महाप्राण और अल्पप्राण व्यंजन

(महाप्राण व्यंजन से अनुप्रेषित)

020.00 में महाप्राण व्यञ्जन वह 131514201805होतें हैं जिन्हें मुख से वायु-प्रवाह के साथ बोला जाता है৷ अल्पप्राण व्यञ्जन वह व्यञ्जन होतें हैं जिन्हें बहुत कम वायु-प्रवाह से बोला जाता है।

अल्पप्राण व्यञ्जन

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अल्पप्राण व्यञ्जन वह व्यञ्जन होतें हैं जिन्हें बहुत कम वायु-प्रवाह से बोला जाता है जैसे कि 'क', 'ग', 'ज' और 'प'। जब अल्प प्राण ध्वनियाँ महा प्राण ध्वनियों में परिवर्तित हो जाती है, उसे महाप्रणिकरण कहतें है। अल्पप्राण व्यञ्जन। ऐसे व्यञ्जन जिनको बोलने में कम समय लगता है और बोलते समय मुख से कम वायु निकलती है उन्हें अल्पप्राण व्यञ्जन कहते हैं। इनकी सङ्ख्या 30 होती है। क ग ङ च ज ञ ट ड ण ड़ त द न प ब म य र ल व इसमें क वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर च वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर ट वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर त वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर प वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर चारों अन्तस्थ व्यञ्जन - य र ल व सभी स्वर - अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ एक उच्छिप्त व्यञ्जन - ड़ याद रखने का आसान तरीक़ा वर्ग का १,३,५ अक्षर - अन्तस्थ - द्विगुण या उच्छिप्त - सभी स्वर

महाप्राण व्यञ्जन

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व्यञ्जन जिनको बोलने में अधिक प्रत्यन करना पड़ता है और बोलते समय मुख से अधिक वायु निकलती है, उन्हें महाप्राण व्यञ्जन कहते हैं। इनकी संख्या १५ होती है। ख घ छ झ ठ ढ थ ध फ भ ढ़ श ष स ह इसमें क वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर च वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर ट वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर त वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर प वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर चारों उष्म व्यञ्जन - श ष स ह एक उच्छिप्त व्यञ्जन - ढ़ याद रखने का आसान तरीका :- वर्ग का २, ४ अक्षर - उष्म व्यञ्जन - एक उच्छिप्त व्यञ्जन देवनागरी लिपि में बहुत से वर्णों में महाप्राण और अल्पप्राण के जोड़े होते हैं जैसे 'क' और 'ख', 'च' और 'छ' और 'ब' और 'भ'। कुछ भाषाएँ हैं, जैसे के तमिल, जिनमें महाप्राण व्यञ्जन होते ही नहीं और कुछ भाषाएँ ऐसी भी हैं जिनमें महाप्राण और अल्पप्राण व्यञ्जन दोनों प्रयोग तो होतें हैं लेकिन बोलने वालों को दोनों एक से प्रतीत होतें हैं, जैसे अंग्रेज़ी[1][2]

इन्हें भी देखें

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  1. Introduction to Sanskrit, Thomas Egenes, pp. 111, Motilal Banarsidass Publishers, 2003, ISBN 978-81-208-1693-0, ... (7) Unaspirated(alpa-prana). (8) Aspirated (maha-prana) ...
  2. A Corpus of Indian studies, Gaurinath Bhattacharyya Shastri, Arthur Llewellyn Basham, Sanskrit Pustak Bhandar, 1980, ... The terms mahaprana and alpaprana here can only be tatpurusa (karmadhdraya) compounds (lit. 'great breath', 'little breath') which refer to properties of aspirated and unaspirated sounds ...