मजबूर (1974 फ़िल्म)
मजबूर 1974 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसे रवि टंडन द्वारा निर्देशित किया गया और पटकथा सलीम-जावेद द्वारा लिखी गई। फिल्म में अमिताभ बच्चन, परवीन बॉबी, प्राण, मदन पुरी, रहमान और फरीदा जलाल हैं।[1] संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का है और गीत आनंद बख्शी के थे।
मजबूर | |
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मजबूर का पोस्टर | |
निर्देशक | रवि टंडन |
लेखक | सलीम-जावेद |
निर्माता | प्रेमजी |
अभिनेता |
अमिताभ बच्चन, परवीन बॉबी, प्राण, फरीदा ज़लाल, सत्येन्द्र कपूर |
संगीतकार | लक्ष्मीकांत प्यारेलाल |
प्रदर्शन तिथियाँ |
6 दिसम्बर, 1974 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंरवि खन्ना (अमिताभ बच्चन) अपनी विधवा मां, पहियाकुर्सी पर रहती बहन (फरीदा ज़लाल) और छोटे भाई के साथ खुशी से रहता है। वह एक ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित है और उसके पास जीने के लिए केवल 6 महीने हैं। अपने परिवार के लिए पैसे पाने के प्रयास में, वह एक हत्या की ज़िम्मेदारी ले लेता है। इससे उसे फिरौती की राशि में 5,00,000 रुपये मिलते। वह पुलिस को उस तक पहुँचने के लिये निशान छोड़ता है और उसे दोषी ठहराया जाता है। जेल में रहते हुए, उस पर हमला होता है और जेल अधिकारी उसे अस्पताल ले जाते हैं जहां उसका सफल ऑपरेशन होता है। अब, वह अपहरण, फिरौती और हत्या के लिए दोषी पाया गया अपराधी है।
मौत की सजा से खुद को बचाने के लिए, वह असली हत्यारे की तलाश में अस्पताल से भाग जाता है। उसे माइकल डिसूजा (प्राण) नाम के एक चोर की मदद मिलती है। कई मोड़ और घुमाव के बाद, साजिश सामने आती है, जहां अपराधी की असली पहचान सामने आती है। रवि खन्ना फिर आज़ाद आदमी बन जाता है।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- अमिताभ बच्चन — रवि खन्ना
- परवीन बॉबी — नीलू
- प्राण — माइकल डिसूज़ा
- फरीदा ज़लाल — रेनू खन्ना
- सत्येन्द्र कपूर — नरेन्द्र सिन्हा
- सुलोचना लाटकर — श्रीमती खन्ना
- इफ़्तेख़ार — पुलिस इंस्पेक्टर खुराना
- डी के सप्रू — नीलू के पिता
- मदन पुरी — महिपत राय
- के एन सिंह — सरकारी वकील
- रहमान — सुरेन्द्र सिन्हा
- मैक मोहन — प्रकाश
- मुराद — जज
- जगदीश राज — पुलिस इंस्पेक्टर कुलकर्णी
संगीत
संपादित करेंसभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "दारू की बोतल में" | किशोर कुमार | 4:54 |
2. | "देख सकता हूँ" (I) | किशोर कुमार | 4:52 |
3. | "देख सकता हूँ" (II) | लता मंगेशकर | 4:51 |
4. | "रूठे रब को मनाना" | मोहम्मद रफी, आशा भोंसले | 6:39 |
5. | "आदमी जो कहता है" | किशोर कुमार | 6:32 |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "टॉप की हीरोइन बनने से लेकर गुमनाम मौत तक, जानिए परवीन बॉबी की ये अनसुनी बातें". दैनिक जागरण. मूल से 15 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 अप्रैल 2019.