महमूद द्वितीय (उस्मानी तुर्कीयाई: محمود ثانى माहमुत-उ सानी, محمود عدلى माह्मुत-उ आदल; तुर्कीयाई: İkinci Mahmut; 20 जुलाई 1785 – 1 जुलाई 1839) उस्मानी साम्राज्य के 30वें सुल्तान थे, 1808 से 1839 में उनकी मौत तक उनका शासनकाल रहा।

महमूद द्वितीय
محمود ثانى
इस्लाम के ख़लीफ़ा
अमीरुल मुमिनीन
उस्मानी साम्राज्य के सुल्तान
कैसर-ए रूम
ख़ादिम उल हरमैन अश्शरीफ़ैन
30वें उस्मानी सुल्तान (बादशाह)
शासनावधि28 जुलाई 1808 – 1 जुलाई 1839
पूर्ववर्तीमुस्तफ़ा चतुर्थ
उत्तरवर्तीअब्दुल मजीद प्रथम
जन्म20 जुलाई 1784
तोपकापी महल, क़ुस्तुंतुनिया, उस्मानिया
निधन1 जुलाई 1839(1839-07-01) (उम्र 54 वर्ष)
क़ुस्तुंतुनिया, उस्मानिया
समाधि
फ़ातिह, इस्तांबुल
बीवियाँकमरफ़र क़ादन
मिस्लनायब क़ादन
नौफ़िदाँ क़ादन
दिलसज़ा क़ादन
होशियार क़ादन
अशुबजान क़ादन
नूरताब क़ादन
बज़्मेआलम सुल्तान
आब्रूरफ़्तार क़ादन
परविज़िफ़लक क़ादन
हुस्नेमलक ख़ानुम
पर्तवनियाल सुल्तान
तिर्यल ख़ानुम
ज़रनिगार ख़ानुम
लब्रीज़ीफ़लक ख़ानुम
शाही ख़ानदानउस्मानी
पिताअब्दुल हमीद प्रथम
मातानश्क़ेदिल सुल्तान
धर्मसुन्नी इस्लाम
तुग़रामहमूद द्वितीय محمود ثانى के हस्ताक्षर

उनके शासन व्यापक प्रशासनिक, सैन्य, और वित्तीय सुधार के लिए पहचाना जाता है। इसका मुख्य नतीजा "तंज़ीमात का फ़रमान" था।[1] उनके दौर में 1826 का यनीचरी सेना विघटन हुआ, जिसने उनके और उनके उत्तराधिकारियों के सुधारवादी कार्यों की बाधाओं को दूर किया था। उन्होंने जिन सुधारों को स्थापित किया उनमें राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तनों की विशेषता थी, जिसका नतीजा आख़िर में आधुनिक तुर्की गणराज्य की स्थापना था।[2]

अपने घरेलू सुधारों के बावजूद महमूद के दौर में सर्बिया और यूनान में विद्रोह हुआ, और आज़ाद युनान राज्य क़ायम होने के बाद उस्मानी साम्राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को भारी नुक़सान पहुँचाया गया।

  1. Eugene Rogan (4 October 2002). Outside In: Marginality in the Modern Middle East. I.B.Tauris. पृ॰ 15. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-86064-698-0. मूल से 16 जून 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अक्तूबर 2018.
  2. Karpat, H. Kemal (1959). Turkey's Politics: The Transition to a Multi-Party System (अंग्रेज़ी में). Princeton University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-691-62623-9. मूल से 6 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अक्तूबर 2018.