माधवराव सिंधिया
माधवराव सिंधिया का जन्म 10 मार्च 1945 को मुंबई में हुआ था। वे भारतीय राजनीतिज्ञ थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में मंत्री थे। 1961 में अपने पिता जीवाजी राव की मृत्यु के बाद ग्वालियर के अंतिम नाममात्र के महाराज बने। 1971 में भारत के संविधान में 26 वें संशोधन के बाद भारत सरकार ने रियासतों के सभी आधिकारिक प्रतीकों को समाप्त कर दिया, जिसमें शीर्षक, विशेषाधिकार और पारिश्रमिक शामिल थे।[1]वर्तमान मे भारतीय जानता पार्टी से मंत्री है
माधवराव सिंधिया | |
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1 9 80 के दशक के उत्तरार्ध में डून स्कूल के संस्थापक दिवस में मनमोहन सिंह के साथ सिंधिया |
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माधवराव सिंधिया | |
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नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार
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पद बहाल 1991–1993 | |
प्रधानमंत्री | पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव |
पूर्वा धिकारी | हरमोहन धवन |
उत्तरा धिकारी | गुलाम नबी आजाद |
पर्यटन मंत्री, भारत सरकार
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पद बहाल 1991–1993 | |
प्रधानमंत्री | पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव |
उत्तरा धिकारी | गुलाम नबी आजाद |
मानव संसाधन विकास मंत्री, भारत सरकार
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पद बहाल 1995–1996 | |
प्रधानमंत्री | पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव |
पूर्वा धिकारी | पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव |
उत्तरा धिकारी | पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव |
कार्यकाल 1986-1989 | |
प्रधानमंत्री | राजीव गांधी |
चुनाव-क्षेत्र | गुना |
पद बहाल 1961–2001 | |
पूर्वा धिकारी | जीवाजीराव सिंधिया |
उत्तरा धिकारी | ज्योतिरादित्य सिंधिया |
जन्म | 10 मार्च 1945 बम्बई, मुम्बई प्रांत, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु | 30 सितम्बर 2001 मैनपुरी जिला, उत्तरप्रदेश, भारत |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जीवन संगी | माधवी राजे सिंधिया |
संबंध | सिंधिया परिवार |
बच्चे | ज्योतिरादित्य सिंधिया चित्रगंधा राजे सिंधिया |
निवास | जय विलास महल, ग्वालियर |
धर्म | हिन्दू धर्म |
प्रारंभिक जीवन
संपादित करेंसिंधिया का जन्म एक मराठा परिवार में, ग्वालियर के अंतिम शासक महाराजा जीवाजीराव सिंधिया के यहाँ हुआ था। उन्होंने सेना के जनरल की बेटी माधवी राजे साहब सिंधिया से शादी की मधेश प्रांत, नेपाल, और नेपाल के प्रधान मंत्री और कास्की और लामजंग के महाराजा, जुधा शमशेर जंग बहादुर राणा की परपोती, एक पितृवंशीय गोरखा के सरदार रामकृष्ण कुँवर के वंशज। [2] उनके दो बच्चे थे, एक बेटी, चित्रांगदा सिंह (जन्म 1967), [3]
परिवार
संपादित करेंउनका विवाह 8 मई 1966 को माधवी राजे सिंधिया (किरण राज्य लक्ष्मी देवी) से हुआ जो कि नेपाल के प्रधान मंत्री एवं, कास्की और लमजुंग के महाराजा, और गोरखा के सरदार रामकृष्ण कुंवर के पैतृक वंशज जुद्ध शमशेर जंग बहादुर राणा की पोती हैं।[4] उनके एक पुत्र व एक पुत्री है। उनके पुत्र का नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया है जिसका जन्म 1 जनवरी, 1971 को मुंबई के समुद्रमहल में हुआ था और पुत्री का नाम चित्रांगदा सिंधिया (जन्म 1967) है।
शिक्षा
संपादित करेंमाधवराव सिंधिया ने अपनी शिक्षा सिंधिया स्कूल से की थी। सिंधिया स्कूल का निर्माण इनके परिवार द्वारा ग्वालियर में कराया गया था। उसके बाद माधवराव सिंधिया ने ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा प्राप्त की।[5]
राजनैतिक जीवन
संपादित करेंराजशाही का अंत होने के बाद माधव राव सिंधिया ने गुना से चुनाव लड़ा। उन्होंने 1971 में पहली बार चुनाव जीता तब वे महज 26 साल के थे। जिसके बाद वे एक भी चुनाव नहीं हारे। वे लगातार नौ बार लोकसभा के सांसद रहे। 1984 में उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी को ग्वालियर से चुनाव हराया।[6]1996 में, उन्होंने अर्जुन सिंह और अन्य कांग्रेस असंतुष्टों के साथ केंद्र में संयुक्त मोर्चा सरकार का हिस्सा बनने का अवसर दिया। यद्यपि उनका मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस, संयुक्त मोर्चे का हिस्सा था, लेकिन सिंधिया ने खुद को मंत्रिमंडल से बाहर रहने का विकल्प चुना। वे 1990 से 1993 तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष रहे।
पारिवारिक मतभेद
संपादित करेंमाधव राव सिंधिया और उनकी माता विजयाराजे सिंधिया के बीच संबंध बेहद खराब थे। विजयाराजे अपने बेटे से इतनी नाराज थीं कि 1985 में अपने हाथ से लिखी वसीयत में उन्होंने माधवराव सिंधिया को अंतिम संस्कार में शामिल होने से भी इनकार कर दिया था। हालाँकि 2001 में उनके निधन के बाद उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने ही उनकी चिता को मुखाग्नी दी थी। विजयाराजे सिंधिया ने कहा था कि इमरजेंसी के दौरान उनके बेटे के सामने पुलिस ने उन्हें लाठियों से मारा था। उनका आरोप था कि माधवराव सिंधिया ने ही उन्हें गिरफ्तार करवाया था। राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के साथ-साथ मां-बेटे के बीच निजी रिश्ते भी इतने खराब हो गए थे कि विजयाराजे ने ग्वालियर के जयविलास पैलेस में रहने के लिए माधवराव सिंधिया से सालाना एक रूपये किराया भी माँग लिया था।[7]
मृत्यु
संपादित करेंउनकी मृत्यु 30 सितंबर 2001 [8] को, एक रैली को संबोधित करने के लिए दिल्ली से कानपुर जाते वक्त, मैनपुरी(यूपी) में एक हवाई जहाज दुर्घटना में[9] हुई थी। भैंसरोली गाँव के ऊपर विमान में आग लग गई थी। उस वक्त बारिश हो रही थी लेकिन फिर भी आग जलती रही। खेत में गिरे विमान पर ग्रामीणों ने कीचड़ डाल कर आग बुझाई थी।[10] यह एक निजी विमान (Beechcraft King Air C90) था। इस विमान में ब्लैक बॉक्स नहीं था। इसमें सवार सभी आठ व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी थी। इसमें उनके निजी सचिव रूपिंदर सिंह, पत्रकार संजीव सिन्हा (द इंडियन एक्सप्रेस), अंजू शर्मा (द हिंदुस्तान टाइम्स), गोपाल बिष्ट, रंजन झा (आज तक), पायलट रे गौतम और सह-पायलट रितु मलिक शामिल थे। एक लॉकेट की मदद से उनकी शिनाख्त की गई थी। प्रोफेसर टी॰डी॰ डोगरा द्वारा एम्स नई दिल्ली में शव परीक्षण किए गए और अन्य कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किया गया।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ https://books.google.co.in/books?id=Kz1-mtazYqEC&pg=PA278&redir_esc=y#v=onepage&q&f=false
- ↑ "McClintock, Lt-Col Robert Lyle, (26 March 1874–11 July 1943)", Who Was Who, Oxford University Press, 2007-12-01, अभिगमन तिथि 2024-06-09
- ↑ "Meet Princess Mriganka Singh, the great-granddaughter of the last ruling king of J&K; know about her connections with Jyotiraditya Scindia & Captain Amarinder Singh". Financialexpress (अंग्रेज़ी में). 2023-07-24. अभिगमन तिथि 2024-06-09.
- ↑ [1]नवभारत टाईम्स
- ↑ [2] bharatdiscovery.org
- ↑ [3] www.bhaskar.com
- ↑ [4] www.bhaskar.com
- ↑ The Scindia Dynasty. Genealogy Archived 2019-08-04 at the वेबैक मशीन. Royal Ark. Retrieved on 14 November 2018.
- ↑ [5] hindi.asianetnews.com
- ↑ [6] www.patrika.com