महंत तोतानाथ
धार्मिक गुरु
महंत तोतानाथ नाथ पंथ में सबसे पहले महंत बने थे। सिद्ध योगी तोतानाथ अस्थल बोहर स्थान पर बाबा मस्तनाथ ने घोर तपस्या की और इसका जीर्णोद्धार करके ‘अस्थल बोहर मठ’ की स्थापना की।[1][2] 1864 में बाबा मस्त नाथ की याद में योगी तोता नाथ ने महंत बनने के बाद वार्षिक मेला शुरू किया।[3]
महंत का नाम | कार्यकाल | अवधि |
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महंत तोतानाथ | संवत् 1864 से संवत् 1894 | 30 साल |
महंत मेघनाथ | संवत् 1894 से संवत् 1923 | 29 साल |
महंत मोहरनाथ | संवत् 1922 से संवत् 1935 | 13 साल |
महंत चेतनाथ | संवत् 1935 से संवत् 1963 | 28 साल |
महंत पूर्णनाथ | संवत् 1963 से सन् 1939 | -- |
महंत श्रेयोनाथ | सन् 28 फरवरी 1939 से सन् 1985 | 46 साल |
महंत चांदनाथ | सन् 1985 से 17 सितम्बर 2017 | 33 |
महंत बालकनाथ | 17 सितम्बर 2017 से अभी तक | -- |
संदर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 8 मई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 मई 2019.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 8 मई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 मई 2019.
- ↑ "154 साल पुरानी परंपरा निभाने अस्थल बोहर मठ में 13 मार्च से जुटेंगे संत". अभिगमन तिथि 18 जून 2020.