मदन महल
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ज़मीन से लगभग ५०० मीटर की ऊँचाई पर बने इस मदन महल की पहाड़ी काफी पुरानी मानी जाती है। इसी पहाड़ी पर गौंड़ राजा मदन शाह[1] द्वारा एक चौकी बनवायी गई। इस किले की ईमारत को सेना अवलोकन पोस्ट के रूप में भी इस्तमाल किया जाता रहा होगा।[2] [3] इस इमारत की बनावट में अनेक छोटे-छोटे कमरों को देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ रहने वाले शासक के साथ सेना भी रहती होगी। शायद इस भवन में दो खण्ड थे। इसमें एक आंगन था और अब आंगन के केवल दो ओर कमरे बचे हैं। छत की छपाई में सुन्दर चित्रकारी है। यह छत फलक युक्त वर्गाकार स्तम्भों पर आश्रित है। माना जाता है, इस महल में कई गुप्त सुरंगे भी हैं जो जबलपुर के 1000 AD में बने '६४ योगिनी 'मंदिर से जोड़ती हैं।
यह दसवें गोंड राजा मदन शाह का आराम गृह भी माना जाता है। यह अत्यन्त साधारण भवन है। परन्तु उस समय इस राज्य कि वैभवता बहुत थी। खजाना मुग़ल शासकों ने लूट लिया था।
गढ़ा-मंडला में आज भी एक दोहा प्रचलित है - मदन महल की छाँव में, दो टोंगों के बीच। जमा गड़ी नौं लाख की, दो सोने की ईंट।
यह भवन अब भारतीय पुरातत्व संस्थान की देख रेख में है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Madan Mahal Fort, Jabalpur". Madan Mahal Fort Photos, Sightseeing -NativePlanet. Dec 19, 2016. मूल से 24 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि Dec 24, 2017.
- ↑ "संगमरमरी जबलपुर की सैर". वेब दुनिया. मूल से 16 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 जनवरी 2017.
- ↑ Outlook Traveller (फ़्रेंच में). Outlook Publishing. पृ॰ 65. अभिगमन तिथि Dec 24, 2017.