माजिद देवबन्दी
डा। माजिद देवबन्दी : जन्म ०७ सितम्बर 1964 को उत्तर प्रदेश के देवबन्द में हुआ। इनके पिता अपने काल के प्रसिद्ध विद्वान थे। फ़ारसी, उर्दू और अरबी भाषाओं में विषेश प्रतिभा थी। माजिद १२ साल की उम्र से शायरी करते आरहे हैं। शायरी के इलावा, पत्रकारिता, लेखन में भी माहिर माने जाने वाले माजिद उर्दू भाषा को लोकप्रिय करने और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लेजाने में अपना योगदान प्रदान किया है। १२ साल की उम्र में कहा शेर;
माजिद देवबन्दी | |
---|---|
जन्म | ०७, सितंबर, १९६४ देवबन्द, उत्तर प्रदेश |
पेशा | रेडियो अनाउन्सर, ट्रान्सलेटर, शायर |
निवास | दिल्ली |
बच्चे | ४ |
वेबसाइट | |
http://majiddeobandi.in |
- जिस को अल्लाह पर भरोसा है -- वो कभी भी नहीं भटकता है।
बचपन और शिक्षा
संपादित करेंबचपन में शिक्षा देवबन्द में हुई।
पेशावराना सफ़र
संपादित करेंलगभग १८ साल आल इन्डिया रेडियो दिल्ली में अभिज्ञापक का काम किया। दूरदर्शन दिल्ली में भी खब्रें पढ़ चुके हैं। इस के अतिरिक्त टीवी चैनलों में शायर के रूप में अपनी कविताओं को सुनाते रहे हैं। ज़ी सलाम टीवी चैनल पर प्रोग्राम "मुलाक़ात" में देश के अहम व्यक्तियों का परिचय और इन्टर्व्यू कर चुके हैं।
साहिती प्रस्थान
संपादित करेंमाजिद साहिब को कविता और साहित्य से विषेश रूप से लगाव था, बचपन से कवितायें लिखते और पढ़ते थे। प्रतिभा उनको अपने वंश से मिली थी। १९७८ से विश्व के कई देशों में होने वली मुशायरों (कवि सम्मेलनों) में भाग ले चुके हैं। केवल कवितायें पढ़ना ही नहीं बल्कि मुशायरों की निज़ामत भी कर चुके हैं।
कई देशों जैसे, सऊदी अरब, पाकिस्तान, दुबई, शारजाह, अल-ऐन, अबूधाबी, मसक़त, दोहा (क़तर), कुवैत, बह्रैन, मारिशस, नेपाल, ईरान अथवा ईराक़ इत्यादी में होने वाले मुशायरों में भाग ले चुके हैं।
१९९१ से जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली में भी काम कर चुके हैं। उर्दू मासिक पत्रिका "अदबी मीज़ान" के एडिटर भी हैं। इस के अतिरिक्त जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली से प्रकाशित होने वाला मासिक "तदरीस नामा" के सब-एडिटर भी रह चुके हैं। माजिद देवबन्दी के प्रकाशन में दिल्ली से दैनिक पत्रिका "क़ौमी ज़बान" भी प्रकाशित हो रहा है।
माजिद देवबन्दी की कवितायें और रचनायें
संपादित करेंमाजिद देवबन्दी की लगभग ५० आॅडियो केसेट्स हैं। नात ए शरीफ़ और गज़लों की दस वीडियो सीडी उनकी अपनी आवाज़ में मार्केट में मौजूद हैं।
रचनायें
संपादित करेंइन की प्रसिद्ध रचनायें इस प्रकार हैं:
- लहू लहू आंखें (उर्दू)
- लहू लहू आंखें (हिन्दी)
- शाख-ए-दिल
- ख्वाजा हसन निज़ामी (तहक़ीक़ी पुस्तक)
- ज़िक्र-ए-रसूल (नातों का मजमा)
- मेरी तहरीरें (गद्य)
इन की बेपनाह सलाहियतों को देख कर पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुज्राल ने इन्हें सम्मान किया है।
पुरस्कार और गौरव
संपादित करें- इनकी उर्दू साहित्य जगत के विशेश कारनामों की वजह से, इन्हें दुनिया भर की सन्स्थायें, गौरव पुरस्कार प्रदान किये।
- १९९३ - राष्ट्रपती पुरस्कार
- १९९५ - अबुलकलाम आज़ाद पुरस्कार
- १९९६ - उर्दू शायरी पुरस्कार
- १९९६ - फ़रोग-ए-उर्दू पुरस्कार
- १९९७ - राजीव गांधी पुरस्कार
- १९९८ - मिर्ज़ा गालिब पुरस्कार
- १९९९ - तस्मिया उर्दू शायरी पुरस्कार
- २००० - उत्तर प्रदेश उर्दू अकाडमी पुरस्कार
- २००० - फ़ज़ा इब्न फ़ैज़ शायरी पुरस्कार
- २००० - नामवर शायर पुरस्कार
- २००१ - मुम्ताज़ नौजवान उर्दू शायरी पुरस्कार
- २००१ - अज़ीज़ बाराबंक्वी नातिया पुरस्कार
- २००५ - कैफ़ी आज़्मी उर्दू शायरी पुरस्कार
- २००६ - फ़खर-ए-देवबन्द पुरस्कार
- २००८ - अल्लामा इक़्बाल उर्दू शायरी पुरस्कार
- २००८ - मौलाना मोहम्मद अली जोहर उर्दू शायरी पुरस्कार
- २०१० - स्पीकर अब्दुल शुकूर उर्दू शायरी पुरस्कार
- २०११ - विक़ार-उल-मुल्क पुरस्कार
- २०१३ - फ़रोग-ए-उर्दू पुरस्कार (कुवैत)
- २०१३ - अदबी खिद्मात पुरस्कार [1]
- २०१३ - क़ौमी एक-जहती पुरस्कार
- २०१४ - आबरू-ए-गज़ल पुरस्कार
- २०१५ - फ़खर-ए-उर्दू शायरी पुरस्कार
आज कल की मस्रूफ़ियत
संपादित करेंउर्दू अकैडमी, दिल्ली के उपाद्यक्ष के पद को संभाल रहे हैं। अगस्त २०१५ से इस पद का कार्यकाल शुरू होता है। [2]
मशहूर फिल्म निर्माता सुहेब इलियास की फ़िल्म "The Wedding Gift - 498A" के लिये गीत भी लिखे हैं। बहुत जल्द यह फ़िल्म रिलीज़ होने वाली है।
कौन क्या कहते हैं
संपादित करेंमाजिद देवबन्दी के बारे में अनेक शायर, साहित्यकार और लेखकों ने सराहनीय बातें कही हैं। प्रसिद्ध लेखक और उर्दू भाषा के कवी गोपीचंद नारंग, प्रो अब्दुल हक़, प्रो मुज़फ़्फ़र हनफ़ी, प्रो शमीम हनफ़ी, प्रो तनवीर अलवी, प्रो निसार फ़ारूक़ी, प्रो मलिकज़ादा मन्ज़ूर, मजरूह सुल्तानपुरी, शमीम जैपुरी, निदा फ़ाज़िली, मज़हर इमाम, डा मुफ़्ती मुहम्मद मुकर्रम, प्रो गुलाम यहया अनजुम, डा नासिर अन्सारी, मुनव्वर राना, अनवर जलालपुरी, राहत इन्दोरी जैसे शायरों ने इनकी कविताओं को सराहा है।
अहमद अली बरक़ी आज़मी की नज़र में
संपादित करेंडा अहमद अली बरक़ी आज़मी कहते हैं कि माजिद देवबन्दी इस काल के एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय भाषा प्रमुख हैं, इन्होंने न सिर्फ़ भारत में बल्कि अन्तर्जातीय स्तर पर उर्दू और भारत का नाम रौशन किया है। इनका सीदासाधा व्यक्तित्व, शायरी, सुर और गायन लोकप्रिय है।