मांझी परगना शासन व्यवस्था
माझी-पारगाना शासन व्यवस्था झारखण्ड के संथाल जनजाति की एक पारम्परिक शासन प्रणाली है। इस व्यवस्था में कुछ प्रमुख पदाधिकारी होते हैं :- माझी, पारगाना, जोग माझी, पाराणिक, गोड़ेत, नाईके, भोद्दो, आदि।[1]
मांझी-परगना प्रणाली
संपादित करेंयह छोटानागपुर (खासकर संथाल परगना) में संथाल जनजाति की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था थी। यह प्रणाली तीन स्तरों पर कार्य करती है — ग्राम, परगना और क्षेत्र।[2][3]
1. मांझी:- यह गांवों का प्रधान होता है। इसे न्यायिक एवं प्रशासनिक अधिकार प्राप्त होते हैं, जिसका उपयोग विवादों एवं समस्याओं के निवारण हेतु करता है।
2. परगना:- यह 15-20 गांवों का प्रमुख होता है। इसे परगनैत भी कहते हैं।
3. गोड़ाईत:- यह मांझी का सहायक होता है। मांझी गांवों में डाकुआ द्वारा बैठकों, समारोहों, उत्सवों, पर्व-त्योहारों और अन्य अवसरों के लिए ग्रामीणों को सूचित करता है।
4. जोग मांझी:- यह मांझी का सलाहकार होता है, जो विवादों के निवारण हेतु मांझी को सलाह देता है।
5. नायके:- यह गांवों का धार्मिक प्रधान होता है और सामूहिक धार्मिक अनुष्ठान और समारोह का संचालन करता है। यह धार्मिक अपराध जैसे मामलों को भी सुलझाता है।
6. चौकीदार:- यह अपराधियों को पकड़ने का कार्य करता है।
वर्तमान स्थिति
संपादित करेंझारखण्ड के संथालों में आज भी यह शासन प्रणाली प्रचलित है। झारखण्ड सरकार ने मांझी परगना प्रणाली के विकास हेतु अनेक योजनाएं बनाई हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मांझी और परगनैत को सम्मानित करने का भी काम किया है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Lourdusamy, Stan (1997). Jharkhandi's Claim for Self-rule: Its Historical Foundations and Present Legitimacy (अंग्रेज़ी में). Indian Social Institute.
- ↑ Vanyajāti (अंग्रेज़ी में). Bharatiya Adimjati Sevak Sangh. 1972.
- ↑ Natarajan, G. V. (1985). Abujhmaria Grammar (अंग्रेज़ी में). Central Institute of Indian Languages.