मानवतावादी मनोविज्ञान

मानवतावादी मनोविज्ञान (Humanistic psychology) एक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण है २०वीं शताब्दी के मध्य में प्रसिद्ध हुआ। यह सिद्धान्त सिग्मुंड फ़्रोइड के मनोविश्लेषण सिद्धान्त तथा बी एफ स्किनर के व्यवहारवाद के जवाब में सामने आया।

परिचयसंपादित करें

व्यक्तित्व के अध्ययन के लिए मनोवैज्ञानिकों ने कई सिद्धान्तों को प्रतिपादित किया है। बीसवीं शताब्दी में व्यक्तित्व अध्ययन सम्बन्धी विचार, तीन महत्त्वपूर्ण सिद्धान्तों के रूप में सामने आये।

  • पहला फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त है। इस सिद्धान्त से मूल प्रवृत्तियों एवं द्वंद्वों के आधार पर मानव प्रकृति की व्याख्या की जाती है।
  • दूसरा व्यवहारवाद का सिद्धान्त है जिसमें व्यक्ति के व्यवहार की व्याख्या बाह्य उद्दीपकों के सम्बन्ध में की जाती है।
  • तीसरा सिद्धान्त मानवतावाद का सिद्धान्त है। इस सिद्धान्त को मनोविज्ञान जगत् में 'व्यक्तित्व सिद्धान्तों की तीसरी शक्ति' भी कहा जाता है।

मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या अन्य सिद्धान्तों से बिल्कुल ही भिन्न प्रकार से की गई है। इस सिद्धान्त में विशेष रूप से यह माना जाता है कि व्यक्ति मूल रूप में अच्छा एवं आदरणीय होता है और यदि उसकी परिवेशीय दशाएं अनुकूल हों तो वह अपने शीलगुणों (ट्रेट्स) का सकारात्मक विकास करता है। यह सिद्धान्त वैयक्तिक विकास, स्व का परिमार्जन, अभिवृद्धि, व्यक्ति के मूल्यों एवं अर्थों की व्याख्या करता है। इस सिद्धान्त के प्रतिपादक अब्राहम मास्लो थे।

मास्लो का जन्म रूढ़िवादी जैविस परिवार में न्यूयार्क में हुआ। उन्होंने कोलम्बिया विश्वविद्यालय से सन् 1934 में मनोविज्ञान विड्ढय में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। 'मानवतावादी मनोविज्यान' नामक इस सिद्धान्त के विकास में अस्तित्ववादी मनोविज्ञान का भी योगदान है। अस्तित्ववाद एवं मानवतावाद दोनों व्यक्ति की मानवीय चेतना, आत्मगत अनुभूतियां एवं उमंग तथा व्यक्तिगत अनुभवों की व्याख्या करते हो और उसे विश्व से जोड़ने का प्रयत्न करते हैं। मास्लो के इस सिद्धान्त में यह धारणा है कि अभिप्रेरणाएं समग्र रूप से मनुष्य को प्रभावित करती है। इसी धारणा के आधार पर मास्लो ने प्रेरणा के पदानुक्रम सिद्धान्त को प्रतिपादित किया।

मानवतावादी सिद्धान्त के मनोवैज्ञानिकों ने मानव व्यवहार एवं पशु व्यवहार में सापेक्ष अंतर माना है। ये व्यवहारवाद का इसलिए खण्डन करते हैं कि व्यवहारवाद का प्रारम्भ ही पशु व्यवहार से होता है। मास्लो एवं उनके साथियों ने मानव व्यवहार को सभी प्रकार के पशु व्यवहारों से भिन्न माना। इसलिए उन्होंने पशु व्यवहार की मानव व्यवहार के साथ की समानता को अस्वीकार किया। उन्होंने मानव व्यवहार को समझने के लिए पशुओं पर किये जाने वाले शोध कार्यों का खण्डन किया क्योंकि पशुओं में मानवोचित गुण जैसे आदर्श, मूल्य, प्रेम, लज्जा, कला, उत्साह, रोना, हंसना, ईर्ष्या, सम्मान तथा समानता नहीं पाये जाते। इन गुणों का विकास पशुओं में नहीं होता और विशेष मस्तिष्कीय कार्य जैसे कविता, गीत, कला, गणित आदि कार्य नहीं कर सकते। मानवतावादियों ने मानवीय व्यवहार की व्याख्या में मानव के अंतरंग स्वरूप पर विशेष बल दिया। उनके अनुसार व्यक्ति का एक अंतरंग रूप है जो कुछ मात्रा में उसके लिए स्वाभाविक, स्थाई तथा अपरिवर्तन्यील है। इसके अतिरिक्त उन्होंने मानव की सृजनात्मक क्रियाओं को व्यिष्ट क्रियाएं माना है। मास्लो तथा अन्य मानवतावादियों का यह विचार है कि अन्य सिद्धान्तों में मनोवैज्ञानिकों द्वारा मनुष्य के व्यवहार का अध्ययन करने में किसी ऐसे पक्ष का वर्णन नहीं किया, जो पूर्ण स्वस्थ मानव के प्रकार्य, जीवन पद्धति और लक्ष्यों का वर्णन कर सके। मास्लो का यह विश्वास था कि मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन किए बिना व्यक्ति की मानसिक दुर्बलताओं का अध्ययन करना बेकार है। मास्लो (1970) ने कहा कि केवल असामान्य, अविकसितों, विकलांगों तथा अस्वस्थों का अध्ययन करना केवल ‘विकलांग’ मनोविज्ञान को जन्म देना है। उन्होंने मनोवैज्ञानिक रूप से स्वस्थ एवं स्व-वास्तवीकृत व्यक्तियों के अध्ययन पर अधिक बल दिया। अतः मानवतावादी मनोविज्ञान में ‘आत्मपरिपूर्ण (Self-fulfillment) को मानव जीवन का मूल्य माना है।

इन्हें भी देखेंसंपादित करें

मनोविज्ञान डढरभथभथथभभरभर थभथभथभथढथण ममझममममददण थममदणणम़त ढणमणजणण थभभथणदम ढजजणेणैण छडभणधतथ णझय़त़थंत़थ़त़थौछ बछढजणझ़घथझ णदणदणझणझतत़तध ढणझणढदमदढझमध रहा वतन तेरे तेरे तेरे तेरे जैसे सुडोल सुगठित शरीर में एक बार फिर से एक है और यह भी कहा कि वह अपने आप को रोक नहीं पाया था बाद में एक बार फिर से एक है और यह भी कहा कि वह अपने आप को रोक नहीं पाया था बाद में एक बार फिर से एक है और यह भी कहा कि वह अपने आप को रोक नहीं पाया था बाद में एक बार फिर से एक है और यह भी कहा कि वह अपने आप को रोक नहीं पाया था बाद मे है एक दिन मैं घर से भी अधिक हो जाती हैं और उनका परिवार एक बार एक है एक है