मानस राष्ट्रीय उद्यान या मानस वन्यजीव अभयारण्य, असम, भारत में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान हैं। यह अभयारण्य यूनेस्को द्वारा घोषित एक प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थल, बाघ के आरक्षित परियोजना, हाथियों के आरक्षित क्षेत्र एक आरक्षित जीवमंडल हैं। हिमालय की तलहटी में स्थित यह अभयारण्य भूटान के रॉयल मानस नेशनल पार्क [1] के निकट है। यह पार्क अपने दुर्लभ और लुप्तप्राय स्थानिक वन्यजीव के लिए जाना जाता है जैसे असम छत वाले कछुए, हेपीड खरगोश, गोल्डन लंगुर और पैगी हॉग। मानस जंगली भैंसों की आबादी के लिए प्रसिद्ध है। [2] यहाँ एक सींग का गैंडा (भारतीय गेंडा) और बारहसिंघा के लिए विशेष रूप से पाये जाते है। यह भूटान की तराई में बोडो क्षेत्रीय परिषद की देखरेख में ९५० वर्ग किलोमीटर से भी बड़े इलाके में फैला हुआ है, जिसके अंतर्गत १९७३ में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत स्थापित ८४०.०४ वर्ग किलोमीटर का इलाका मानस व्याघ्र संरक्षित क्षेत्र भी आता है।

मानस राष्ट्रीय उद्यान
Manas National Park
মানস ৰাষ্ট্ৰীয় উদ্যান
आईयूसीएन श्रेणी द्वितीय (II) (राष्ट्रीय उद्यान)
मानस राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य प्रवेश द्वार
मानस राष्ट्रीय उद्यान की अवस्थिति दिखाता मानचित्र
मानस राष्ट्रीय उद्यान की अवस्थिति दिखाता मानचित्र
मानस रा॰उ॰
अवस्थितिअसम, भारत
निकटतम शहरबरपेटा रोड
निर्देशांक26°43′N 90°56′E / 26.717°N 90.933°E / 26.717; 90.933निर्देशांक: 26°43′N 90°56′E / 26.717°N 90.933°E / 26.717; 90.933
क्षेत्रफल950 किमी2
स्थापित1990
शासी निकायपर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार
वेबसाइटआधिकारिक वेबसाईट
युनेस्को विश्व धरोहर स्थल
विश्व धरोहर सूची में अंकित नाम

इसे १९८५ में विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया था लेकिन अस्सी के दशक के अंत और नब्बे के दशक के शुरू में बोडो विद्रोही गतिविधियों के कारण इस उद्यान को १९९२ में विश्व धरोहर स्थल सूची से हटा लिया गया था। जून २०११ से यह पुनः यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल कर लिया गया है।[3]

नाम की उत्पत्ति

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इस पार्क का नाम मानस नदी पर रखा गया है, जिसे सर्पों की देवी मनसा के नाम पर रखा गया है। मानस नदी ब्रह्मपुत्र नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है, जो इस राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य केंद्र से होकर गुजरती है।

1 अक्टूबर 1928 को 360 किमी2 क्षेत्र के साथ मानस नेशनल पार्क को अभयारण्य घोषित किया गया था। मानस बायो रिज़र्व की स्थाफ्ना 1973 में बनाया गया था। अभयारण्य की घोषणा से पहले यह एक आरक्षित वन था जिसे मानस आर.एफ. और उत्तर कामरूप आर.एफ. के नाम से जाना जाता था इसका प्रयोग कूच बिहार का शाही परिवार और गौरीपुर के राजा शिकार के लिए आरक्षित रूप में करते थे। 1951 और 1955 में क्षेत्र को बढ़ाकर 391 किमी2 कर दिया गया। यह यूनेस्को द्वारा दिसंबर 1985 में एक विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।

मानव इतिहास

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राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य भाग में अग्रगंज एक जंगलो से घिरा हुआ गांव है। इस गांव के अलावा 56 से अधिक गांव पार्क को चारों ओर से घेरे हुए हैं।

इस पार्क को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इसकी पश्चिमी सीमा पनबारी, केंद्रीय सीमा बारपेटा रोड के पास बंसबाड़ी में और पाथस्ला के निकट भूईयापुर में पूर्वी सीमा स्थित हैं। ये श्रेणियां आपस में अच्छी तरह से जुड़ी नहीं हैं।

भौतिक भूगोल: मानस पूर्वी हिमालय की तलहटी में स्थित है और घने जंगलों से आच्छादित है। मानस नदी पार्क के पश्चिम छोर से बहती है और यह इस अभयारण्य की मुख्य नदी है। यह ब्रह्मपुत्र नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है और बाद में दो अलग-अलग नदियों, बेकी और भौलादुबा में बिभक्त हो जाती है। मानस नदी भारत और भूटान को विभाजित करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में भी कार्य करती है।

प्राकृतिक इतिहास

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मानस में दो प्रमुख जैव वातावरण मौजूद हैं:

  • चारागाह बायोम: पिग्मी हॉग, भारतीय गैंडे, बंगाल फ्लोरिकन, जंगली एशियाई भैंस आदि।
  • वन बायोम: धीमी चलने वाली लॉरी, टोपी वाला लंगूर, जंगली सुअर, सांबर, महान हॉर्नबिल, मलाया की विशाल गिलहरी या काले विशाल गिलहरी आदि।

वनस्पति: मानस के मानसून के जंगलों में ब्रह्मपुत्र घाटी के अर्ध-सदाबहार जंगल के जैव क्षेत्र में पड़ते हैं। [4] यह दुनिया के सबसे अमीर जैव विविधता वाले क्षेत्रों में से एक है।

इस अभयारण्य में स्तनधारीयों की 55 प्रजातियां, पक्षियों की 380 प्रजातियां, सरीसृपों की 50 और उभयचर की 3 प्रजातियां पाई जाती हैं। इन वन्यजीवों में 21 स्तनधारी भारत के शेड्यूल एक (i) स्तनपायी हैं और इनमें से 31 खतरे में बताई जाती हैं।

अभयारण्य के अन्य प्राणियों में भारतीय हाथी, भारतीय गैंडे, गौरा, एशियाई जल भैंस, बारासिंगा, भारतीय बाघ, भारतीय तेंदुओं, एशियाई स्वर्ण बिल्ली, ढोल, टोपी वाले लंगूर, स्वर्ण लंगूर, सांभर हिरण और चीतल इत्यादि हैं।

चित्र दीर्घा

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इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. "Archived copy". मूल से 2009-11-07 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-04-04.सीएस1 रखरखाव: Archived copy as title (link)
  2. Choudhury, A.U.(2010)The vanishing herds : the wild water buffalo. Gibbon Books, Rhino Foundation, CEPF & COA, Taiwan, Guwahati, India
  3. "'यूनेस्‍को' की सूची में स्‍मारकों को शामिल किया जाना". पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार. 14 फ़रवरी 2014. मूल से 22 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 फ़रवरी 2014.
  4. Wikramanayake, Eric; Eric Dinerstein; Colby J. Loucks; et al. (2002). Terrestrial Ecoregions of the Indo-Pacific: a Conservation Assessment. Island Press; Washington, DC. pp. 300-301