थित है।

लाइटहाउस हिल गार्डन

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कहा जाता है कि अठारहवीं शताब्दी में बना इस लाइटहाउस को हैदर अली ने बनवाया था। बस स्टैन्ड से 1किलोमीटरकी दूरी पर यह लाइटहाउस बना हुआ है। यहां एक गार्डन भी है जहां से समुद्र के खूबसूरत नजारे देखे जा सकते हैं।

सुल्तान बत्तेरी

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सुल्तान बत्तेरी को अठारहवीं शताब्दी में टीपू सुलतान ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से बनवाया था। इसका निर्माण दुश्मन के जहाजों को गुरपुरा नदी में प्रवेश से रोकने के लिए हुआ था। इसका ढांचा किले जैसा है। काले पत्थरों से बना यह मंगलौर सिटी बस स्टैंड़ से 6 किलोमीटर दूर बेल्‍लूर में स्थित है।

श्रीमंथी बाई मेमोरियल म्यूजियम

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यह संग्रहालय कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम के बस स्टैन्ड के पीछे स्थित है। यहां प्राचीन काल के अवशेषों का संग्रह देखा जा सकता है। हनुमान और भैरव की लकड़ी की मूर्ति पर नक्काशी और 13वीं शताब्दी की पत्थरों की आकृतियां यहां देखी जा सकती हैं।

मंगलौर से 20 किलोमीटर दूर पोलाली में राजा राजेश्वरी मंदिर है जिसमें 10 फीट ऊंची मिट्टी की प्रतिमा है। इसे भारत की सबसे ऊंची मिट्टी की मूर्ति माना जाता है।

मालपे समुद्र तट

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यहाँ का शांत और मनोरम वातावरण पर्यटकों को कुछ ज्‍यादा ही आकर्षित करता है। मंगलौर से 66 किलोमीटर दूर उत्तर में यह समुद्र तट स्थित है।

मंगलौर से 50 किलोमीटर दूर यह एक छोटा सा नगर है जो आठ जैन बस्ती और महादेव मंदिर के लिए लोकप्रिय है। यहां सत्रहवीं शताब्दी में बनी 11 मीटर ऊंची बाहुबली की प्रतिमा देखी जा सकती है जो गुरूपुर नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है।

मंगलौर से 30 किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित कटील में दुर्गा परमेश्वरी मंदिर है जो नंदिनी नदी के बीच में बना हुआ है। हालांकि यह मंदिर एक आधुनिक रचना है लेकिन इसकी नींव को काफी प्राचीन माना जाता है। यहां नवरात्रि के अवसर पर हरि‍ कथा और यक्षगान विशेषकर दशावतार का आयोजन किया जाता है।

महामाया मंदिर

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इस मंदिर का इतिहास लगभग 2000 साल पुराना है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है।

  • वायुमार्ग- मंगलौर से 20 किलोमीटर दूर बाजपे नजदीकी एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट बैंगलोर, चैन्नई और मुम्बई से नियमित फ्लाइटों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
  • रेलमार्ग- मंगलौर जंक्शन भारत के प्रमुख शहरों से विभिन्न ट्रेनों से जुड़ा हुआ है।
  • सड़क मार्ग- मंगलौर राज्य परिवहन की बसों से कर्नाटक के प्रमुख शहरों से जुड़ा है। बैंगलोर से प्रतिदिन रात्रि में डीलक्स बसें मंगलौर के लिए रवाना होती हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग ६६, राष्ट्रीय राजमार्ग ७३ और राष्ट्रीय राजमार्ग १६९ इसे कई अन्य नगरों से जोड़ते हैं।

इन्हें भी देखें

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  1. "Cities having population 1 lakh and above" (PDF). Census of india. अभिगमन तिथि 13 August 2019.
  2. "Urban Agglomerations/Cities having population 1 lakh and above" (PDF). Census of India. अभिगमन तिथि 13 August 2019.
  3. Shenoy, Jaideep (16 February 2017). "Surathkal all set to get a new RTO in next 20 days". The Times of India. अभिगमन तिथि 13 March 2020.
  4. Kumar, T K Anil. "Primary census abstract data highlights" (PDF). censuskarnataka.gov.in. पृ॰ 69. अभिगमन तिथि 5 March 2020.
  5. "Cities having population 1 lakh and above, Census 2011" (PDF). censusindia.gov.in. अभिगमन तिथि 4 October 2015.
  6. "Lonely Planet South India & Kerala," Isabella Noble et al, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012394
  7. "The Rough Guide to South India and Kerala," Rough Guides UK, 2017, ISBN 9780241332894
  8. "Mangalore temple trip". Mangalore Travels Corporation (अंग्रेज़ी में). 2022-08-16. अभिगमन तिथि 2023-09-15.