मानगढ़ पहाड़ियाँ
मानगढ़ पहाड़ियाँ (Mangarh Hills) भारत के राजस्थान और गुजरात में अरावली पर्वतमाला की एक शृंखला है। समीप ही मध्य प्रदेश की सीमाएँ भी हैं। यह स्थान मानगढ़ धाम (Mangarh Dham) भी कहलाता है, क्योंकि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सन् 1913 में सरदार पूंजा धीरजी भील सहित1500 भील आदिवासी स्वतंत्रता सैनानियों ने अपना बलिदान दिया था।[1][2]
मानगढ़ पहाड़ियाँ | |
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Mangarh Hills | |
उच्चतम बिंदु | |
निर्देशांक | 23°21′00″N 73°59′06″E / 23.350°N 73.985°Eनिर्देशांक: 23°21′00″N 73°59′06″E / 23.350°N 73.985°E |
भूगोल | |
स्थान | राजस्थान व गुजरात, भारत |
मातृ श्रेणी | अरावली पर्वतमाला |
मानगढ़ हत्याकांड
संपादित करेंमानगढ़ में महान संत गोविंद गुरु, सरदार पूंजा धीरजी भील, पालवी और गमेतियों के नेतृत्व में 1500 भीलों , बंजारा आदिवासीओ ने अपना बलिदान दिया था। यह बलिदान आजादी के आंदोलन में अब तक ख्यातनाम जलियांवाला बाग के बलिदान से भी बड़ा था और उससे भी पहले हो चुका था। मानगढ़ धाम बांसवाड़ा ज़िले में आनन्दपुरी से कुछ दूरी पर बना हुआ है। यह ऐसा स्मारक है जो गुरुभक्ति और देशभक्ति को एक साथ दर्शाता है। लगभग सौ साल पहले 17 नवंबर 1913, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर गुरु का जन्मदिन मनाने के लिए एकत्र हुए हजारों गुरुभक्तों को ब्रिटिश सेना ने मौत के घाट उतार दिया था।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
- ↑ "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990