मलाकंद दर्रा (Malakand Pass) पाकिस्तान में पेशावर के ६० किमी उत्तर, उत्तर-पूर्व स्थित दक्षिणी स्वात क्षेत्र में एक दर्रा है।[1] प्रशासनिक रूप से यह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मलाकंद जिले में स्थित है।

मलाकन्द दर्रे में प्रवेश कराती सुरंग

सामरिक रूप से यह एक महत्वपूर्ण भौगोलिक संरचना है। इस दर्रे से होकर एक प्राचीन बौद्धकालीन सड़क जाती है। १६वीं शताब्दी के प्रारंभ में यूसुफजाई पठानों ने इसी दर्रे में से होकर स्वात घाटी में प्रेवश किया था। ब्रिटिश काल में इसी दर्रे और इसके उत्तरी भाग में १८९७ ई॰ में भारतीय और ब्रिटिश सेनाओं का स्वात क्षेत्र के पठान विद्रोहियों से युद्ध हुआ था जिसे मलाकंद की लड़ाई के नाम से जाना जाता है।[2] इस लड़ाई में भारतीय-ब्रिटिश सेनाएँ विजयी रहीं थीं।

ध्यातव्य है कि पाकिस्तान की मलाकंद डिविजन ही वह प्रमुख क्षेत्र है जहाँ मलाला युसुफजई ने लड़कियों को स्कूल पहुँचाने के लिये संघर्ष छेड़ रखा है[3]

समीप में स्थित मलाकंद गाँव में जलविद्युतगृह है।

  1. मैपकार्टा में मानचित्र पर देखें
  2. "The Battle of Malakand 1897 (मलाकंद की लड़ाई)". मूल से 25 जून 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 जून 2014.
  3. मलाला ने दिखाया स्कूल का रास्ता
पाकिस्तान के प्रमुख दर्रे  
किलिक दर्रा | कोहाट दर्रा | ख़ुंजराब दर्रा | ख़ैबर दर्रा | गोमल दर्रा | चापरोट दर्रा | दोर्राह दर्रा | नलतर दर्रा | बोलन दर्रा | बाबूसर दर्रा | मलखंड दर्रा | मिंटका दर्रा | लोवारी दर्रा | हायल दर्रा