माचागोरा बांध (पेंच व्यपवर्तन परियोजना)
माचागोरा बांध या पेंच व्यपवर्तन परियोजना मध्य प्रदेश के छिन्दवाड़ा जिले के चौरई विधानसभा क्षेत्र के ग्राम माचागोरा के समीप निर्मित की गई है। यह परियोजना छिन्दवाड़ा ओर सिवनी जिले की अतिमहत्वकांक्षी परियोजना हैं। पेंच नदी जो कि कन्हान नदी की सहायक नदी है, पर यह बाँध बनाया गया है। इस बांध में 8 हाइड्रालिक गेट हैं। बांध की कुल भराव क्षमता 625.75 FRL मीटर है। इस परियोजना के अंतर्गत 2544.57 करोड रूपये की लागत की परियोजना से अभी तक 1962.42 करोड़ रूपये की राशि व्यय कर पेंच नदी पर 6160 मीटर लंबाई और 42 मीटर उँचाई का मिट्टी बांध तथा 360 मीटर लंबाई में पक्के बांध इस प्रकार कुल 6.52 किलोमीटर लम्बे बांध का निर्माण हुआ हैै। परियोजना के पूर्ण होने पर छिन्दवाड़ा जिले के 164 ग्रामों एवं सिवनी जिले के 152 ग्रामों में 114882 हेक्टेयर वार्षिक सिंचाई हो सकेगी, जिसमें से रबी का 85000 हेक्टेयर और खरीफ का 29882 हेक्टेयर कुल 1,14882 हेक्टेयर क्षेत्र के कृषक सिंचाई कर सकेंगे।
माचागोरा बांध | |
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आधिकारिक नाम | Pench Diversion Project |
स्थान | माचागोरा चौरई छिंदवाड़ा जिला, मध्य प्रदेश |
निर्देशांक | 22°7′10″N 79°10′25″E / 22.11944°N 79.17361°Eनिर्देशांक: 22°7′10″N 79°10′25″E / 22.11944°N 79.17361°E |
निर्माण आरम्भ | 1988 |
आरम्भ तिथि | 2017 |
संचालक | जल संसाधन विभाग, कार्यालय कार्यपालन यंत्री पेंच व्यपवर्तन परियोजना बांध संभाग क्र.1 डिवीजन ऑफिस चौरई (सिंगना) छिंदवाड़ा जिला मध्य प्रदेश |
बाँध एवं उत्प्लव मार्ग | |
घेराव | पेंच नदी |
~ऊँचाई | 42 मीटर |
ऊँचाई (आधार) | 44.50 मी॰ (146.0 फीट) |
लम्बाई | 6,330 मी॰ (20,770 फीट) |
उत्प्लव मार्ग क्षमता | 12,411 m3/s (438,300 घन फुट/सेकंड) |
जलाशय | |
कुल क्षमता | 577.86 मी3 (20,407 घन फुट) |
सक्रिय क्षमता | 421.26 मी3 (14,877 घन फुट) |
जलग्रह क्षेत्र | 1,754.73 कि॰मी2 (1.88878×1010 वर्ग फुट) |
सतह क्षेत्रफ़ल | 59.52 कि॰मी2 (640,700,000 वर्ग फुट) |
अधिकतम लम्बाई | 6.52 कि॰मी॰ (4.05 मील) |
सामान्य ऊंचाई | पानी भराव क्षमता FRL 625.75 मी॰ (2,053.0 फीट) |
परियोजना का कुल जलग्रहण क्षेत्र 1754.73 वर्ग कि.मी. है। परियोजना में 577.86 मिलियन घन मीटर जल संग्रहित किया जावेगा, जिसमें उपयोगी जल की मात्रा 421.26 मिलियन घनमीटर एवं अनुपयोगी जल की मात्रा 156.60 मिलियन घनमीटर है। परियोजना के अंतर्गत 360 मीटर लंबे पक्के बांध का निर्माण प्रगति पर है, जिसके अंतर्गत 140 मीटर ओवर फ्लो सेक्शन एवं इसके दोनो ओर 110-110 मीटर के नॉन ओवर फ्लो सेक्शन बनाये गये हैं। स्पिल-वे से बाढ़ निकासी के लिये 140 मीटर लंबे ओवर फ्लो सेक्शन में 14000×16265mm के 8 रेडियल गेट बनाये गये है, जिनसे 12411 क्यूमेक्स पानी की निकासी होगी। परियोजना के अंतर्गत 5970 मीटर लंबे एवं 42 मीटर ऊँचे बांध का निर्माण किया गया है।
जिला प्रशासन द्वारा इस महत्वाकांक्षी परियोजना को पूर्ण कराने तथा रहवासियों के पुनर्वास, रोजगार और उनकी अन्य समस्याओं के साथ-साथ माईक्रो इरीग्रेशन के अंतर्गत हर खेत में पानी उपलब्ध कराने का सतत् प्रयास किया जा रहा हैं। पानी की कमी से जहां कभी खेत खाली पडे रहते थे, वहीं माईक्रो इरीग्रेशन से आसपास के किसानों के खेत फसलो से लहलहा रहे है। इससे किसानों की आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ गई हैं।
छिंदवाड़ा एवं सिवनी जिले में सिंचाई उपलब्ध कराने हेतु 20.07 किलोमीटर लम्बी बायीं तट मुख्य नहर तथा 30.20 किलोमीटर लम्बी दांयी तट मुख्य नहर सहित 605.045 किलोमीटर की नहर प्रणाली तथा माइक्रो इरिगेशन प्रणाली का निर्माण प्रगति पर है, जिससे कुल 114882 हेक्टेयर सिंचाई होगी,योजना से छिंदवाड़ा जिले के 164 ग्राम तथा सिवनी जिले के 152 ग्राम इस प्रकार कुल 316 ग्राम लाभान्वित होगें।
जिले की पेंच व्यपवर्तन परियोजना एक बहुउद्देशीय योजना है जिसमें माचागोरा बांध के बनने से जिले में कृषि, सिंचाई, मत्स्य उत्पादन के साथ जहां पर्यटन को बढ़ावा मिला है, वही लोगों की आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ने लगी हैं। बांध के निर्मित होने से जलाशय के जल भराव का उपयोग जहां सिंचाई, औद्योगिक क्षेत्र, पेयजल, मत्स्य उत्पादन आदि के लिये किया जा सकेगा, वहीं निचले क्षेत्रों में वॉटर लेवल भी बढेगा। इसमें जहां रबी और खरीफ में 1,14,882 हेक्टर फसलों में वार्षिक सिंचाई सुविधा मिल सकेगी।
बांध का इतिहास
संपादित करें1986 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सिवनी-छिंदवाड़ा की महत्वाकांक्षी पेंच परियोजना का प्रोजेक्ट तैयार हुआ था। 1986 में जब प्रोजेक्ट तैयार हुआ था तब इसकी कुल लागत 91.60 करोड़ रुपए थी और सिंचाई का रकबा 19 हजार हैक्टेयर था। 1988 में निर्माण कार्य शुरू हुआ जो कि मंद गति से चलता रहा कभी कभी योजना बंद होने के कगार में भी पहुँचने वाली थी फिर भी 2003 में काम धीरे धीरे चलता रहा साल 2006 में बांध के निर्माण में रफ्तार पकड़ी साल 2017 आते तक बांध का 90% काम पूर्ण हो चुका है। वर्तमान में नई नहरों के विस्तार होने से इसके सिंचित क्षेत्रो में लगातार बृद्धि हो रही है जिसका कार्य प्रगति में है।
बांध की स्वीकृति
संपादित करेंपेंच व्यपवर्तन परियोजना के तकनीकी और अन्य पहलूओं का दिल्ली में भारत सरकार के केन्द्रीय जल आयोग ने विस्तृत परीक्षण कर 1988 में इसे स्वीकृति दी। भारत सरकार के पर्यावरण,वन एवं वन्य जीव मंत्रालय द्वारा परियोजना को अप्रैल 1986 में पर्यावरण स्वीकृति दी गई। परियोजना का निर्माण कार्य पर्यावरण स्वीकृति के बाद 1988 में शुरू किया गया। दिल्ली में इस परियोजना की अनेको बैठकों के बाद परियोजना को केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय की तकनीकी सलाहकार समिति ने फरवरी 2006 में पुनः तकनीकी और वित्तीय स्वीकृति दी। केन्द्रीय योजना आयोग ने अप्रैल 2006 में परियोजना में निवेश की अनुमति दी। परियोजना भारत सरकार के त्वरित सिंचाई कार्यक्रम (एआईबीपी) में स्वीकृत है। 25 प्रतिशत लागत केन्द्रीय अनुदान के रूप में प्राप्त हो रही है। बांध से संबंधित सभी मुख्य जानकारियां निर्देशक केन्द्रीय जल आयोग भारत सरकार नई दिल्ली को दी जा चुकी है।
भू-अधिग्रहण व पुनर्वास
संपादित करेंभू-अधिग्रहण व पुनर्वास को लेकर उठे अनेक गतिरोधों में जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधि इस परियोजना के दूरगामी लक्ष्य को लेकर सतत् प्रयासरत रहे तथा डूब प्रभावित लोगों से इस परियोजना की भावी संभावनाओं, उनकी समस्याओं और सुविधाओं को लेकर कई बार बातचीत की गई, तब कही मुश्किल से परियोजना निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस बातचीत के परिणामस्वरूप पेंच व्यपवर्तन परियोजना के डूब क्षेत्र के अंतर्गत छिन्दवाड़ा तहसील के 17 ग्रामों, चौरई तहसील के 10 ग्रामों एवं अमरवाडा तहसील के 03 ग्रामों इस प्रकार छिंदवाड़ा जिले के कुल 30 ग्रामों की 5607 हेक्टर निजी भूमि का अधिग्रहण किया गया हैं और भू-अर्जन अधिकारियों के माध्यम से मुआवजे का भुगतान भी कृषकों को किया गया हैं।
डूब प्रभावित गांव की विस्थापना
संपादित करेंपेंच परियोजना के अंतर्गत बांध के जलाशय से डूब के कारण 30 ग्राम प्रभावित हो गए है, जिसमें आबादी के मान से 04 ग्राम (भुतेरा,धनौरा, भूला एवं बारहबरियारी) पूर्ण प्रभावित एवं 13 ग्राम आंशिक रूप से प्रभावित हुए है। तथा शेष 13 ग्रामों की मात्र भूमि प्रभावित हुई है। डूब क्षेत्र में 5782 हेक्टेयर भूमि (895 हेक्टेयर शासकीय भूमि एवं 4887 हेक्टेयर निजी भूमि) प्रभावित होगी। जलाशय के निर्माण से लगभग 2572 परिवारों के लगभग 9580 सदस्य विस्थापित हुए। प्रभावितों के पुर्नबसाहट हेतु उनके द्वारा चयनित 08 ग्रामों में भू-खंड विकसित करने का कार्य प्रगति पर है। परियोजना के निर्माण से वन भूमि प्रभावित नही हो हुई है।
बायी तट मुख्य नहर
संपादित करेंसिवनी जिले में वायीतट नहर का क्षेत्र विस्तार होने वा कृषकों की मांग पर सरकार द्वारा मुख्य नहर की दूरी बढ़ाने से इसके निर्माण कार्य मे प्रगति चल रही है। बायी तट मुख्य नहर का सर्वाधिक पानी ग्राम लुंगसी में अंडरग्राउंड पहाड़ो के अंदर से टनल बनाकर पानी पहुँचाया गया है पानी इस टनल से होते हुए,कपुर्दा तक जाता है इसके बाद नहर 2 भागो में बाटी गयी हैं।
भाग-1 नहर
संपादित करेंमें कपुर्दा,समसवाड़ा, हथनापुर,जैतपुर,मारवोडी,होते हुए चंदोरीकला,सागर,लामटा से बखारी तक जाती है। भाग 1 नहर में छोटी नहर के 2 शाखा हुए है भाग 1 की शाखा 1 नहर बिहिरिया, नंदिनी,गंगेरूआ,बांकी,जुरतरा,जुझारपुर,मोठार से आगे तक जाती है। भाग 1 की शाखा 2 नहर घोटी,दिघोरी,छुआई,गंगई,गरठिया,बंडोल फारेस्ट ऑफिस तरफ से अलोनीया,गोरखपुर, के आगे तक नहर निर्माण का कार्यप्रगति में चल रहा है।
भाग-2 नहर
संपादित करेंखमरिया, कोहका,कमकासुर,ऐरपा,पीपरडाही,चारगांव,करहैया, कारीरात,भांडरपुर चावड़ी से होते हुए सिमरिया, नगझर, चोरगरठिया,सोनाडोंगरी,थावरी,टोलापिपरिया,बंडोल,कुकलाह, बीसावाड़ी,कलारबांकी से आगे है 70% कार्य नहरों का हो चुका है और कुछ नहरों का कार्य प्रगति में है साथ ही इन नहरों की छोटी छोटी नहर शाखा ओर माइनर नहरो की कार्य प्रगति में चल रहा है साथ ही 2021 तक पानी नहरों के माध्यम से खेतो तक पहुँचने की संभावना है। जिसका कार्य अभी प्रगति में हैं।
दायीं तट मुख्य नहर
संपादित करेंदायीं तट मुख्य नहर में पानी का विस्तार चीज गॉव,सीहोर माल,केरिया,बांकानागनपुर,सलैया,चांद तक पानी पहुँच चुका साथ ही नहर विस्तार के साथ कार्य प्रगति में है।
पेंच नदी - बैनगंगा नदी लिंक
संपादित करेंबायींतट नहर के माध्यम से पेंच नदी का पानी वैनगंगा नदी तक आसानी से पहुंचने लगा है रबी सीजन की फसलों में नहरों के माध्यम से पानी खेतों तक जाता है ओर खेतों का अतरिक्त पानी नालो के माध्यम से वैनगंगा नदी में मिल जाता है ओर यही पानी आगे जाकर भीमगढ़ बांध तक पहुँच जाता है। सूखे या कम बर्षा होने में यदि पानी की मांग आये तो मुख्य बायींतट नहर से सीधे नालों में पानी डालकर भीमगढ संजय सरोवर बांध तक मांग की आवश्यकता पड़ने पर पहुँचाया जा सकता है वर्ष 2018 के सूखाकाल में एक बार मांग आने पर पानी पहुँचाया जा चुका है। इस बांध से सूखे या जल की अधिकता वाले क्षेत्रों से जल की अतिरिक्त मात्रा को जल की कमी वाले क्षेत्रों तक पहुँचाया जा सकता है। जिससे सूखे से निपटा जा सके। यद्यपी एक मुख्य बांध से दूसरे बांध तक पानी देने पर मुख्य बांध को अतिरिक्त्त आय तो प्राप्त होती ही है साथ सरकार लगान के रूप में आय भी प्राप्त करती हैं।
माचागोरा समूह पेयजल योजना
संपादित करेंमध्यप्रदेश शासन के द्वारा छिन्दवाड़ा जिले के 711 गॉव तक पेयजल उपलब्ध कराने के लिए यह योजना मध्यप्रदेश जल निगम द्वारा बनाई गई है। इस योजना में कुल 1017 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। जिसकी प्रशासकीय स्वीकृति लागत 998.20 करोड़ जारी की जा चुकी है। इस योजना से छिन्दवाड़ा जिले के 7 विकास खण्ड के 711 गॉव में पाइप लाइनएवं टँकीयों के माध्यम से शुद्ध पेयजल प्रदाय किया जाएगा। इस योजना के क्रियान्वयन के बाद आगामी 30 वर्ष के लिए पेय जल की स्थाई व्यवस्था हो सकेगी। इस योजना से 30 वर्ष बाद की बढ़ी हुई संभावित जनसंख्या 981000 लाभान्वित हो सकेगी।
285 टंकियों ओर 3 हजार किलोमीटर पाइप लाइन से होगा जल प्रदाय
संपादित करेंमाचागोरा समूह जल प्रदाय में चौरई विकासखंड के ग्राम जम्होड़ीपांडा व भूला मोह गांव के समीप इंडकवाल व जल शोधन सयंत्र(वाटर फिल्टर प्लांट)का निर्माण किया जाएगा। इस योजना से 285 नग उच्च स्तरीय टंकियों एवं लगभग 3 हजार किलोमीटर पाईप लाइन के माध्यम से रूपांकित जनसंख्या को कुल 27.5 MCM जल प्रदाय किया जाएगा।
7 विकास खंड में होगा काम
संपादित करेंछिंदवाड़ा जिले के साथ विकास खंडों में मोहखेड़ के 153 गांव को शामिल किया गया है इसी तरह छिंदवाड़ा के इसे 107 ग्राम परासिया के 131 ग्राम चौरई के 180 ग्राम विछुआ के 70 ग्राम अमरवाड़ा के 63 गॉव और जामई जुन्नारदेव के 7 गांव शामिल किए गए है।