मस्तिष्क मानचित्रण तंत्रिका-विज्ञान की तकनीक है जो की मस्तिष्क में चल रही सारी मानवीय क्रिया तथा शारिरिक स्थितियों की भावी परिस्थितियों को तय करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। मस्तिष्क, सारी मानवीय क्रिया का केंद्र होता है इसलिए मानचित्रण करके हम किसी भी घटित घटना का चित्रण दोबारा से कर सकते हैं।[1]

मस्तिष्क मानचित्रण द्वारा परीक्षण

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मनुष्य जब भी कोई दृश्य देखता है वह उसके मस्तिष्क में रिकॉर्ड हो जाता है। इसके पश्चात जब भी उस दृश्य से संबंधित दृश्य दिखाए जाते हैं तो उसकी मस्तिष्क की तरंगे स्वाभाविक अनुक्रिया व्यक्त करती हैं। इन्हें सेंसर की मदद से रिकॉर्ड कर लिया जाता है। उसके बाद इन रिकार्डे किए गए अनुक्रियाओं का परीक्षण किया जाता है। इस परीक्षण से पता लगाया जाता है की व्यक्ति ने जिस दृश्य का वर्णन किया है उसने वह विशेष दृश्य स्वयं देखा है या नहीं। सारी तंत्रिका चित्रण भी मस्तिष्क मानचित्रण का ही भाग है। मस्तिष्क से निकलने वाली तरंगे जब रिकॉर्ड की जाती हैं तो उसकी मदद से कोन्नेक्टोग्राम (अंग्रेज़ी: connectogram) बनता है जो कि मस्तिष्क के वल्कुटीय क्षेत्र को एक चक्र में दिखता है। गाढ़ा चक्र मस्तिष्क संभंधित माप दर्शाता है जो की वल्कुटीय क्षेत्र की जुड़ने वाली शक्ति बताता है। [2]

आपराधिक मामलों की जाँच

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मस्तिष्क मानचित्रण आपराधिक मामलों में फँसे व्यक्तियों की मानसिक स्थिति का चित्रण करने में मदद करता है और साथ ही साथ अपराध का पता लगाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|

  1. Fischer, Victor H. (July 20, 1965). "Detecting Physiological Conditions By Measuring Bioelectric Output Frequency #3,195,533". United States Patent Office.
  2. Sally Satel; Scott O. Lilienfeld (2015). Brainwashed: The Seductive Appeal of Mindless Neuroscience. Basic Books. ISBN 978-0465062911.