डॉ मधुकर गंगाधर (७ जनवरी, १९३३ - ०६ दिसम्बर २०२०) हिन्दी के कथाकार एवं कवि थे। उन्होंने आकाशवाणी के पटना केंद्र में काम किया जहाँ वे फणीश्वरनाथ रेणु के सहयोगी थे। साथ ही इलाहाबाद में ऑल इंडिया रेडियो के निदेशक और दिल्ली आकाशवाणी में उप महानिदेशक थे।

वे 'नई कहानी' आंदोलन के प्रमुख कहानीकारों में से थे। हिदी के यशस्वी लेखक फणीश्वरनाथ रेणु और कमलेश्वर के मित्र थे।

जीवनी संपादित करें

मधुकर गंगाधर का जन्‍म पूर्णिया जिले के रुपौली स्थित झलारी गाँव में 1933 ई. में हुआ था। वे उनतीस वर्ष तक ऑल इंडिया रेडियो की सेवा से जुड़े रहे।

हिन्दी साहित्य रचना संपादित करें

मधुकर जी ने अनेक विधाओं में लेखन किया। उनकी प्रकाशित कृतियों में दस कहानी-संग्रह, आठ उपन्‍यास, चार कविता-संग्रह, तीन संस्‍मरण पुस्‍तकें, तीन नाठक और चार अन्‍य विधाओं की रचनाएँ शामिल हैं। उपन्‍यासों के नाम हैं-मोतियों वाले हाथ (१९६२), यही सच है (१९६४), उत्‍तरकथा (१९८४), फिर से कहो, सातवीं बेटी (१९७६), गर्म पहलुओं वाला मकान ९१९८३), सुबह होने तक (१९७८) तथा जयगाथा (२००९), धुवान्तर (२०१४), भीगी हुई लड़की (२०१६), नील कोठी (२०२०)।

सौ से ज्यादा कहानियां लिखी हैं, जो चार खण्डों में मुकुल प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुई हैं। कहानी-संग्रह हैं- तीन रंग : तेरह चित्र, हिरना की आँखें, नागरिकता के छिलके, मछलियों की चीख, गाँव कसबा नगर, गर्म गोश्‍त : बर्फीली तासीर, शेरछाप कुर्सी, बरगद, सौ का नोट तथा उठे हुए हाथ।

इसके अलावा अन्य विधाओं में छः कविता संग्रह, तीन संस्मरण हर विधाओं में अपनी पहचान बनायी थी। उन्होने बांग्ला के 'ढ़ोढ़ाय चरित मानस' का हिदी में रूपान्तरण किया था ।

वे 'अंतिम-यात्रा' लिख रहे थे, ऐसा लगता था कि उन्हें अपनी अंतिम-यात्रा का आभास पहले ही हो चुका था।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें