महिषासुर
महिषासुर हिन्दू धर्म में एक असुर दानव था। वह ब्रह्म-ऋषि कश्यप और दनु का पोता और रम्भ का पुत्र तथा महिषी का भाई था। उसे लोगों के बीच एक धोखेबाज राक्षस के रूप में जाना जाता है, जो आकार बदलकर बुरे कार्य किया करता था।[1][2] अंततः उसका माता जगदंबिका दुर्गा ने वध कर दिया, जिसके बाद उन्हें महिषासुरमर्दिनी ("महिषासुर का वध करने वाली") की उपाधि प्राप्त हुई। नवरात्रि का त्योहार, महिषासुर और माता दुर्गा के बीच इस युद्ध को दर्शाता है, जिसका समापन विजय दशमी में होता है, जो उसके अंत का उत्सव है। "बुराई पर अच्छाई की विजय" की यह कहानी हिंदू धर्म, विशेष रूप से शाक्त सम्प्रदाय में गहरा प्रतीकात्मकता रखती है, और दोनों को कई दक्षिण भारत और दक्षिणपूर्व एशियाई हिंदू मंदिरों में देवी महात्म्य से सुनाया और फिर से प्रस्तुत किया गया है।[3]
महिषासुर सृष्टिकर्ता ब्रम्हा का महान भक्त था और ब्रम्हा जी ने उन्हें वरदान दिया था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सकता।
महिषासुर बाद में स्वर्ग लोक के देवताओं को परेशान करने लगा और पृथ्वी पर भी उत्पात मचाने लगा। उसने स्वर्ग पर एक बार अचानक आक्रमण कर दिया और इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर कब्ज़ा कर लिया तथा सभी देवताओं को वहाँ से खदेड़ दिया। देवगण परेशान होकर त्रिमूर्ति ब्रम्हा, विष्णु और महेश के पास सहायता के लिए पहुँचे। सारे देवताओं ने फिर से मिलकर उसे फिर से परास्त करने के लिए युद्ध किया परंतु वे फिर हार गये।
कोई उपाय न मिलने पर देवताओं ने उसके विनाश के लिए माता दुर्गा का सृजन किया जिसे माता शक्ति और माता पार्वती के नाम से भी जाना जाता है। देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसी उपलक्ष्य में हिंदू भक्तगण दस दिनों का त्यौहार दुर्गा पूजा मनाते हैं और दसवें दिन को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Bane, Theresa (2012). Encyclopedia of Demons in World Religions and Cultures. McFarland. पृ॰ 214. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7864-8894-0.
- ↑ Kinsley, David (1988). Hindu Goddesses: Visions of the Divine Feminine in the Hindu Religious Tradition. University of California Press. पपृ॰ 96–103. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-520-90883-3.
- ↑ Jones, Constance; Ryan, James (2014). Encyclopedia of Hinduism. Infobase Publishing. पृ॰ 399. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0816054589.