मथुरानाथ तर्कवागीश[1] नवद्वीप के विद्वन्मुकुट नैयायिक थे। इनके विशिष्ट पांडित्य के संमान में इन्हें "तर्कवागीश" कहा जाता था, इन्होंने "तत्त्वचिंतामणि" पर "रहस्य" नामक टीका की रचना की है। सचमुच "रहस्य" के बिना तत्वचिंतामणि के अनेक स्थान रहस्य ही रह जाते हैं। इन्हें 16वीं शाताब्दी में विद्यमान माना जाता है।

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सन्दर्भ संपादित करें

  1. "मथुरानाथ की कृतियां". मूल से 3 मार्च 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.

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