माधवप्रसाद घिमिरे (जन्म २३ सितम्बर, १९१९ - १८ अगस्त २०२०) नेपाली भाषा के कवि, साहित्यकार एवं गीतकार थे। वे नेपाल के राष्ट्रकवि थे। नवमंजरी (संवत १९९४), घामपानी (संवत २०१०), नयाँ नेपाल (संवत २०१३), किन्नर-किन्नरी (संवत २०३३) आदि उनके प्रमुख कवितासंग्रह हैं।

माधवप्रसाद घिमिरे

जीवन परिचय संपादित करें

माधवप्रसाद घिमिरे का जन्म २३ सितम्बर, १९१९ को नेपाल के लमजुङ जिले के को पुस्तुन गाँव में हुआ था। जन्म के ३ वर्ष बाद ही उनकी माता जी का देहान्त हो गया। उनका पालन उनके पिता गौरीशंकर घिमिरे और उनकी दादी ने किया। ६ वर्ष की आयु में उन्हें अक्षरज्ञान हो गया और उन्होंने ८–९ वर्ष की आयु में गाँव के फुलेबाबा से पञ्चाङ्ग सीख लिया। ११ वर्ष की आयु में गाँव छोड़कर दुराडाँडा (लमजुङ) गाँव की संस्कृत पाठशाला में प्रवेश लिया। इसके बाद वे काठमाण्डू आ गए जहाँ रानीपोखरी में रहकर उन्होने संस्कृत प्रधान पाठशाला और तीनधारा संस्कृत पाठशाला में अध्ययन किया। इसके बाद वे आगे के अध्ययन के लिए बनारस आ गए। बनारस के क्वीन्स कॉलेज से सर्वदर्शन में शास्त्री की उपाधि प्राप्त की।

१४ वर्ष की आयु में 'ज्ञानपुष्प' शीर्षक से गोरखापत्र उनकी पहली रचना प्रकाशित हुई थी। बनारस से शास्त्री प्रथम खण्ड की परीक्षा उत्तीर्ण कर लौटने के बाद भाषानुवाद परिषद में २५ रुपए प्रति मास के वेतन पर लेखक के रूप में कार्य किया। सन १९४४ में गोरखापत्र दैनिक में वे ४० रुपए मासिक वेतन पर सह-सम्पादक रहे और १९४६ में उसी के सम्पादक बने।

१९५१ में वे अपने गाँव लौट आये और एक छोटे से अन्तराल के लिए अध्यापक के रूप में कार्य किया। १९५३ में लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा की अध्यक्षता में गठित काव्य प्रतिष्ठान के सदस्य बने और चार वर्ष तक उसके सदस्य रहे। १९७९ से १९८८ तक वे रॉयल नेपाल अकादमी के उपकुलपति रहे। इसके पश्चात १९८८ से १९९० तक वे उसी संस्थान के कुलपति रहे।

कृतियाँ संपादित करें

माधवप्रसाद घिमिरे की काव्ययात्रा की प्रथम कृति नव मञ्जरी वि.सं. १९९४ में प्रकाशित हुई थी जिसके बाद यह यात्रा निरन्तर जारी रही। 'गौरी' उनके द्वारा रचित शोककाव्य है। साझा प्रकाशन द्वारा वि.सं. २०१५ में प्रकाशित इस काव्य में १२ उपशीर्षकों में कवि की कविता संग्रहित है।

माधव घिमिरे की कृतियाँ

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें