छोटा नागपुर पठार
छोटा नागपुर पठार पूर्वी भारत में स्थित एक पठार है। झारखंड राज्य का अधिकतर हिस्सा एवं पश्चिम बंगाल, बिहार व छत्तीसगढ़ के कुछ भाग इस पठार में आते हैं। इसके पूर्व में सिन्धु-गंगा का मैदान और दक्षिण में महानदी हैं। इसका कुल क्षेत्रफल 65,000 वर्ग किमी है।[1] इसके 3 उप पठार भी है जो निम्नलिखित है -1.- कोडरमा का पठार 2- हजारीबाग का पठार 3-rachi ka plateau
छोटा नागपुर पठार | |
पठार | |
पारसनाथ पहाड़ी, छोटा नागपुर पठार का सबसे ऊँचा स्थान
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देश | भारत |
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राज्य | झारखंड, उड़ीसा, बिहार, पश्चिम बंगाल |
शहर | राँची, जमशेदपुर, दुर्गापुर |
नदियां | दामोदर नदी, सुवर्णरेखा नदी, बराकर नदी |
निर्देशांक | 23°21′N 85°20′E / 23.350°N 85.333°E |
उच्चतम बिंदु | पारसनाथ पहाड़ी |
- ऊँचाई | 1,350 मी. (4,429 फीट) |
- निर्देशांक | 23°57′40″N 86°08′14″E / 23.96111°N 86.13722°E |
नामोत्पत्ति
संपादित करेंइस पठार के नाम में 'नागपुर' शायद यहाँ पर प्राचीनकाल में राज करने वाले नागवंशी राजाओं से लिया गया है। राँची से कुछ दूरी पर स्थित 'चुटिया' नामक एक मुण्डा बहुल गाँव है, जिसमें नागवंशियों के एक पुराना दुर्ग के खँडहर मौजूद हैं।[2][3] इस गाँव के संस्थापक 'चुटिया हाड़ाम' नामक एक मुंडा थे,[4] जिनके नाम पर इसे 'चुटिया नागखंड' कहा जाता था, जो बाद में परिवर्तित होकर 'चुटिया नागपुर' और फिर 'छोटा नागपुर' बना। छोटा नागपुर को 'मुण्डाओं का प्रदेश' भी कहा जाता है।[5][6]
बनावट
संपादित करेंछोटा नागपुर की पत्थरीली परतों के भूवैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि इसमें अतिप्राचीन गोंडवाना महाद्वीप की चट्टानें हैं, यानि इस पठार का विकास बहुत ही पुराना है। यह दक्कन पठार का पूर्वोत्तरी खंड था जो दक्कन तख़्ते के साथ-साथ गोंडवाना के खंडित होने पर आज से लगभग 12 करोड़ साल पहले अलग होकर 5 करोड़ वर्षों तक उत्तर दिशा में चलता रहा और फिर यूरेशिया से जा टकराया।[7]
अन्य विवरण
संपादित करेंइस पठारी क्षेत्र में कोयला का अकूत भंडार है जिससे दामोदर घाटी में बसे उद्योगों के उर्जा संबंधी आवश्यकतायें पूरी होती हैं। छोटानागपुर का पठार तीन छोटे छोटे पठारों से मिलकर बना है जिनमे राँची का पठार, हजारीबाग का पठार और कोडरमा का पठार शामिल है। राँची पठार सबसे बड़ा पठार है जिसकी औसत ऊँचाई 700 मीटर है। पूरे छोटानागपुर पठार का क्षेत्रफल लगभग 65,000 वर्ग किलो मीटर है।
पठार का ज्यादातर हिस्सा घने जंगलों से आच्छादित है जिनमें साल के वृक्षों की प्रमुखता है और इस क्षेत्र में वन क्षेत्र का प्रतिशत देश के अन्य हिस्सों की तुलना में ज्यादा है। बाघ, एशियाई हाथी, चार सींग वाला मृग (टेट्रासेरस क्वाड्रिकोर्निस), काला हिरण (एंटीलोप सर्विकाप्रा), चिंकारा (गज़ेला बेनेटी), जंगली सोनकुत्ता (कुओन अल्पिनस) और स्लॉथ भालू (मेलर्सस उर्सिनस) यहां पाए जाने वाले कुछ जानवर हैं, जबकि पक्षियों में खतरे में पड़े खरमोर (यूपोडोटिस इंडिका), भारतीय ग्रे हॉर्नबिल और अन्य हॉर्नबिल शामिल हैं। इस पठार पर हाथी और बाघ के संरक्षण के लिये बनाये गये कई प्रमुख अभयारण्य स्थित हैं।
झारखंड छोटानागपुर के पठार पर अवस्थित होने के कारण इसे छोटानागपुर प्रदेश भी कहा जाता है। प्राकृतिक दृष्टि से यह राज्य दो भाग छोटानागपुर और संताल परगना में बंटा है। यह राज्य आदिवासी बहुल है। यह मूलत: एक वन प्रदेश है, प्रचुर मात्रा में खनिज भंडार भी है। इस कारण इस प्रदेश को खनिजों का प्रदेश भी कहते हैं।[8]
संरक्षित क्षेत्र
संपादित करेंपारिस्थितिकी क्षेत्र का लगभग 6 प्रतिशत क्षेत्र संरक्षित क्षेत्रों के भीतर है, जिसमें 1997 में 6,720 वर्ग किलोमीटर (2,590 वर्ग मील) शामिल है। सबसे बड़े पलामू व्याघ्र आरक्षित वन और संजय राष्ट्रीय उद्यान हैं।[9]
- भीमबाँध वन्यजीव अभयारण्य, बिहार (680 वर्ग किमी)
- दलमा वन्यजीव अभयारण्य, झारखण्ड (630 वर्ग किमी)
- गौतम बुद्ध वन्यजीव अभयारण्य, बिहार (110 वर्ग किमी)
- हज़ारीबाग वन्यजीव अभयारण्य, झारखण्ड (450 वर्ग किमी)
- कोडरमा वन्यजीव अभयारण्य, झारखण्ड (180 वर्ग किमी)
- लावालोंग वन्यजीव अभयारण्य, झारखण्ड (410 वर्ग किमी)
- पलामू व्याघ्र आरक्षित वन, झारखण्ड (1,330 वर्ग किमी)
- रमनाबागान वन्यजीव अभयारण्य, पश्चिम बंगाल (150 वर्ग किमी)
- संजय राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश (1,020 वर्ग किमी, जिसका एक हिस्सा नर्मदा घाटी शुष्क पर्णपाती वन क्षेत्र में है)
- सेमरसोत वन्यजीव अभयारण्य, छत्तीसगढ़ (470 वर्ग किमी)
- सिमलिपाल राष्ट्रीय अभ्यारण्य, ओडिशा (420 वर्ग किमी)
- सप्तशज्या वन्यजीव अभयारण्य, ओडिशा (20 वर्ग किमी)
- तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य, छत्तीसगढ़ (600 वर्ग किमी)
- तोपचांची वन्यजीव अभयारण्य, झारखण्ड (40 वर्ग किमी)
खनिज स्त्रोत
संपादित करेंछोटा नागपुर पठार अभ्रक, बॉक्साइट, तांबा, चूना पत्थर, लौह अयस्क और कोयला जैसे खनिज संसाधनों का भंडार है। दामोदर घाटी कोयले से समृद्ध है और इसे देश में कोकिंग कोयले का प्रमुख केंद्र माना जाता है। 2,883 वर्ग किलोमीटर (1,113 वर्ग मील) में फैले केंद्रीय घाटी में विशाल कोयला भंडार पाए जाते हैं। घाटी में महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र हैं: झरिया, रानीगंज, पश्चिम बोकारो, पूर्वी बोकारो, रामगढ़, दक्षिण कर्णपुरा और उत्तरी कर्णपुरा।[10]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Chhota Nagpur Plateau Archived 2009-09-17 at the वेबैक मशीन, mapsofindia, Accessed 2010-05-02
- ↑ Bradley-Birt, Francis Bradley (1998). Chota Nagpur, a Little-known Province of the Empire (अंग्रेज़ी में). Asian Educational Services. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-206-1287-7.
- ↑ Sir John Houlton, Bihar, the Heart of India, pp. 127-128, Orient Longmans, 1949.
- ↑ The Indian World (अंग्रेज़ी में). Cherry Press. 1907.
- ↑ Risley, Herbert (1999). The People of India (अंग्रेज़ी में). Asian Educational Services. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-206-1265-5.
- ↑ Commissioner, India Census (1893). Census of India, 1891 (अंग्रेज़ी में). Bengal Secretariat Press.
- ↑ Chhota-Nagpur dry deciduous forests Archived 2012-10-06 at the वेबैक मशीन, The Encyclopaedia of Earth, Accessed 2010-05-02
- ↑ "छोटानागपुर के पठार पर अवस्थित है राज्य". प्रभात खबर. 1 नवंबर 2022. अभिगमन तिथि 5 दिसंबर 2023.
- ↑ Wikramanayake, Eric; Eric Dinerstein; Colby J. Loucks; et al. (2002). Terrestrial Ecoregions of the Indo-Pacific: a Conservation Assessment. Island Press; Washington, DC. pp. 321-322
- ↑ "New Page 1". web.archive.org. 2011-08-15. मूल से पुरालेखित 15 अगस्त 2011. अभिगमन तिथि 2023-07-24.सीएस1 रखरखाव: BOT: original-url status unknown (link)