महालय

बंगाल में आमतौर पर दुर्गा पूजा उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है

बंगाल में, महालय (बंगाली: মহালয়া) आमतौर पर दुर्गा पूजा उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। बंगालियों का सबसे बड़ा त्योहार दुर्गा पूजा, हिन्दू पंचांग माह आश्विन(सितंबर और अक्टूबर) के महीने में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। उत्सव की शुरुआत महालय से होती है।[1] महालय वह दिन है जब माना जाता है कि देवी दुर्गा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। बंगाली लोग पारंपरिक रूप से देवीमाहात्म्य (चंडी) ग्रंथ से भजन सुनाने के लिए महालय पर सुबह जल्दी उठते हैं।[2] हर बंगाली घराना महिषासुरमर्दिनी के नाम से जाने जाने वाले गीतों और मंत्रों के संग्रह को सुनने के लिए भोर में उठता है, जो देवी दुर्गा के जन्म और राक्षस राजा महिषासुर पर अंतिम विजय का वर्णन करता है।[3] पूर्वजों को प्रसाद घरों और पूजा मंडपों (अस्थायी मंदिरों) में दिया जाता है।[4][5]

महालय दुर्गा पूजा उत्सव की औपचारिक शुरुआत का प्रतीक है

इन्हें भी देखें

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  1. "Mahalaya 2022: Here's all you need to know about the auspicious day".
  2. "Birendra Krishna Bhadra: Divine voice heralding Mahalaya chant for generations of Bengalis for more than 90 years".
  3. "For Bengalis, Mahalaya is not just the prelude to 10-day-long festival but a day of Maa Durga's homecoming".
  4. Sharma, S P; Gupta, Seema (2006). "Durga Puja: Mahalaya". Fairs and Festivals of India. Pustak Mahal. पृ॰ 38. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-223-0951-5.
  5. TNN (19 September 2009). "Mahalaya ushers in the Puja spirit". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया. अभिगमन तिथि 2020-09-22.

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